अक्षांश एवं देशान्तर रेखाएँ
ग्लोब पर रेखाएँ
- ग्लोब और मानचित्र पर बहुत सी रेखाएँ खींची होती हैं – कुछ आड़ी (क्षैतिज) और कुछ खड़ी (लंबवत)।
- ये रेखाएँ एक-दूसरे को काटती हैं और मिलकर जाल जैसा रूप बनाती हैं।
- ये रेखाएँ काल्पनिक (Imaginary) हैं – वास्तव में पृथ्वी पर ऐसी रेखाएँ नहीं होतीं।
- पृथ्वी पर किसी स्थान की सही स्थिति बताने के लिए इन्हें ग्लोब या मानचित्र पर खींचा गया है।
ध्रुव और भूमध्य रेखा
- ग्लोब के ऊपर के बिंदु को उत्तरी ध्रुव (North Pole) औरनीचे के बिंदु को दक्षिणी ध्रुव (South Pole) कहते हैं।
- इन दोनों के बीच एक काल्पनिक वृत्त खींचा जाता है जिसे भूमध्य रेखा (Equator) या विषुवत वृत्त कहा जाता है।
- यह पृथ्वी को दो बराबर भागों में बाँटता है –
- ऊपर का भाग – उत्तरी गोलार्द्ध (Northern Hemisphere)
- नीचे का भाग – दक्षिणी गोलार्द्ध (Southern Hemisphere)
अक्षांश रेखाएँ (Latitudes)
- भूमध्य रेखा के समानान्तर खींचे गए वृत्तों को अक्षांश रेखाएँ या अक्षांश वृत्त कहते हैं।
- भूमध्य रेखा से प्रत्येक अंश (Degree) पर एक वृत्त खींचा गया है।
- उत्तरी भाग की रेखाओं के आगे ‘उ.’ (उत्तरी अक्षांश) और दक्षिणी भाग की रेखाओं के आगे ‘द.’ (दक्षिणी अक्षांश) लिखा जाता है।
अक्षांश रेखाओं की संख्या:
- उत्तरी गोलार्द्ध में 90 और दक्षिणी गोलार्द्ध में 90 अक्षांश रेखाएँ होती हैं।
- इस प्रकार कुल 180 अक्षांश रेखाएँ होती हैं।
- भूमध्य रेखा (Equator) को 0° अक्षांश रेखा कहा जाता है।
प्रमुख अक्षांश रेखाएँ:
| स्थान | रेखा | डिग्री |
|---|---|---|
| उत्तरी गोलार्द्ध | कर्क रेखा | 23½° उत्तरी अक्षांश |
| दक्षिणी गोलार्द्ध | मकर रेखा | 23½° दक्षिणी अक्षांश |
कर्क रेखा भारत के गुजरात, मध्यप्रदेश और बिहार से होकर गुजरती है।
कर्क और मकर रेखा का निर्धारण 23½° पर क्यों किया गया है?
- पृथ्वी अपने अक्ष पर 23½° झुकी हुई है।
- सूर्य की किरणें वर्ष में एक बार केवल 23½° उत्तरी और दक्षिणी अक्षांश तक सीधी पड़ती हैं।
- इसलिए कर्क और मकर रेखाओं का निर्धारण 23½° पर किया गया है।
- इन रेखाओं से आगे सूर्य कभी सीधा नहीं चमकता।
अक्षांश रेखाओं की विशेषताएँ
- ये रेखाएँ पूर्व से पश्चिम दिशा में विषुवत रेखा के समानान्तर खींची जाती हैं।
- ये पूर्ण वृत्ताकार होती हैं।
- दो अक्षांशों के बीच की दूरी समान होती है।
- ध्रुवों की ओर जाते हुए ये वृत्त छोटे होते जाते हैं।
- ध्रुव एक बिंदु के रूप में रह जाते हैं।
- अक्षांश रेखाओं की लंबाई समान नहीं होती।
- भूमध्य रेखा के उत्तर का भाग उत्तरी गोलार्द्ध और दक्षिण का भाग दक्षिणी गोलार्द्ध कहलाता है।
प्रश्न: भारत के मध्य से कौन सी प्रमुख अक्षांश रेखा गुजरती है? उत्तर: 23½° उत्तरी अक्षांश रेखा (कर्क रेखा)।
देशान्तर रेखाएँ (Longitudes)
- किसी स्थान की सही स्थिति जानने के लिए अक्षांशों के साथ देशान्तर रेखाएँ भी आवश्यक होती हैं।
- ये रेखाएँ उत्तर से दक्षिण ध्रुव तक खड़ी खींची जाती हैं।
- ग्लोब पर ये अर्धवृत्त होती हैं, जबकि मानचित्र पर सीधी रेखाएँ दिखाई देती हैं।
प्रधान मध्यान्ह रेखा (Prime Meridian)
- देशान्तर रेखाओं में एक मुख्य रेखा को प्रधान मध्यान्ह रेखा कहा जाता है।
- यह रेखा इंग्लैंड के ग्रीनविच (लंदन के पास) वेधशाला से गुजरती है।
- इसे 0° देशान्तर रेखा कहा जाता है।
- प्रधान मध्यान्ह रेखा पृथ्वी को पूर्वी और पश्चिमी गोलार्द्ध में बाँटती है।
- इसके दोनों ओर 1° के अंतराल पर कुल 180-180 रेखाएँ खींची जाती हैं, अर्थात् कुल 360 देशान्तर रेखाएँ होती हैं।
देशान्तर रेखाओं की विशेषताएँ
- ये रेखाएँ अर्धवृत्ताकार होती हैं।
- इनकी लंबाई समान होती है।
- विषुवत रेखा पर इनके बीच की दूरी सबसे अधिक होती है।
- ध्रुवों की ओर बढ़ने पर इनके बीच की दूरी कम होती जाती है।
- ये रेखाएँ प्रधान मध्यान्ह रेखा के दोनों ओर 1° के अंतराल पर खींची जाती हैं।
- पृथ्वी की भौगोलिक स्थिति को बताने में अक्षांशों के साथ इनका प्रयोग किया जाता है।
ध्यान दें –
- पूर्व दिशा की रेखाओं को ‘पू.’ (पूर्वी) और पश्चिम दिशा की रेखाओं को ‘प.’ (पश्चिमी) लिखा जाता है।
भारत का स्थान:
- भारत उत्तरी एवं पूर्वी गोलार्द्ध में स्थित है।
गतिविधि – किसी स्थान की स्थिति ज्ञात करना
- एक गेंद लें और उस पर एक तारा (⭐) बनाएं।
- बिना दिशा या रेखाओं के यह बताना कठिन होगा कि तारा कहाँ है।
- अब गेंद पर कुछ आड़ी (अक्षांश) और खड़ी (देशान्तर) रेखाएँ खींचें।
- अब आप आसानी से बता पाएंगे कि तारा किस अक्षांश और किस देशान्तर पर स्थित है। इससे सिद्ध होता है कि पृथ्वी पर किसी स्थान की स्थिति जानने के लिए अक्षांश और देशान्तर रेखाएँ आवश्यक हैं।
महत्वपूर्ण बिंदु
- अक्षांश रेखाएँ – भूमध्य रेखा के समानान्तर खींची हुई आड़ी रेखाएँ।
- देशान्तर रेखाएँ – उत्तर से दक्षिण खींची गई खड़ी रेखाएँ।
- भूमध्य रेखा – 0° अक्षांश रेखा, जो पृथ्वी को दो गोलार्द्धों में बाँटती है।
- प्रधान मध्यान्ह रेखा – 0° देशान्तर रेखा, जो पृथ्वी को पूर्वी और पश्चिमी गोलार्द्ध में बाँटती है।
- अक्षांशों की कुल संख्या – 180 (90 उत्तर में, 90 दक्षिण में)।
- देशान्तरों की कुल संख्या – 360 (180 पूर्व, 180 पश्चिम)।
- कर्क और मकर रेखाएँ – 23½° पर स्थित।
- पृथ्वी पर किसी स्थान की स्थिति जानने के लिए अक्षांश और देशान्तर दोनों का प्रयोग किया जाता है।

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