उद्देश्य
- मध्यप्रदेश के पर्यटन स्थलों के बारे में जानकारी प्राप्त करना।
 - साँची के स्तूप का परिचय जानना।
 - कारक का सामान्य परिचय प्राप्त करना।
 
पाठ का सार (डायरी के रूप में)
1. पहली प्रविष्टि: ग्वालियर, रात्रि 9:00, 8.10.07
- हम कल साँची जाने वाले हैं।
 - गुरुजी ने बताया कि साँची अपने बौद्ध स्तूप के लिए विश्व प्रसिद्ध है।
 - बौद्ध धर्म भारत और दुनिया के कई देशों (चीन, जापान, मंगोलिया, तिब्बत, नेपाल, म्यांमार, कम्बोडिया) का प्रमुख धर्म है।
 - साँची का स्तूप विश्व धरोहर है।
 - बौद्ध धर्म के प्रवर्तक भगवान गौतम बुद्ध हैं।
 - साँची प्राचीन काल में बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र था।
 - साँची के स्तूप, विहार, मंदिर, स्तंभ, तोरणद्वार प्रसिद्ध हैं, जो ईसा पूर्व तीसरी सदी से ईसा बाद बारहवीं सदी तक मौर्य, शुंग, सातवाहन राजाओं द्वारा बनाए गए।
 - साँची में चुनार पत्थर का स्तंभ है, जिस पर सम्राट अशोक का शिलालेख है।
 - साँची रायसेन जिले में स्थित है।
 - निकट का रेलवे स्टेशन विदिशा है।
 - साँची छोटा रेलवे स्टेशन है, झाँसी-इटारसी लाइन पर।
 - सड़क से विदिशा, रायसेन, भोपाल, सागर, इन्दौर, ग्वालियर से जुड़ा है।
 - कल ट्रेन से विदिशा जाना है।
 
2.दूसरी प्रविष्टि: साँची, रात्रि 9:15, 9.10.07
- दोपहर 4 बजे साँची पहुँचे।
 - ग्वालियर से विदिशा ट्रेन से, फिर बस से साँची।
 - मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग के पर्यटक आवास गृह में रुके।
 - बच्चे स्तूप देखना चाहते थे, लेकिन गुरुजी ने कहा थकान के कारण आज सिर्फ संग्रहालय देखें।
 - कल स्तूप देखने में ज्यादा आनंद आएगा।
 - पहाड़ी पर गुम्बदनुमा इमारत दिखी, जो स्तूप है।
 - सम्राट अशोक ने बनवाया।
 - मुख्य स्तूप में क्या था, पता नहीं, लेकिन स्तूप क्रमांक 3 में बुद्ध के दो शिष्यों के अवशेष थे।
 - अंग्रेज अवशेष इंग्लैंड ले गए।
 - संग्रहालय में पुरातत्व महत्व की वस्तुएँ प्रदर्शित: मूर्तियाँ, मंदिरों के भग्नावशेष, कलाकृतियाँ।
 - अशोक स्तंभ का सिंह चिह्न, बौद्ध भिक्षुओं के पात्र।
 - साँची और सतधारा की खुदाई के चित्र।
 - प्राचीन भारत की स्थापत्यकला की चर्चा।
 
3.तीसरी प्रविष्टि: साँची, रात्रि 10:00, 10.10.07
- भ्रमण से संतोष मिला।
 - सुबह नहा-धोकर स्तूप देखने गए।
 - चक्करदार मार्ग से पहाड़ी पर चढ़े।
 - पहले नए बौद्ध विहार देखा, जहाँ सतधारा से प्राप्त अवशेष काँच की मंजूषा में रखे हैं।
 - फिर स्तूप क्रमांक 1: विशाल अर्द्ध गोलाकार गुम्बद।
 - चारों ओर अलंकृत परिक्रमापथ, प्रवेश के लिए चार तोरण द्वार।
 - तोरण द्वार कला के उत्कृष्ट नमूने, बुद्ध के जीवन और जातक कथाएँ उत्कीर्ण।
 - दो प्रभावशाली कथाएँ: युवराज वसंतारा का दान, बुद्ध का वानरराज रूप में प्राण उत्सर्ग।
 - स्तूप क्रमांक 2 का पत्थर का कठघरा, स्तूप क्रमांक 3 का चमकदार छत्र।
 - कई देशी-विदेशी पर्यटक देख रहे थे।
 - साँची के इतिहास से जुड़ी किंवदंतियाँ।
 

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