प्रार्थना – सारांश
यह अध्याय “ज्ञानदा की डायरी” डायरी लेखन की विधा पर आधारित है, जिसमें ज्ञानदा नाम की एक लड़की अपनी डायरी में 5 नवंबर 2005 की प्रविष्टि लिखती है। वह सुबह जल्दी उठकर टीकमगढ़ जाने की तैयारी करती है, क्योंकि उसे राज्य स्तरीय स्कूली हॉकी प्रतियोगिता के लिए भोपाल संभाग की बालिका सीनियर टीम में चुना गया है। चयन के लिए उसे अन्य खिलाड़ियों से कड़ी स्पर्धा का सामना करना पड़ा, और भोपाल संभाग में चुना जाना उसके लिए गौरव की बात है। भोपाल को ‘हॉकी का गढ़’ कहा जाता है, क्योंकि यहाँ के कई खिलाड़ी जैसे अहमद शेर खान, इनामुर्रहमान, असलम शेर खान, महबूब खान, जलालुद्दीन और समीर दाद ने ओलंपिक, एशियन खेलों और विश्व कप में देश का प्रतिनिधित्व किया है। अध्याय में खेल भावना, धैर्य, सहिष्णुता, उदारता और शीघ्र निर्णय जैसे गुणों को अपनाने की प्रेरणा दी गई है। व्याकरण में मुहावरों का प्रयोग (जैसे आखिरकार, मुँह अँधेरे), अनेकार्थी शब्दों का ज्ञान (जैसे ‘पानी’ का अर्थ जल, चमक या इज्जत), शब्दों को जोड़कर नए शब्द बनाना (जैसे शोक + सागर = शोकसागर), और विदेशी शब्दों की पहचान (जैसे हॉकी, ओलंपिक) सिखाया गया है। हिन्दी, अंग्रेजी और उर्दू शब्दों को अलग-अलग तालिकाओं में वर्गीकृत करना सिखाया गया है। ध्यान देने वाले भाग में श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द जैसे बड़-बढ़, चड़-चढ़ के उदाहरण दिए गए हैं, जो एक जैसे सुनाई देते हैं लेकिन अर्थ अलग होते हैं। योग्यता विस्तार में समाचार पत्रों से हॉकी प्रतियोगिताओं और खिलाड़ियों की सूची बनाना, भारत के ओलंपिक प्रदर्शन की जानकारी इकट्ठा करना, हॉकी और अन्य खेलों पर विस्तार से जानना, पसंदीदा खेल पर छोटा निबंध लिखना और रोजाना डायरी लिखना सिखाया गया है। अध्याय का अंतिम संदेश है कि मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।
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