ग्लोब और मानचित्र
सीखने योग्य बातें
- पृथ्वी के प्रतिरूप (मॉडल) के रूप में ग्लोब को समझना।
- भूगोल में ग्लोब के महत्व को जानना।
- ग्लोब के उपयोग को समझना।
- मानचित्र की आवश्यकता और महत्व को समझना।
- मानचित्र को पढ़ने के तरीके सीखना।
पृथ्वी का आकार
- पृथ्वी ब्रह्माण्ड में जीवन वाला एकमात्र ग्रह है क्योंकि इसमें जल और वायु दोनों हैं।
- जब हम पृथ्वी को अपनी आँखों से देखते हैं तो यह सपाट दिखाई देती है, क्योंकि यह बहुत विशाल है।
- अंतरिक्ष से देखने पर पृथ्वी की आकृति गोलाकार (स्फेरिकल) दिखाई देती है।
ग्लोब (Globe)
- ग्लोब पृथ्वी का एक नमूना या मॉडल है, जो पृथ्वी की आकृति का सही प्रतिनिधित्व करता है।
- यह हमें बताता है कि पृथ्वी गोलाकार है और ध्रुवों पर थोड़ी चपटी है।
भूगोल में ग्लोब का महत्व
- ग्लोब की सहायता से हम पृथ्वी का आकार, झुकाव (23½°), गति और स्थिति समझ सकते हैं।
- इससे हम महासागर और महाद्वीपों का वितरण और उनकी स्थिति जान पाते हैं।
- ग्लोब पर पृथ्वी के जल और थल भाग को अलग-अलग रंगों से दिखाया जाता है।
ग्लोब का उपयोग
ग्लोब को देखकर हम निम्न बातें जान सकते हैं –
- पृथ्वी का आकार गोलाकार है।
- पृथ्वी अपनी धुरी पर झुकी हुई (23½°) है।
- यह ध्रुवों पर थोड़ी चपटी है।
- ग्लोब को घुमाकर हम देख सकते हैं कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है।
- ग्लोब पर आड़ी और खड़ी रेखाएँ (अक्षांश और देशांतर) खींची होती हैं।
- ग्लोब पर नीला रंग जल भाग (महासागर) को दर्शाता है।
- ग्लोब से हम महाद्वीप, महासागर, पर्वत, द्वीप और देशों की स्थिति जान सकते हैं।
महाद्वीप और महासागर
महाद्वीप (Continents)
- पृथ्वी के बड़े भू-भाग को महाद्वीप कहते हैं।
- पृथ्वी पर 7 महाद्वीप हैं:
- एशिया
- यूरोप
- अफ्रीका
- उत्तरी अमेरिका
- दक्षिणी अमेरिका
- ऑस्ट्रेलिया
- अंटार्कटिका
महासागर (Oceans)
- पृथ्वी पर फैले विशाल जल भाग को महासागर कहा जाता है।
- पृथ्वी पर 4 प्रमुख महासागर हैं:
- प्रशांत महासागर
- अटलांटिक महासागर
- हिन्द महासागर
- आर्कटिक महासागर
मानचित्र (Map)
- गोलाकार पृथ्वी या उसके किसी भाग का मापन के अनुसार समतल सतह पर चित्रण – मानचित्र कहलाता है।
- जब हम किसी देश, राज्य, शहर या गाँव का अध्ययन करना चाहते हैं, तब ग्लोब की बजाय मानचित्र उपयोगी होता है।
उत्पत्ति:
- “मानचित्र” शब्द लेटिन शब्द ‘मेप्पा (Mappa)’ से बना है, जिसका अर्थ है मेजपोश या रूमाल।
- पहले मानचित्र कपड़े पर बनाए जाते थे।
- अंग्रेजी शब्द ‘Map’ इसी शब्द से बना है।
मानचित्र को कैसे पढ़ें
मानचित्र को पढ़ने के चार मुख्य आधार हैं:शीर्षक (Title), दिशा (Direction), रूढ़चिन्ह (Symbols), मापक (Scale)
1. शीर्षक (Title)
- प्रत्येक मानचित्र का एक शीर्षक होता है जो बताता है कि यह किस स्थान या क्षेत्र का मानचित्र है।
- शीर्षक सामान्यतः मानचित्र के ऊपर या दाईं ओर लिखा होता है।
2. दिशा (Direction)
- दिशा के बिना मानचित्र को समझना कठिन है।
- हर मानचित्र में उत्तर दिशा (North) को तीर के चिन्ह से दिखाया जाता है।
- परंपरा के अनुसार उत्तर दिशा मानचित्र के ऊपर की ओर होती है।
3. रूढ़चिन्ह (Conventional Symbols)
- मानचित्र में विभिन्न चीज़ों को चिह्नों के माध्यम से दर्शाया जाता है, जिन्हें रूढ़चिन्ह कहते हैं।उदाहरण:
- पहाड़ – भूरे रंग की लहरदार रेखा
- नदी – नीली रेखा
- सड़क – काली या लाल रेखा
- रेलमार्ग – समानांतर काली रेखाएँ
मापक (Scale)
- धरातल की वास्तविक दूरी और मानचित्र में दर्शाई दूरी के अनुपात को मापक कहते हैं।
- उदाहरण: यदि मानचित्र में 1 से.मी. = 1 कि.मी. है, तो धरातल पर 1 किलोमीटर दूरी मानचित्र में 1 से.मी. के बराबर होगी।
- मापक आमतौर पर शीर्षक के नीचे या नीचे की ओर लिखा होता है।
मानचित्र में रंगों का प्रयोग
- नीला रंग – जल भाग (समुद्र, महासागर, नदियाँ)
- हरा रंग – मैदान या समतल भूमि
- भूरा रंग – पहाड़ी या ऊँचे भाग
- पीला रंग – रेगिस्तानी या सूखे भाग
मध्यप्रदेश का राजनैतिक मानचित्र (2007 के अनुसार)
- 2007 में मध्यप्रदेश में 50 जिले थे।
- सीधी से सिंगरौली और झाबुआ से अलीराजपुर नए जिले बनाए गए।
परिभाषाएँ (Definitions)
- ग्लोब – पृथ्वी का एक नमूना जो उसकी आकृति का सही प्रतिनिधित्व करता है।
- महाद्वीप – पृथ्वी का बड़ा भू-भाग जिसमें कई देश शामिल होते हैं।
- महासागर – पृथ्वी पर फैले विशाल जल भाग को महासागर कहते हैं।
- मानचित्र – पृथ्वी या उसके किसी भाग का समतल सतह पर चित्रण।
- मापक – मानचित्र की दूरी और धरातल की वास्तविक दूरी के अनुपात को मापक कहते हैं।

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