याचक और दाता
Short Questions
1. वृद्धा मंदिर के पास क्या बेचती थी?
उत्तर: फूल।
2. वृद्धा बच्चे के लिए क्या जमा करती थी?
उत्तर: पैसे।
3. सेठ बनारसीदास के यहाँ कौन लोग आते थे?
उत्तर: जरूरतमंद लोग।
4. वृद्धा ने अपनी बचत कहाँ रखी थी?
उत्तर: हाँड़ी में।
5. सेठ जी ने बच्चे की पहचान कैसे की?
उत्तर: जाँघ पर लाल रंग के चिह्न से।
6. बच्चे का नाम क्या था?
उत्तर: मोहन।
7. वृद्धा ने सेठ जी से क्या माँगा?
उत्तर: जमा हाँड़ी से रुपये।
8. मोहन के बीमार होने पर वृद्धा ने क्या किया?
उत्तर: सेठ जी के यहाँ रुपये माँगने गई।
9. सेठ जी ने वृद्धा से क्या कहा जब वह रुपये माँगने गई?
उत्तर: तुम्हारा कुछ भी जमा नहीं है।
10 अंत में वृद्धा ने हाँड़ी के रुपये के बारे में क्या कहा?
उत्तर: यह मोहन के लिए थे, उसी को दे देना।
Long Questions
1. वृद्धा को उसकी मंजिल कैसे मिल गई थी?
उत्तर: वृद्धा को बच्चे को पालने, खिलाने और प्रसन्न देखने में सुख मिलता था। इससे उसे लगता था कि उसका जीवन सार्थक हो गया।
2. मोहन कौन था और वह वृद्धा के पास कैसे आया?
उत्तर: मोहन सेठ बनारसीदास का खोया हुआ बेटा था। वह कुछ वर्ष पहले रोते हुए वृद्धा की गोद में मिला और उसके पास रहने लगा।
3. मोहन ज्वर से कैसे मुक्त हुआ?
उत्तर: वृद्धा की ममता और उसके स्नेह भरे स्पर्श ने मोहन को ठीक किया। दवाइयों से नहीं, माँ की गोद ने उसकी जान बचाई।
4. “सेठ याचक था और वह दाता” का क्या अर्थ है?
उत्तर: सेठ जी ने वृद्धा से ममता की भीख माँगी, जबकि वृद्धा ने निस्वार्थ भाव से मोहन को पाला। इसलिए वृद्धा दाता बनी और सेठ याचक।
5. सेठ जी और वृद्धा में से किसका चरित्र आपको अच्छा लगा और क्यों?
उत्तर: वृद्धा का चरित्र अच्छा लगा क्योंकि वह निस्वार्थ, ममतामयी और मेहनती थी। उसने बिना स्वार्थ के मोहन को पाला और उसकी जान बचाई।
Leave a Reply