वर दे
पाठ-परिचय
कविता का नाम: वर दे!
कवि: सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’
मुख्य विषय:
- इस कविता में कवि ने माँ सरस्वती की वंदना की है।
 - कवि माँ सरस्वती से भारत के नव-निर्माण के लिए वरदान माँगते हैं।
 - वे चाहते हैं कि देश में स्वतंत्रता, ज्ञान, प्रकाश और नई ऊर्जा का संचार हो, जिससे समूचा संसार आलोकित हो।
 
शिक्षण-संकेत:
- कविता को भाव और लय के साथ बच्चों को सुनाएँ और उनसे भी सुनवाएँ।
 - कठिन शब्दों के अर्थ बच्चों की सहायता से समझाएँ।
 - कविता के भाव को बच्चों के साथ मिलकर स्पष्ट करें।
 
कवि परिचय
नाम: सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’
जन्म: सन् 1897, मेदिनीपुर, बंगाल
पिता का गाँव: गढ़ाकोला, उन्नाव जिला, उत्तर प्रदेश
कार्य क्षेत्र: मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश
विशेषताएँ:
- हिंदी साहित्य के छायावादी युग के प्रमुख कवि (निराला, जयशंकर प्रसाद और सुमित्रानंदन पंत की त्रिमूर्ति में से एक)।
 - हिंदी कविता में मुक्त छंद की शुरुआत करने वाले।
 - रचनाओं में प्रेम, सौंदर्य, उल्लास, ओज और भक्ति की भावना।
 
प्रमुख रचनाएँ: कविताएँ, कहानियाँ, निबंध। जैसे- जूही की कली, राम की शक्ति पूजा आदि।
कविता का सार
- कवि माँ सरस्वती से प्रार्थना करते हैं कि वे भारत को स्वतंत्रता, ज्ञान और प्रकाश से भर दें।
 - वे देश के अंधकार (अज्ञानता) और बंधनों को काटने की कामना करते हैं।
 - कवि प्रकृति और समाज में नयापन चाहते हैं, जैसे नई गति, नई लय, नए गीत और नए उत्साह।
 - कविता में देश को नई शक्ति और जागरूकता से भरने का संदेश है।
 
कविता की पंक्तियाँ और भाव
1. वर दे, वीणावादिनि, वर दे | प्रिय स्वतन्त्र रव, अमृत मन्त्र नव | भारत में भर दे!
- अर्थ: कवि माँ सरस्वती से वरदान माँगते हैं कि वे भारत में स्वतंत्रता, अमर मंत्र और नई शक्ति का संचार करें।
 - भाव: कवि देश में आजादी और ज्ञान की भावना को जागृत करना चाहते हैं।
 
2.काट अन्ध उर के बन्धन स्तर | बहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर | कलुष भेद, तम हर, प्रकाश भर | जगमग जग कर दे!
- अर्थ: कवि कहते हैं कि माँ सरस्वती मन के अंधकार और बंधनों को काट दें, ज्ञान का प्रकाशमय झरना बहाएँ, अशुद्धता और अंधकार को हटाकर दुनिया को चमकदार बनाएँ।
 - भाव: यहाँ अज्ञानता और दुखों को हटाकर देश में ज्ञान और खुशहाली लाने की प्रार्थना है।
 
3. नव गति, नव लय, ताल-छंद नव | नवल कंठ, नव जलद मन्द्र रव | नव नभ के नव विहग वृन्द को | नव पर, नव स्वर दे!
- अर्थ: कवि प्रकृति और समाज में नई गति, नई लय, नए गीत, नई आवाज़ और नए उत्साह की कामना करते हैं। वे चाहते हैं कि पक्षियों को नए पंख और नई आवाज़ मिले।
 - भाव: कवि हर चीज़ में नयापन और जोश चाहते हैं, जो देश को प्रगति की ओर ले जाए।
 

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