प्रश्न 1.
 एकपदेन उत्तरं लिखत(एक शब्द में उत्तर लिखो)
(क) विद्या कि ददाति? (विद्या क्या देती है?)
उत्तर:
विनयम् (विनम्रता)
(ख) कः सर्वत्र पूज्यते? (किसकी सभी जगह पूजा की जाती है?)
उत्तर:
विद्वान् (विद्यावान्)
(ग) देवैः कः पूज्यते? (देवताओं के द्वारा किसी पूजा की जाती है?)
उत्तर:
विद्यावान् (विद्या से युक्त)
(घ) विदेशेषु विद्या किम् भवति? (विदेशों में विद्या क्या होती है?)
उत्तर:
धनम् (धन)।
प्रश्न 2.
 एकवाक्येन उत्तरं लिखत(एक वाक्य में उत्तर लिखो)
(क) कस्मात् पात्रतां याति? (किससे पात्रता (योग्यता) आती है?
उत्तर:
विनयाद् पात्रतां याति। (विनय (नम्रता) से योग्यता आती है।)
(ख) परलोके धनं किम्? (परलोक में धन क्या है?)
उत्तर:
परलोके धनं धर्मः। (परलोक में धर्म ही धन है।)
(ग) स्वदेशे कः पूज्यते? (अपने देश में किसकी पूजा होती है?)
उत्तर:
स्वदेशे राजा पूज्यते। (अपने देश में राजा की पूजा होती है।)
(घ) केषां बलं विद्या? (किसका बल विद्या होती है?)
उत्तर:
निर्बलानां बलं विद्या। (बलहीनों का बल विद्या होती है।)
प्रश्न 3.
 उचितं योजयत (उचित को जोडिए)
उत्तर:
(क) → 3
 (ख) → 5
 (ग) → 1
 (घ) → 2
 (ङ) → 4
प्रश्न 4.
 रिक्तस्थानानि पूरयत (रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए)
(क) पात्रत्वाद् …………. , आप्नोति ………….. धर्मः।
 (ख) पुस्तकस्था तु या ………..।
 (ग) स्वदेशे ……… पूज्यते। ……. सर्वत्र पूज्यते।
 (घ) …………. सर्वस्य भूषणम्।
उत्तर:
(क) धनम्, धनाद्;
 (ख) विद्या परहस्तगतं धनम्
 (ग) राजा, विद्वान्;
 (घ) विद्याः।
प्रश्न 5.
 कोष्ठकात् चित्वा विलोमशब्दैः मेलयत (कोष्ठक से चुनकर विलोम शब्दों से मिलाओ)
(अ) (क) सुखम्
 (ख) विदेशेषु
 (ग) इहलो के
 (घ) महाधनः
 (ङ) सुन्दरः
 (च) निर्बलः
 (छ) विद्वान्
 (ज) मित्रम्
 (झ) कुलीनः
 (ञ) सुशीलः।
(ब) (अकुलीनः, शत्रुः, निर्धनः, दुःखम्, कुरूपः, स्वदेशेषु, दुःशीलः, परलोके, सबलः, मूर्खः।)
उत्तर:
(क) सुखम् – दु:खम्
 (ख) विदेशेषु – स्वदेशेषु
 (ग) इहलोके – परलोके
 (घ) महाधन: – निर्धनः
 (ङ) सुन्दरः – कुरूंपः
 (च) निर्बल: – सबलः
 (छ) विद्वान् – मूर्खः
 (ज) मित्रम् – शत्रुः
 (झ) कुलीनः – अकुलीनः
 (ञ) सुशील: – दुःशीलः।।
प्रश्न 6.
 उदाहरणानुगुणं अन्वयपूर्ति कुरुत (उदाहरण के अनुसार अन्वय की पूर्ति करो)
 
 (क) कुरूपाणां …………. विद्या, …………. धनं (विद्या) तथा। निर्बलानां बलं …………. अतः ………… साधनीया।
 (ख) विदेशेषु ……… धनं, व्यसनेषु मतिः………। परलोके ………….. धनं, ………… सर्वत्र वै धनम्।
उत्तर:
अन्वय-
 (क) कुरूपाणां रूपं विद्या, निर्धनानां धनं (विद्या) तथा। निर्बलानां बलं विद्या अतः प्रयत्नेन साधनीया।
 (ख) विदेशेषु विद्या धनं, व्यसनेषु मतिः धनम्। परलोके धर्म: धनं, शीलंः सर्वत्र वै धनम्।
प्रश्न 7.
 ‘विद्या’ विषये संस्कृते पञ्च वाक्यानि लिखत। (‘विद्या’ विषय पर संस्कृत में पाँच वाक्यों लिखो।)
उत्तर:
‘विद्या’
विद्याधनं सर्वधनं प्रधानमस्ति।
 विद्या धन सभी धनों में प्रधान होता है।
 विद्या एव मानवस्य भूषणमस्ति।
 विद्या ही मनुष्य का आभूषण है।
 विद्या तु सदा उपार्जनीया अस्ति।
 विद्या तो सदा ही प्राप्त करने योग्य होती है।
 विद्याविहीनः जनः पशुः भवति।
 विद्या से रहित मनुष्य पशु होता है।
 विद्या विनयम् ददाति।
 विद्या विनय देती है।
योग्यताविस्तारः
पाठस्थ श्लोकान् कण्ठस्थीकुरुत।
 (पाठ में आये श्लोकों को कण्ठाग्र करो।)
‘विद्या’ इति शब्दमधिकृत्य अन्यश्लोकानाम् सङ्ग्रहणं शिक्षकस्य साहाय्येन कुरुत।
 (‘विद्या’ शब्द पर आधारित अन्य श्लोकों का संग्रह शिक्षक की सहायता से करो।)
उत्तर:
(1) नक्षत्रभूषणो चन्द्रो, नारीणाम् भूषणं पतिः।
 पृथिवीभूषणं राजा, विद्या सर्वस्य भूषणम्॥
(2) अपूर्वः कोऽपि कोशोऽयं विद्यते तव भारति।
 व्ययतो वृद्धिमायाति क्षयमायाति संचयात्।।
(3) विद्या नाम नरस्य रूपमधिक,प्रच्छन्न गुप्तं धनम्।
 विद्या भोगकरी यशः सुखकरी, विद्या गुरुणां गुरुः॥


Mujhe panchapath Mahima anuvad chahie