हड़प्पा सभ्यता
प्राचीन सभ्यताओं का विकास
- आदि मानव वहीं बसता था जहाँ जल, भोजन और सुरक्षा आसानी से मिल सके।
- इसलिए प्रारंभिक सभ्यताएँ नदियों के किनारे विकसित हुईं।
- इस कारण इन्हें नदी घाटी सभ्यता कहा गया।
प्रमुख नदी घाटी सभ्यताएँ:
| सभ्यता | नदी |
|---|---|
| मिस्र की सभ्यता | नील नदी |
| मेसोपोटामिया की सभ्यता | दजला और फरात |
| चीनी सभ्यता | ह्वांगहो |
| सिंधु घाटी (हड़प्पा) सभ्यता | सिंधु नदी |
नदी घाटी में मानव सभ्यता का विकास
- प्रारंभ में मानव शिकारी और भोजन संग्राहक था।
- लगभग 10,000 वर्ष पूर्व उसने खेती करना सीखा।
- नदियों के किनारे की मिट्टी उपजाऊ थी और जल भी उपलब्ध था।
- इसलिए मानव ने वहीं बसना प्रारंभ किया।
- लगभग 7000 वर्ष पूर्व ताँबे की खोज ने मानव जीवन को बदला।
- पत्थर और ताँबे के मिश्रण वाले इस काल को ताम्राश्मकाल कहा गया।
भारत में ताम्राश्मकालीन बस्तियाँ – आहार (राजस्थान), कायथा (मध्यप्रदेश), जोखा-दैमाबाद (महाराष्ट्र), नवदाटोली (नर्मदा तट)।
सिंधु घाटी या हड़प्पा सभ्यता की खोज
- 1921 ई. में दयाराम साहनी ने हड़प्पा (पाकिस्तान) में खुदाई शुरू की।
- 1922 ई. में राखलदास बैनर्जी ने मोहनजोदड़ो (लरकाना, सिंध) में खुदाई की।
- दोनों स्थानों से ईंटों के मकान, नालियाँ, और नगर अवशेष मिले।
- इस कारण इसे हड़प्पा सभ्यता कहा गया।
- यह सभ्यता सिंधु नदी घाटी में फैली होने से सिंधु घाटी सभ्यता भी कहलाती है।
हड़प्पा सभ्यता का विस्तार
- यह सभ्यता भारत और पाकिस्तान के उत्तरी-पश्चिमी भागों में फैली थी।
- क्षेत्र मिस्र की सभ्यता से 20 गुना बड़ा था।
- इसका विस्तार – पाकिस्तान, अफगानिस्तान, राजस्थान, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश और महाराष्ट्र तक।
मुख्य स्थल: हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, चन्दुदड़ो (पाकिस्तान), कालीबंगा (राजस्थान), धौलावीरा, लोथल (गुजरात), रोपड़ (पंजाब), राखीगढ़ी (हरियाणा), दैमाबाद (महाराष्ट्र), आलमगीरपुर (उत्तरप्रदेश)।
नगरीय जीवन (Town Planning)
- हड़प्पा सभ्यता की सबसे बड़ी विशेषता – सुनियोजित नगर व्यवस्था।
- नगर दो या तीन भागों में विभाजित थे:
- ऊपरी भाग (किला) – जहाँ उच्च वर्ग के लोग रहते थे।
- निचला भाग – जहाँ मध्यम और निम्न वर्ग रहते थे।
- सड़कें सीधी और एक-दूसरे को समकोण पर काटती थीं।
- नगरों में गोदाम (कोठार) थे – जैसे हड़प्पा व कालीबंगा में।
मोहनजोदड़ो का विशाल स्नानागार
- यह 11.88 मीटर लंबा, 7.01 मीटर चौड़ा और 2.43 मीटर गहरा था।
- इसके दोनों सिरों पर सीढ़ियाँ थीं और पास में कपड़े बदलने के कमरे थे।
- फर्श पक्की ईंटों का बना था।
- माना जाता है कि इसका उपयोग धार्मिक स्नान या पूजा के लिए होता था।
जल निकास प्रणाली (Drainage System)
- हर घर में स्नानागार और आँगन था।
- घर का पानी सड़कों से जुड़ी मुख्य नालियों में जाता था।
- नालियाँ ईंटों से ढकी होती थीं और उनमें सफाई के लिए मेनहोल बने थे।
- यह प्रणाली विश्व में अद्वितीय थी।
हड़प्पा निवासी विश्व के प्रथम लोग थे जिन्होंने पक्की ईंटों और सीधी सड़कों वाले नगर बनाए।
कृषि और पशुपालन
- हड़प्पा की जीवनदायिनी नदी – सिंधु नदी।
- लोग गेहूँ, जौ, सरसों, कपास, मटर, तिल उगाते थे।
- किसानों से अनाज के रूप में कर (राजस्व) लिया जाता था।
- कालीबंगा में जुताई के खेतों के प्रमाण मिले हैं।
पशुपालन:
- गाय, बैल, बकरी, भेड़, भैंस, ऊँट, सूअर, घोड़ा, हाथी आदि पाले जाते थे।
- मुहरों पर इन जानवरों की चित्र आकृतियाँ मिलती हैं।
विशेष तथ्य:
- हड़प्पावासी विश्व के प्रथम लोग थे जिन्होंने कपास का उत्पादन किया।
- मोहनजोदड़ो में सूती कपड़े का टुकड़ा मिला है।
- कताई के लिए तकली का उपयोग होता था।
शिल्प और तकनीकी ज्ञान
- यह सभ्यता ताम्राश्म (कांस्य युग) की थी।
- ताँबा + टिन = कांसा, जो अधिक मजबूत था।
- हड़प्पा के लोग धातु गलाने, ढालने और मिश्रण करने में निपुण थे।
- मिट्टी के बर्तन, खिलौने, मुहरें और मूर्तियाँ बनाते थे।
- सोने-चाँदी के आभूषण और मनके भी बनाते थे।
कांसे की नर्तकी की मूर्ति – उनकी मूर्तिकला का श्रेष्ठ उदाहरण है।
धार्मिक मान्यताएँ
- कोई बड़ा मंदिर नहीं मिला, लेकिन मिट्टी की देवी मूर्तियाँ मिलीं – संभवतः देवी उपासना होती थी।
- एक मुहर पर तीन सींगों वाला देवता पद्मासन में ध्यानस्थ दिखाया गया है – इसे पशुपति (शिव) का रूप माना गया।
- लिंग-योनि प्रतीक, स्वास्तिक, यज्ञवेदी, कमण्डल आदि मिले हैं।
- पीपल वृक्ष की पूजा के प्रमाण – आज भी इसकी परंपरा जारी है।
- लोग भूत-प्रेतों में विश्वास करते थे और ताबीज पहनते थे।
- मृणमुद्राओं पर योग मुद्राएँ मिली हैं – यह दर्शाता है कि वे योग के जानकार थे।
लिपि
- हड़प्पावासियों को लेखन कला का ज्ञान था।
- इनकी लिपि चित्रलिपि (Symbolic Script) थी।
- अब तक इसे पढ़ा नहीं जा सका है।
माप-तौल
- हड़प्पावासी ‘बाट’ और ‘दंड’ से मापते थे।
- खुदाई में कांसे का मापक यंत्र और बाट मिले हैं।
मुहरें (Seals)
- अब तक लगभग 5000 मृणमुद्राएँ मिली हैं।
- इन पर जानवरों की आकृतियाँ और छोटे लेख अंकित हैं।
- कूबड़ वाला सांड इनका प्रमुख चित्र है।
हड़प्पा सभ्यता का पतन
इतिहासकारों के अनुसार हड़प्पा सभ्यता के पतन के मुख्य कारण:
- भूकंप आने से सिंधु नदी का मार्ग बदल गया।
- वर्षा की कमी और रेगिस्तान के फैलाव से खेती प्रभावित हुई।
- बाढ़ आने से नगर नष्ट हो गए।
महत्वपूर्ण बिंदु
- हड़प्पा सभ्यता सिंधु नदी की घाटी में विकसित हुई।
- यह सभ्यता सुनियोजित नगर व्यवस्था के लिए प्रसिद्ध थी।
- हड़प्पावासी कृषक, पशुपालक और कुशल शिल्पकार थे।
- मोहनजोदड़ो का विशाल स्नानागार इस सभ्यता की अद्भुत खोज है।
- कांसे की नर्तकी मूर्तिकला का सर्वोत्तम उदाहरण है।
- पीपल वृक्ष की पूजा और योग अभ्यास के प्रमाण मिले हैं।
- सभ्यता का पतन प्राकृतिक आपदाओं के कारण हुआ।

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