प्रार्थना – सारांश
यह अध्याय “गौरैया” नामक कविता पर आधारित है, जो एक छोटी गौरैया के आँगन में आने और उसकी सुंदरता का वर्णन करती है। कविता में गौरैया मटमैले आँगन में फुदकती है, उसका नीड़ कच्ची मिट्टी की दीवारों और घास-पात के छाजन में तिनकों से बना है। कवि उसे हरियाली की रानी कहता है, उसकी नीली आँखें नीलम जैसी, पर सोने जैसे सुंदर और बिजली-सी चंचल हैं। गौरैया मटके, अरगनी पर बैठती और चिऊँ-चिऊँ चहकती है, जिसे देख कवि उसे बहन बनाना चाहता है। कविता की गेयता, सरसता और चित्रात्मक सुंदरता को समझाने पर जोर है। शिक्षण संकेत में कविता को हाव-भाव और आरोह-अवरोह के साथ पढ़ना सिखाया गया है। व्याकरण में ध्वन्यात्मक शब्द (जैसे चिऊँ-चिऊँ), पुनरुक्ति, विशेषण-विशेष्य (जैसे मधुर बलैया), समानता दर्शाने वाले शब्द (जैसे नीलम-सी नीली आँखें), पर्यायवाची और विलोम शब्द सिखाए गए हैं। अभ्यास में विशेषण-विशेष्य पहचानना, समानता दर्शाने वाले शब्द लिखना, पर्यायवाची और विलोम शब्द लिखना शामिल है। योग्यता विस्तार में घर के आसपास के पक्षियों के नाम पता करना, पशु-पक्षियों पर कविताएँ सुनाना, चिड़िया के घोंसले की जगहों की जानकारी और चिड़िया का रंगीन चित्र बनाना सिखाया गया है। अंत में कहा गया है कि जो आँगन में पेड़ लगाए, उसके घर में चिड़िया आए।
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