पथिक से
पाठ का परिचय
यह कविता जीवन को एक यात्रा के रूप में दर्शाती है। जैसे एक पथिक (यात्री) को अपने रास्ते में कांटे, नदियां, पहाड़, और सुंदर दृश्य मिलते हैं, वैसे ही जीवन में भी सुख-दुख, निराशा, और प्रलोभन आते हैं। कवि पथिक को सलाह देते हैं कि वह इन बाधाओं से विचलित न हो और अपने कर्तव्य-पथ पर डटकर आगे बढ़े।
लेखक: डॉ. शिवमंगल सिंह ‘सुमन’
विषय: जीवन के मार्ग में आने वाली चुनौतियों का साहस और विवेक के साथ सामना करना।
उद्देश्य:
सांसारिक समस्याओं का साहस और विवेक से सामना करना सीखना।
साधारण वाक्यों को काव्य पंक्तियों में बदलना।
पर्यायवाची, समानोच्चारित शब्दों और अलंकार (रूपक, उत्प्रेक्षा) को समझना।
कविता का सार
कवि कहते हैं कि जीवन-पथ पर पथिक को कई बाधाएँ मिलेंगी, जैसे:
कांटे: जीवन में दुख, परेशानियां, और कठिनाइयाँ।
सुंदर दृश्य: नदियाँ, झरने, पहाड़, और वन जो पथिक को लुभाते हैं और रास्ते से भटका सकते हैं।
निराशा और एकाकीपन: कभी-कभी अपनों का साथ छूट जाता है, और निराशा के बादल छा जाते हैं।
कर्तव्य और प्रलोभन: कर्तव्य के रास्ते पर प्रेम, बलिदान, और स्वतंत्रता की पुकार भी पथिक को असमंजस में डाल सकती है।
कवि बार-बार कहते हैं: “पथ भूल न जाना पथिक कहीं”, यानी कठिनाइयों और प्रलोभनों में भी अपने लक्ष्य को न भूलें।
कविता की पंक्तियों का भावार्थ
1.पथ भूल न जाना पथिक कहीं…
- रास्ते में कांटे (कठिनाइयाँ) और सुंदर नदियाँ, झरने, पहाड़, वन मिलेंगे।
- सुंदरता की मृगतृष्णा (भ्रम) में अपने रास्ते से न भटकें।
- मृगतृष्णा: रेगिस्तान में पानी का भ्रम, जो पथिक को गलत दिशा में ले जाता है।
2. जब कठिन कर्म पगडंडी पर…
- कठिन काम करने पर मन विचलित हो सकता है।
- सपने टूट सकते हैं, लेकिन कर्तव्य का रास्ता सामने होगा।
- पहली असफलता में हिम्मत न हारें और रास्ता न भूलें।
3. अपने भी विमुख पराये बन…
- अपनों का साथ छूटने और निराशा के बादलों के बीच अकेलापन महसूस हो सकता है।
- फिर भी अपने लक्ष्य पर डटे रहें।
4. रणभेरी सुन-सुन विदा-विदा…
- जब युद्ध की पुकार सुनाई दे और सैनिक उत्साह से विदा ले रहे हों, तब प्रेम और कर्तव्य के बीच उलझन हो सकती है।
- इस उलझन में भी अपने कर्तव्य को न भूलें।
5. कुछ मस्तक कम पड़ते होंगे…
- जब स्वतंत्रता की ज्वाला में माँ (मातृभूमि) बलिदान मांग रही हो, तब असमंजस की स्थिति आ सकती है।
- पल भर के लिए भी रास्ता न भूलें, बलिदान के लिए तैयार रहें।
कवि परिचय
नाम: डॉ. शिवमंगल सिंह ‘सुमन’
जन्म: उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में।
शिक्षा और कार्य:
मध्य भारत में शिक्षा प्राप्त की।
ग्वालियर के महारानी लक्ष्मीबाई कॉलेज में व्याख्याता।
उज्जैन के माधव कॉलेज में प्राचार्य।
विक्रम विश्वविद्यालय में कुलपति।
विशेषता: हिंदी के प्रमुख कवियों में से एक, जिन्होंने प्रेरणादायक कविताएँ लिखीं।
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