प्रार्थना – सारांश
पाठ “उत्साह” एक प्रेरणादायक कविता है, जिसमें कवि भवानीप्रसाद मिश्र ने जीवन में आगे बढ़ने का संदेश दिया है। कवि कहते हैं कि हमें आराम और दूसरों पर निर्भर रहकर नहीं जीना चाहिए, क्योंकि यह सबसे बुरी और शर्मनाक जिंदगी है। जीवन की यात्रा में समय लगातार बीत रहा है, इसलिए शुभ अवसर या महूरत का इंतज़ार किए बिना आगे बढ़ते रहना चाहिए। अतीत की बातों में खोकर या पुराने गौरव पर गर्व करते रहने से प्रगति नहीं होती, बल्कि बदलते जमाने के साथ स्वयं को बदलना ज़रूरी है। जीवन की कठिनाइयाँ लहरों और लपटों की तरह आती हैं, लेकिन उनसे घबराने के बजाय उत्साह और जोश से आगे बढ़ना चाहिए। कवि का मानना है कि उत्साह ही इंसान को सफलता और आत्मसम्मान दिलाता है। इस कविता का मूल संदेश है कि हर परिस्थिति में हिम्मत और उत्साह के साथ लगातार आगे बढ़ते रहना ही सच्चे जीवन की पहचान है।
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