Short Quetsions Answer
प्रश्न: ग्वालिन का नाम क्या था?
उत्तर: ग्वालिन का नाम हीरा था।
प्रश्न: हीरा की गाय का नाम क्या था?
उत्तर: हीरा की गाय का नाम कुणी था।
प्रश्न: हीरा दूध बेचने के लिए कहाँ जाती थी?
उत्तर: हीरा दूध बेचने के लिए रायगढ़ के किले में जाती थी।
प्रश्न: बछिया को दूध न मिलने पर वह क्या करती थी?
उत्तर: बछिया दूध के लिए तरसती और बिलखती रहती थी।
प्रश्न: किले का फाटक बंद होने पर पहरेदार ने क्या कहा?
उत्तर: पहरेदार ने कहा, “आज्ञा नहीं है।”
प्रश्न: हीरा अपने बच्चे के लिए क्यों छटपटाने लगी?
उत्तर: क्योंकि उसका बच्चा भूखा था और वह किले में फँस गई थी।
प्रश्न: हीरा किले की दीवार से कैसे उतरी?
उत्तर: हीरा चट्टानों पर एक-एक पत्थर पर पैर टिकाकर धीमे-धीमे उतरी।
प्रश्न: राजा ने हीरा को जागीर में क्या दिया?
उत्तर: राजा ने हीरा को एक गाँव जागीर में दिया।
प्रश्न: राजा ने कठिन रास्ते का नाम क्या रखा?
उत्तर: राजा ने कठिन रास्ते का नाम “हीरा-कुणी” रखा।
प्रश्न: हीरा ने उस दिन बछिया को क्यों नहीं बाँधा?
उत्तर: क्योंकि हीरा का मन अपने बच्चे की भूख के कारण द्रवित हो गया था।
Long Questions Answer
प्रश्न: हीरा बछिया के साथ दूध दुहते समय कैसा व्यवहार करती थी और क्यों?
उत्तर: हीरा दूध दुहते समय बछिया के साथ कठोर व्यवहार करती थी। वह बछिया को अपनी माँ कुणी से दूध पीने नहीं देती थी और उसे खूँटे से बाँधे रखती थी। ऐसा इसलिए क्योंकि वह सारा दूध राजा को बेचने के लिए ले जाती थी। हीरा का ध्यान केवल अपने बच्चे और दूध बेचने पर था, जिसके कारण वह बछिया के प्रति दया नहीं दिखाती थी।
प्रश्न: किले का फाटक बंद होने पर हीरा ने क्या किया और उसका मन क्यों छटपटाने लगा?
उत्तर: जब किले का फाटक बंद हो गया, तो हीरा ने पहरेदार से विनती की कि फाटक खोल दिया जाए। उसने फाटक की जंजीर पकड़कर हिलाई और रोकर कहा कि उसका बच्चा भूखा है। उसका मन अपने बच्चे के लिए छटपटाने लगा क्योंकि वह अपने बच्चे को दूध पिलाने के लिए समय पर घर नहीं पहुँच पा रही थी। उसकी छाती फटने लगी थी, क्योंकि वह अपने बच्चे की भूख और रोने की कल्पना कर रही थी।
प्रश्न: हीरा ने किले की दीवार से उतरने का जोखिम भरा रास्ता कैसे चुना?
उत्तर: जब हीरा किले में फँस गई और फाटक नहीं खुला, तो उसने अपने बच्चे के पास पहुँचने के लिए जोखिम भरा रास्ता चुना। किले की दीवार पुरानी थी और एक जगह पर पहाड़ धँस गया था, जहाँ एक पीपल का पेड़ दीवार पर झुका था। चाँदनी में चट्टानों की नोंकें घड़ियाल के दाँतों की तरह चमक रही थीं। हीरा ने एक-एक पत्थर पर पैर टिकाकर, धीमे-धीमे उस कठिन रास्ते से उतरकर अपने घर पहुँचने का साहस दिखाया।
प्रश्न: राजा का मन हीरा की कहानी सुनकर क्यों पिघला और उसने क्या किया?
उत्तर: राजा का मन हीरा की कहानी सुनकर पिघला क्योंकि उसे हीरा की ममता और अपने बच्चे के लिए किए गए साहसिक प्रयास का पता चला। हीरा ने अपने बच्चे तक पहुँचने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी थी। राजा ने उसकी भावनाओं और मातृत्व की गहराई को समझा। इसलिए, उसने हीरा को एक गाँव जागीर में दे दिया और उस कठिन रास्ते का नाम “हीरा-कुणी” रखा, ताकि उसकी कहानी अमर रहे।
प्रश्न: कहानी “हीरा-कुणी” से हमें पालित पशु-पक्षियों के प्रति स्नेह भाव के बारे में क्या सीख मिलती है?
उत्तर: कहानी “हीरा-कुणी” हमें पालित पशु-पक्षियों के प्रति स्नेह और दया भाव रखने की सीख देती है। शुरू में हीरा बछिया के प्रति कठोर थी और उसे दूध नहीं पीने देती थी, लेकिन जब वह स्वयं अपने बच्चे की भूख के दर्द से गुजरी, तो उसका मन बछिया के प्रति भी द्रवित हुआ। उसने बछिया को उस दिन नहीं बाँधा, जिससे वह अपनी माँ कुणी से दूध पी सकी। यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें अपने पालतू पशुओं की भावनाओं और जरूरतों का ध्यान रखना चाहिए, जैसे हम अपने परिवार का रखते हैं।
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