हमारा स्थानीय स्वशासन
स्थानीय स्वशासन का अर्थ
- क्षेत्र के लोग समिति या संस्था से मिलकर दिन-प्रतिदिन की समस्याएं सुलझाते हैं, वैधानिक उपाय करते हैं → स्थानीय स्वशासन।
- स्थानीय लोग अपनी जरूरतें, समस्याएं बेहतर जानते हैं → स्वयं हल निकालें।
- सरकार से सहायता मांग सकते हैं।
स्थानीय स्वशासन का महत्व
- समस्याएं सुलझाने का अवसर।
- आत्मनिर्भरता विकसित।
- सहकारिता से दशा सुधारने का उत्साह।
- नेतृत्व क्षमता बढ़ाना।
- छोटे क्षेत्र में कार्य-अनुभव।
त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था
- ग्राम स्तर: ग्राम पंचायत।
- विकास खंड स्तर: जनपद पंचायत।
- जिला स्तर: जिला पंचायत।
- प्राचीन भारत में पंचायतें थीं।
- ब्रिटिश काल: असहयोग से अवनति, लगभग समाप्त।
- गांधीजी: स्वतंत्रता संघर्ष में पुनरुद्धार की वकालत।
- 73वां संशोधन: 24 अप्रैल 1994 से कानून, पूरे देश में।
- मध्यप्रदेश: 1994 से लागू।
1. ग्राम पंचायत
गठन:
- आबादी: कम से कम 1000 → छोटे गांव जोड़े जाते हैं।
- गांव → वार्ड (छोटे क्षेत्र)।
- प्रत्येक वार्ड: पंच (प्रतिनिधि) → मतदाताओं द्वारा चुने।
- वार्ड: 10 से 20।
- मतदाता: 18+ वर्ष, स्त्री-पुरुष, मतदाता सूची में नाम → मताधिकार।
- आरक्षण: अनुसूचित जाति-जनजाति, 1/3 महिलाएं।
- सरपंच: प्रधान, सभी मतदाताओं द्वारा सीधे चुना।
- उपसरपंच: पंचों में से चुना, सरपंच अनुपस्थिति में कार्य।
- पंचायत सचिव/कर्मी: शासन नियुक्त, लेखा-जोखा।
- कार्यकाल: 5 वर्ष।
- अविश्वास प्रस्ताव: सरपंच हटाया जा सकता है।
कार्य:
- सामान्य प्रशासन।
- नागरिक सुविधाएं: पानी, स्वास्थ्य, सफाई, शिक्षा, बिजली/प्रकाश, मार्ग रख-रखाव।
- संपत्ति खरीद-बिक्री प्रमाण, जन्म-मृत्यु विवरण, हाट-मेला आयोजन, वृक्षारोपण।
आय साधन:
- कर: सफाई, बिजली, निजी मकान, हाट-मेला।
- राज्य सरकार अनुदान।
- वार्षिक आय-व्यय: ग्राम सभा में प्रस्तुत।
ग्राम सभा:
- सभी मतदाता सदस्य।
- बैठक: हर 3 माह।
- कार्य: पंचायत सदस्य चुनाव, समस्याएं चर्चा, नीतिगत निर्णय, पंचायत कार्य समीक्षा।
2. जनपद पंचायत
गठन:
- विकास खंड स्तर।
- क्षेत्र: सभी ग्राम पंचायतें।
- सदस्य: मतदाताओं द्वारा 5 वर्ष चुने (10-25)।
- विधानसभा सदस्य शामिल।
- ग्राम पंचायत सरपंच: 1/5 संख्या, 1 वर्ष सदस्य।
- अध्यक्ष-उपाध्यक्ष: सदस्यों में से।
- आरक्षण: अनुसूचित जाति-जनजाति, पिछड़ा वर्ग, महिलाएं।
- मुख्य कार्यपालन अधिकारी: सर्वोच्च, निर्णय लागू।
कार्य:
- ग्राम पंचायतों को राज्य से धन दिलाना।
- ग्राम पंचायत कार्य देख-रेख।
- विशेषज्ञ सेवा: कृषि, शिक्षा, अधोसंरचना, चिकित्सा।
- महिला-युवा-बाल कल्याण, निःशक्त-निराश्रित कल्याण।
- परिवार नियोजन, खेलकूद, ग्रामीण रोजगार।
- प्राकृतिक आपदा: आपात सहायता।
- शिक्षा-स्वास्थ्य प्रचार।
- नियुक्ति: शिक्षाकर्मी, संविदा शिक्षक, गुरुजी, पंचायत कर्मी, जन स्वास्थ्य रक्षक।
आय साधन:
- कर: मकान, जमीन, बिजली, पानी, मेला-बाजार।
- राज्य सरकार सहायता-अनुदान।
3. जिला पंचायत
गठन:
- जिला स्तर, सर्वोच्च।
- क्षेत्र: सभी जनपद पंचायतें।
- सदस्य: मतदाताओं द्वारा 5 वर्ष चुने (10-35)।
- विधानसभा, लोकसभा, राज्यसभा सदस्य (ग्रामीण क्षेत्र वाले, मतदाता सूची में नाम)।
- जनपद पंचायत अध्यक्ष शामिल।
- आरक्षण व्यवस्था।
- अध्यक्ष: राज्यमंत्री दर्जा।
- मुख्य कार्यपालन अधिकारी: राज्य नियुक्त (भारतीय प्रशासनिक सेवा), निर्णय लागू।
कार्य:
- ग्राम-जनपद पंचायत कार्य देख-रेख।
- धन उपलब्ध कराना।
- सरकारी विभागों से समन्वय।
- राज्य निर्देश पर शासकीय पद नियुक्ति।
आय साधन:
- राज्य अनुदान (प्रमुख)।
- कर: मकान, दुकान, मेला।
मुख्य बिंदु
- सामुदायिक विकास: स्थानीय भागीदारी जरूरी।
- स्वशासी संस्थाएं: नेतृत्व क्षमता बढ़ातीं।
- त्रिस्तरीय: ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत, जिला पंचायत।

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