प्रार्थना – सारांश
यह अध्याय “दादी की घड़ी” नामक कहानी पर आधारित है, जिसमें दीपू नामक एक छोटा लड़का अपनी संयुक्त परिवार की मुश्किलों का सामना करता है। दीपू घर का सबसे छोटा सदस्य है, इसलिए उसे भाई-बहन की डाँट सुननी पड़ती है और घर के छोटे-मोटे काम करने पड़ते हैं। वह सोचता है कि अगर वह बड़ा होता तो उसका भी रौब होता, लेकिन घरवाले उसे अभी भी बच्चा समझते हैं। दीपू को पढ़ने के लिए मेज नहीं मिलती और अलार्म घड़ी भी नहीं है। एक दिन उसे स्कूल की पिकनिक के लिए सुबह पाँच बजे उठना है, लेकिन अलार्म न होने से वह चिंतित है। वह अपने तकिए से कहता है कि उसे जगाना, और दादी उसे बताती हैं कि असली अलार्म दिल में होता है; अगर कोई काम जरूरी है तो दिल खुद जगा देता है। अगली सुबह दीपू समय पर उठ जाता है और पिकनिक के लिए तैयार होता है। कहानी से सीख मिलती है कि इच्छा-शक्ति से कोई काम सफल होता है और संयुक्त परिवार में आपसी प्रेम और समन्वय महत्वपूर्ण है। व्याकरण में निपात (जैसे- भी, ही, पर) का प्रयोग सिखाया गया है, जो शब्दों पर जोर देता है। वाक्यों में शब्दों का सही क्रम समझाया गया है, जैसे गलत क्रम वाले वाक्यों को ठीक करना। बहुविकल्पी प्रश्नों से शब्दों के अर्थ और प्रकार समझाए गए हैं, जैसे ‘स्टूल’ विदेशी शब्द है। योग्यता विस्तार में दीपू की जगह सुबह उठने की युक्ति सोचना, बच्चों की रोचक कहानी सुनाना और कहानी का नाट्य रूपांतर करना सिखाया गया है।
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