प्रार्थना – सारांश
पाठ “भाग्य बड़ा या साहस?” एक शिक्षाप्रद कहानी है जिसमें भाग्य और साहस के बीच विवाद होता है। भाग्य कहता है कि वही सबसे बड़ा है क्योंकि वह किसी को राजा से रंक और रंक से राजा बना सकता है। साहस का तर्क है कि बिना साहस के कोई भी कार्य संभव नहीं है और साहस के बल पर ही सफलता मिलती है। दोनों के विवाद को सुलझाने के लिए वे राजा विक्रमादित्य के पास जाते हैं। राजा इस प्रश्न का उत्तर तुरंत नहीं देते और छह महीने का समय माँगते हैं। इस दौरान वे अपना राज-पाट छोड़कर साधारण जीवन जीते हैं और सेठ के यहाँ नौकरी करते हैं। एक बार समुद्र यात्रा के दौरान जहाज बीच समुद्र में फँस जाता है। वहाँ राजा के साहस से जहाज को धक्का देकर आगे बढ़ाया जाता है। इससे स्पष्ट होता है कि भाग्य ने उन्हें अवसर दिया, लेकिन साहस ने ही उस अवसर को सफलता में बदला। अंत में राजा विक्रमादित्य निर्णय देते हैं कि न तो भाग्य बड़ा है और न ही साहस, बल्कि दोनों समान महत्व रखते हैं। यह कहानी हमें सिखाती है कि सफलता के लिए भाग्य और साहस दोनों का होना आवश्यक है।
Leave a Reply