याचक और दाता
पाठ का परिचय
यह कहानी रवीन्द्रनाथ ठाकुर की ‘भिखारिन’ पर आधारित है। यह हमें मानवीय मूल्यों जैसे ईमानदारी, निस्वार्थ सेवा और ममता की महत्ता सिखाती है। कहानी में एक नेत्रहीन वृद्धा और एक बच्चे की कहानी है, जो सच्ची ममता और त्याग को दर्शाती है। इसके साथ ही यह पूंजीवादी और सामंती व्यवस्था के नकारात्मक प्रभावों को भी दिखाती है।
कहानी का सार
एक नेत्रहीन वृद्धा मंदिर के पास फूल बेचती है और एक अनजान बच्चे का पालन-पोषण करती है।
वह बच्चे के भविष्य के लिए मेहनत से पैसे बचाती है और सेठ बनारसीदास के पास जमा करती है।
जब बच्चा बीमार पड़ता है, तो सेठ पैसे लौटाने से इंकार कर देता है।
बाद में सेठ को पता चलता है कि बच्चा उसका खोया हुआ बेटा मोहन है, तब वह उसका इलाज करवाता है।
वृद्धा की ममता और निस्वार्थ प्रेम बच्चे को ठीक करने में मदद करता है।
अंत में, वृद्धा बच्चे को सेठ के पास छोड़कर चली जाती है, जिससे वह सेठ से अधिक दानशील साबित होती है।
मुख्य पात्र
1. वृद्धा: एक नेत्रहीन, दयालु और मेहनती महिला, जो फूल बेचती है और अनजान बच्चे को अपनी माँ की तरह पालती है।
2. मोहन: एक बच्चा, जो वृद्धा की गोद में आता है और बाद में पता चलता है कि वह सेठ बनारसीदास का खोया हुआ बेटा है।
3. सेठ बनारसीदास: धनी और धर्मात्मा माने जाने वाले व्यक्ति, जो पहले वृद्धा की जमा राशि लौटाने से मना करते हैं, लेकिन बाद में बदल जाते हैं।
4. मुनीम: सेठ का सहायक, जो सेठ के साथ वृद्धा की जमा राशि को नकारता है।
मुख्य बिंदु
1.वृद्धा की मेहनत और ममता:
- वह मंदिर के पास फूल बेचती थी और अपनी मधुर आवाज से लोगों को आकर्षित करती थी।
- वह एक अनजान बच्चे को अपनाकर उसका पालन-पोषण करती थी।
- बच्चे के लिए वह दिन-रात मेहनत करती और पैसे बचाकर हाँड़ी में रखती थी।
2. सेठ बनारसीदास का व्यवहार:
- सेठ को धर्मात्मा माना जाता था, लेकिन जब वृद्धा ने अपनी जमा राशि मांगी, तो उन्होंने उसे नकार दिया।
- जब उन्हें पता चला कि बच्चा उनका बेटा है, तब वे उसका इलाज करवाने लगे और वृद्धा से माफी मांगी।
3. वृद्धा का त्याग:
- वृद्धा ने मोहन को सेठ को सौंप दिया और अपनी जमा राशि भी उसे दे दी।
- वह बच्चे की खुशी के लिए सब कुछ छोड़कर अपनी झोपड़ी में लौट गई।
4. कहानी का संदेश:
- सच्ची ममता और निस्वार्थ सेवा सबसे बड़ा दान है।
- धन और अहंकार इंसान को स्वार्थी बना सकते हैं, लेकिन प्रेम और दया उसे फिर से इंसानियत की राह पर ला सकते हैं।
लेखक परिचय: रवीन्द्रनाथ ठाकुर
रवीन्द्रनाथ ठाकुर बंगला साहित्य के महान साहित्यकार थे।
उन्होंने कहानियाँ, नाटक, कविताएँ और उपन्यास लिखे, जो बंगला साहित्य की धरोहर हैं।
भारत के राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ के रचयिता वही हैं।
उन्हें साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार मिला।
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