लेखक: लेखकगण
उद्देश्य (आइए सीखें)
- आत्मकथा विधा से परिचित होना।
- देश की मुद्रा और राष्ट्रीय चिह्नों की जानकारी प्राप्त करना।
- विभिन्न धातुओं से बनने वाले सिक्कों का ज्ञान लेना।
- विलोम शब्दों और वचन परिवर्तन का ज्ञान प्राप्त करना।
आत्मकथा का सारांश
यह पाठ एक सिक्के की आत्मकथा है, जिसमें सिक्का अपनी कहानी सुनाता है। सिक्का अपने गोल-चमकदार रूप और मनुष्य के लिए महत्व को बताता है। वह धरती के अंदर अयस्क के रूप में था, फिर खनन, भट्टी में शुद्धिकरण, और टकसाल में ढलाई के बाद सिक्का बना। प्राचीन समय में राजा इसे सोने, चाँदी, ताँबे या चमड़े में ढालते थे। स्वतंत्रता के बाद इसमें अशोक चिह्न और मूल्य अंकित हुआ। सिक्का लोगों की सेवा करता है, गुल्लक में अल्पबचत के रूप में रहता है, और आर्थिक उन्नति के साथ इसकी गति बढ़ी है। यह कागज़ के नोटों से अधिक टिकाऊ है और अनंत यात्रा वाला अजर-अमर है।
आत्मकथा की मुख्य बातें
1. सिक्के का रूप और महत्व:
- सिक्का गोल और चमकदार है, जो मनुष्य के मन को मोहित करता है।
- जेब में सिक्का हो तो मनुष्य खुश, न हो तो उदास।
2. सिक्के की शुरुआत:
- सिक्का पहले धरती में अयस्क के रूप में था।
- खनन के दौरान मशीनों और यंत्रों से इसे निकाला गया।
- लोग ललचाई आँखों से इसे देखते थे।
3. टकसाल में प्रक्रिया:
- अयस्क को भट्टी में शुद्ध किया गया, फिर टकसाल में पिघलाकर सिक्के का आकार दिया गया।
- यह प्रक्रिया कष्टप्रद थी, लेकिन सिक्के का अस्तित्व बना रहा।
4. प्राचीन सिक्के:
- राजा अपने राज्य की मुद्रा और मूल्य अंकित करते थे।
- सिक्के सोने, चाँदी, ताँबे, या चमड़े से बनाए जाते थे।
5. स्वतंत्रता के बाद सिक्के:
- सिक्के पर अशोक चिह्न, मूल्य, और जन्म वर्ष अंकित हुआ।
- यह समाज के हर वर्ग की सेवा करता है और सभी इसका आदर करते हैं।
6. सिक्के की यात्रा:
- टकसाल से बैंक, फिर लोगों तक पहुँचता है।
- बच्चे इसे गुल्लक में डालते हैं, जो अल्पबचत का प्रतीक है।
- यह दुकानदार, चायवाले, सब्जीवाले, दूधवाले तक जाता है।
7.आर्थिक उन्नति और सिक्के:
- जनसंख्या और आवश्यकताओं के साथ सिक्के की गति बढ़ी।
- सिक्कों की कमी के कारण कागज़ के नोट छापे गए।
- सिक्का नोटों से अधिक टिकाऊ है और अजर-अमर है।
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