प्रार्थना – सारांश
यह अध्याय “मत ठहरो तुमको चलना ही चलना है” एक प्रेरणादायक कविता है, जो जीवन में अनुशासन, गतिशीलता और दृढ़ निश्चय का महत्व सिखाती है। कविता कहती है कि रुकना नहीं चाहिए, क्योंकि गति ही जीवन है और ठहरना पतन है। अपने सुख की खोज छलावा है, इसलिए चलने का व्रत लेकर बाधाओं को ठुकराते हुए आगे बढ़ना चाहिए। कवि प्रेरणा देते हैं कि जमाने को साथ चलाओ, पिछड़ों को आगे बढ़ाओ, विश्व की प्रगति का प्रतीक बनो और जनहित के लिए ढल जाओ। बाधाएँ और असफलताएँ आती हैं, पर दृढ़ निश्चय से वे हट जाती हैं, इसलिए जीवन का कोई क्षण व्यर्थ नहीं गँवाना चाहिए। शिक्षण संकेत में कविता को हाव-भाव के साथ पढ़ने और जीवन को गतिशील बनाने पर चर्चा करने को कहा गया है। व्याकरण में ‘मत’ का प्रयोग (जैसे मत ठहरो), विलोम शब्द (जैसे लाभ-हानि, आशा-निराशा), और तुकान्त शब्द सिखाए गए हैं। अभ्यास में तुकान्त शब्द ढूँढना, विलोम शब्द लिखना, और ‘मत’ का प्रयोग करना शामिल है। योग्यता विस्तार में कविता का सस्वर वाचन, चार पंक्तियों की कविता बनाना और ‘चलना ही चलना है’ पर विचार लिखना सिखाया गया है। अंत में संदेश है कि प्रत्येक नया दिन पिछले दिन से कुछ सीखने वाला होना चाहिए।
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