नव संवत्सर
1. पाठ का परिचय
- नव संवत्सर भारतीय परंपराओं और विश्वासों से जुड़ा एक महत्वपूर्ण पर्व है।
- यह चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होता है, जिसे गुड़ी पड़वा भी कहते हैं।
- इस दिन से भारतीय नव वर्ष शुरू होता है।
- इस पर्व से कई पौराणिक कथाएँ और लोक परंपराएँ जुड़ी हैं।
- इस पाठ में विक्रम संवत्, भारतीय महीनों, तिथियों, और अन्य संवत्सरों की जानकारी वार्तालाप शैली में दी गई है।
- साथ ही, प्रत्यय, संधि, समास, विशेषण-विशेष्य जैसे भाषा के नियमों को भी समझाया गया है।
2. कहानी का सार
पात्र: अखिल, समिधा, श्रीकांत, और शेखर।
प्रसंग: चैत्र के महीने में चारों पात्र नव संवत्सर और गुड़ी पड़वा के बारे में बातचीत करते हैं।
शेखर अपने दोस्तों को भारतीय नव वर्ष, विक्रम संवत्, और इससे जुड़ी परंपराओं के बारे में बताता है।
3. मुख्य बिंदु
(क) नव संवत्सर और गुड़ी पड़वा
नव संवत्सर: यह भारतीय नव वर्ष है, जो चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होता है।
गुड़ी पड़वा:
‘गुड़ी’ का अर्थ है ध्वज या झंडा और ‘पड़वा’ का अर्थ है प्रतिपदा।
यह पर्व महाराष्ट्र में खास तौर पर मनाया जाता है।
परंपरा के अनुसार, इस दिन श्री राम ने किष्किंधा के राजा बाली का वध किया था। इसके बाद प्रजा ने गुड़ी (झंडा) फहराकर उत्सव मनाया।
लोग अपने घरों के आंगन में बांस के सहारे गुड़ी खड़ी करते हैं।
पौराणिक महत्व:
इस दिन प्रजापति ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी।
भगवान विष्णु का मत्स्यावतार भी इसी तिथि को प्रकट हुआ था।
यह सतयुग के शुरू होने की तिथि मानी जाती है।
चैती चाँद: इस दिन भगवान झूलेलाल की जयंती भी मनाई जाती है। वे साम्प्रदायिक एकता और सद्भाव के प्रतीक हैं।
(ख) विक्रम संवत्
विक्रम संवत् की शुरुआत उज्जयिनी के राजा विक्रमादित्य ने 57 ई.पू. में की थी।
यह संवत् शक राजाओं पर विजय के उपलक्ष्य में शुरू हुआ।
भारतीय महीनों के नाम:
- चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, अश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ, फाल्गुन।
संवत्सर चक्र:
प्राचीन ग्रंथों (जैसे ऋग्वेद, अथर्ववेद) में संवत्सर को काल चक्र के रूप में बताया गया है।
इसमें 12 महीने, 360 तिथियाँ, 6 ऋतुएँ (बसंत, ग्रीष्म, पावस, शरद, हेमंत, शिशिर), और 3 चातुर्मास (ग्रीष्म, वर्षा, शीत) शामिल हैं।
नामकरण: संवत्सरों के नाम 60 वर्षों के चक्र में दोहराए जाते हैं। उदाहरण:
2063 का संवत्सर – विकारी।
इससे पहले: हेमलंब और बिलंब।
(ग) चंद्र वर्ष और सौर वर्ष
चंद्र वर्ष:
लगभग 354 दिन का होता है।
इसे 360 तिथियों में बांटा जाता है।
प्रत्येक महीने के दो पक्ष होते हैं:
शुक्ल पक्ष: अमावस्या के बाद प्रतिपदा से पूर्णिमा तक (15 या 14 दिन)।
कृष्ण पक्ष: पूर्णिमा के बाद प्रतिपदा से अमावस्या तक (15 या 14 दिन)।
चंद्र वर्ष में कभी-कभी अधिक मास (मलमास) जोड़ा जाता है, जैसे दो सावन या दो आषाढ़।
सौर वर्ष:
लगभग 365 दिन 6 घंटे 9 मिनट का होता है।
यह पृथ्वी के सूर्य की परिक्रमा पर आधारित है।
सामंजस्य:
चंद्र वर्ष और सौर वर्ष में अंतर को ठीक करने के लिए हर 32-33 महीनों में अधिक मास जोड़ा जाता है।
(घ) तिथियाँ और पंचांग
तिथियाँ:
प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा, अमावस्या।
ये दोनों पक्षों (शुक्ल और कृष्ण) में होती हैं।
पंचांग:
तिथि, पक्ष, माह, चंद्रमा, सूर्य, और नक्षत्रों की स्थिति बताता है।
चंद्रमा की कलाओं को देखकर भी तिथियों का अनुमान लगाया जा सकता है।
राशियाँ:
भारतीय महीने नक्षत्रों पर आधारित हैं: चित्रा, विशाखा, ज्येष्ठा, आदि।
सूर्य प्रत्येक चंद्र मास में एक राशि पार करता है, जिसे संक्रांति कहते हैं।
यदि किसी महीने में संक्रांति नहीं होती, तो उसे अधिक मास कहा जाता है।
(ङ) क्षेत्रीय अंतर
उत्तर भारत:
विक्रम संवत् चैत्रादि (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा) से शुरू होता है।
महीना कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से शुरू होकर पूर्णिमा पर खत्म होता है (पूर्णिमान्त)।
दक्षिण भारत:
संवत्सर कार्तिकादि (कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा) से शुरू होता है।
महीना शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से शुरू होकर अमावस्या पर खत्म होता है (अमान्त)।
व्यापारी: कार्तिकादि नववर्ष मनाते हैं और दीपावली पर नया बहीखाता शुरू करते हैं।
(च) अन्य पर्व
नवरात्रि:
वासंतीय नवरात्रि: चैत्र माह में शुरू होती है।
शारदीय नवरात्रि: आश्विन माह में शुरू होती है, जो दशहरा पर खत्म होती है।
रामनवमी: चैत्र शुक्ल नवमी को भगवान राम का जन्मदिन मनाया जाता है।
दशहरा: रावण पर श्री राम की विजय का प्रतीक, बुराई पर अच्छाई की जीत।
चैती चाँद: भगवान झूलेलाल की जयंती, जो सिन्धी समुदाय में धूमधाम से मनाई जाती है।
(छ) भगवान झूलेलाल
जन्म: विक्रम संवत् 1007, सिन्ध प्रांत (अब पाकिस्तान) के नसीरपुर में।
महत्व: साम्प्रदायिक एकता और सद्भाव के प्रतीक।
सिन्धी समुदाय उनकी जयंती को उत्सव के रूप में मनाता है।
(ज) अन्य संवत्
ईसवी संवत्: ईसा मसीह के जन्म से शुरू।
शक संवत्: राष्ट्रीय संवत्, विक्रम संवत् से 135 वर्ष बाद शुरू।
हिजरी संवत्: हजरत मुहम्मद के मक्का से हिजरत से शुरू।
शालिवाहन संवत्: महाराज शालिवाहन द्वारा शुरू, गुड़ी पड़वा से प्रारंभ।
कलि संवत्: कलियुग के पहले दिन से शुरू, भगवान कृष्ण के अवसान के बाद।
बंगला संवत्: बंगाल में प्रचलित।
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