Short Questions
प्रश्न: भाग्य और साहस में किस बात पर झगड़ा हुआ?
उत्तर: दोनों में से कौन बड़ा है।
प्रश्न: भाग्य और साहस फैसला कराने कहाँ गए?
उत्तर: राजा विक्रमादित्य के पास।
प्रश्न: राजा विक्रमादित्य में क्या गुण थे?
उत्तर: सत्यवादी और न्यायप्रिय।
प्रश्न: राजा ने फैसला करने के लिए कितना समय मांगा?
उत्तर: छः महीने।
प्रश्न: राजा विक्रमादित्य ने भाग्य और साहस को क्या फैसला सुनाया?
उत्तर: दोनों बराबर हैं।
प्रश्न: सेठ ने राजा को कितने रुपये रोज पर नौकरी दी?
उत्तर: एक लाख रुपये।
प्रश्न: भाग्य ने अपने को बड़ा क्यों बताया?
उत्तर: क्योंकि वह राजा को रंक और रंक को राजा बना सकता है।
प्रश्न: साहस ने अपने को बड़ा क्यों बताया?
उत्तर: क्योंकि साहस के बिना कुछ नहीं किया जा सकता।
प्रश्न: राजा विक्रमादित्य ने क्यों राज्य छोड़ा?
उत्तर: भाग्य और साहस की परीक्षा के लिए।
प्रश्न: कहानी का क्या निष्कर्ष है?
उत्तर: भाग्य और साहस दोनों समान हैं।
Long Questions
प्रश्न: साहस ने अपने को किस तरह बड़ा सिद्ध किया?
उत्तर: साहस ने कहा कि भाग्य में धन लिखा हो तो भी साहस से ही जंगल जाना पड़ेगा। बिना साहस के सुख नहीं मिलता।
प्रश्न: भाग्य ने अपने को क्यों बड़ा कहा?
उत्तर: भाग्य ने कहा कि वह किसी को राजा से रंक और रंक से राजा बना सकता है। साहस से सुख नहीं मिल सकता अगर भाग्य में न हो।
प्रश्न: राजा विक्रमादित्य ने फैसला करने के लिए कितना समय मांगा और क्यों?
उत्तर: राजा ने छः महीने का समय मांगा। क्योंकि उन्हें सोचने और परीक्षा करने का समय चाहिए था।
प्रश्न: राजा ने भाग्य और साहस में से किसको बड़ा बताया और क्यों?
उत्तर: राजा ने दोनों को बराबर बताया। क्योंकि भाग्य से नौकरी मिली लेकिन साहस से जहाज को धक्का देकर सफलता मिली।
प्रश्न: राजा विक्रमादित्य ने सेठ से क्या काम मांगा?
उत्तर: राजा ने सेठ से कोई भी काम मांगा जो कोई न कर सके। उन्होंने एक लाख रुपये रोज तनख्वाह मांगी।
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