लेखक: घमण्डीलाल अग्रवाल
उद्देश्य (आइए सीखें)
- हिमालय के प्रति आस्था और विश्वास का भाव विकसित करना।
- कविता को हाव-भाव, सुर-लय और ताल के साथ पढ़ना।
- उपसर्ग, पर्यायवाची, और तत्सम शब्दों का परिचय प्राप्त करना।
- मुहावरों का सही प्रयोग सीखना।
कविता का सारांश
यह कविता हिमालय की महिमा और महत्व को दर्शाती है। हिमालय को भारतमाता का मुकुट और पिता के समान बताया गया है, जो सदियों से अडिग खड़ा है। यह देश की रक्षा करता है, दुश्मनों का सामना करता है, और गंगा की धारा लाकर लोगों की पीड़ा दूर करता है। हिमालय में जड़ी-बूटियाँ और सुंदर दृश्य हैं, जो इसे आशाओं का भंडार बनाते हैं। कविता यह भी कहती है कि हमें हिमालय की रक्षा करनी चाहिए, क्योंकि यह हमारी संस्कृति और शान का प्रतीक है।
कविता की पंक्तियाँ और उनका अर्थ
1. कितनी सदियाँ बीत चुकी हैं- एक जगह पर खड़ा हिमालय!
- हिमालय सदियों से एक ही जगह अटल खड़ा है।
2. रखवाली का वचन निभाए, कर्त्तव्यों की कथा सुनाए।
- हिमालय देश की रक्षा का वचन निभाता है और कर्तव्यनिष्ठा की कहानी कहता है।
3. अविचल और अडिग रहकर नित, मुस्कानों के कोश लुटाए।
- हिमालय अटल और स्थिर रहकर हमेशा खुशियाँ बाँटता है।
4. भारतमाता के मस्तक पर- लगे मुकुट-सा जड़ा हिमालय।
- हिमालय भारतमाता के मस्तक पर मुकुट की तरह शोभित है।
5. दुश्मन का मुख काला करता, जन-जन की पीड़ा को हरता।
- हिमालय दुश्मनों को हराता है और लोगों के दुख दूर करता है।
6. गंगा की धारा को लाए, पर-हित में ही जीता रहता।
- हिमालय गंगा की धारा लाता है और दूसरों की भलाई के लिए जीता है।
7. गर्व हमें है पिता सरीखा- ले मुकाबला अड़ा हिमालय।
- हिमालय पिता की तरह हमें गर्व देता है और दुश्मनों का डटकर सामना करता है।
8. जड़ी-बूटियाँ मिलें यहाँ पर, दृश्य यहाँ के सुंदर-सुखकर।
- हिमालय में औषधियाँ और सुंदर दृश्य मिलते हैं, जो मन को सुख देते हैं।
9. उत्तर दिशा देश की कायम, खुश हो इसे देखकर अंबर।
- हिमालय उत्तर दिशा में देश की रक्षा करता है, जिसे देखकर आकाश भी खुश होता है।
10. सतरंगी सपनों की आभा- उम्मीदों का घड़ा हिमालय।
- हिमालय रंग-बिरंगे सपनों की चमक और आशाओं का भंडार है।
11. हमको रक्षा इसकी करनी, कहती है यह हमसे जननी।
- भारतमाता कहती है कि हमें हिमालय की रक्षा करनी चाहिए।
12. यह पहचान संस्कृति की है, इसमें शान निहित है अपनी।
- हिमालय हमारी संस्कृति की पहचान और गर्व का प्रतीक है।
13. नई सदी के देख करिश्मे- लाज-शर्म से गड़ा हिमालय।
- नई सदी के गलत कार्यों को देखकर हिमालय शर्मिंदा होता है।
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