प्रार्थना – सारांश
यह अध्याय “नरबदी” एक गोंडी लोक कथा है, जो मैकल पर्वत के जंगली गाँव में रहने वाले दुग्गन और उसकी 12 साल की बेटी नरबदी की कहानी बताती है। नरबदी की माँ उसे जन्म देते ही स्वर्ग सिधार गई थी, इसलिए दुग्गन ने उसे माँ की तरह पाला। नरबदी अपने पिता से बहुत प्यार करती थी और उनके साथ जंगल में कंदमूल या फल-फूल इकट्ठा करने जाती थी। एक दिन बरसात से पहले झोपड़ी की मरम्मत के लिए बाँस लेने दुग्गन और नरबदी पहाड़ पर गए। वहाँ पानी खत्म हो गया और धूप तेज थी। मोटे बाँस देखकर दुग्गन खुश हुआ, लेकिन कहानी का अंत नहीं बताया गया, जो उनके त्याग और समर्पण को दर्शाता है। यह कथा जनजातीय जीवन और अपनों के लिए त्याग की भावना सिखाती है। व्याकरण में वाक्य संरचना, क्रिया विशेषण (जैसे तेजी से), विशेषण (जैसे प्यारी बेटी), और नए शब्द बनाना (जैसे आत्म+प्रशंसा=आत्मप्रशंसा) समझाया गया है। अभ्यास में रिक्त स्थान पूर्ति, वाक्य जोड़ना, विशेषण-क्रिया विशेषण छाँटना और शब्द निर्माण शामिल है। योग्यता विस्तार में त्याग-समर्पण वाली लोक कथाएँ और जनजातीय संस्कृति की कहानियाँ संकलित कर कक्षा में सुनाने को कहा गया है। अंत में संदेश है कि जो जितनी भलाई करता है, उसे उतना ही सुख मिलता है।
Leave a Reply