नन्हा सत्याग्रही
पाठ का परिचय
कहानी का सार: यह कहानी एक छोटे लड़के मोहन की है, जो गांधी जी के सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलता है। एक पुलिस अधिकारी (शेरसिंह) ने मोहन को गलत तरीके से चांटा मार दिया। मोहन इस अन्याय के खिलाफ डटकर मुकाबला करता है और सत्य के लिए अडिग रहता है। अंत में, उसकी दृढ़ता के कारण पुलिस अधिकारी को अपनी गलती माननी पड़ती है।
मुख्य संदेश: सत्य और स्वाभिमान को जीवन में अपनाना, अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना, और दृढ़ निश्चय से लक्ष्य प्राप्त करना।
प्रमुख पंक्ति: “अत्याचार को सहना उसे बढ़ावा देना है।” इसका अर्थ है कि अन्याय को चुपचाप सहना गलत है, क्योंकि इससे अन्याय बढ़ता है।
कहानी का सारांश
प्रारंभ: मोहन एक छोटी-सी बात पर रो रहा है। दरअसल, एक पुलिस अधिकारी (शेरसिंह) ने उसे चांटा मार दिया, क्योंकि मोहन ने उनकी गलती (कतार तोड़ना) को टोका था। लोग मोहन को समझाते हैं कि बड़े हैं, भूल जाओ, लेकिन मोहन नहीं मानता।
मोहन की जिद: मोहन बार-बार पूछता है, “मेरा कसूर क्या था?” वह सत्य के लिए अडिग रहता है और पुलिस अधिकारी के घर जाकर उनसे जवाब मांगता है। वह कहता है कि अगर उसने गलती की, तो उसे बताया जाए ताकि वह सुधार कर सके।
लोगों का रवैया: पड़ोसी और उसकी मां उसे समझाने की कोशिश करते हैं, लेकिन मोहन नहीं मानता। लोग उसे जिद्दी और ढीठ कहते हैं, पर वह अपनी बात पर अटल रहता है।
शेरसिंह का व्यवहार: शेरसिंह पहले तो गुस्सा दिखाते हैं और मोहन को धमकाते हैं। लेकिन मोहन की दृढ़ता और गांधी जयंती के दिन बच्चों की प्रभात फेरी के दबाव में वे अपनी गलती मान लेते हैं।
अंत: मोहन की जीत होती है। शेरसिंह सार्वजनिक रूप से माफी मांगते हैं, और मोहन उनके पैर छूकर सम्मान देता है। मोहन का नारा “इंस्पेक्टर साहब जिंदाबाद” दिखाता है कि वह केवल सत्य की जीत चाहता था, न कि बदला।
मुख्य पात्र
मोहन:
- एक छोटा, साहसी और सत्यवादी लड़का।
- गांधी जी के सिद्धांतों से प्रेरित।
- अन्याय के खिलाफ डटकर मुकाबला करता है।
शेरसिंह:
- पुलिस अधिकारी, जो पहले गुस्से में मोहन को मारता है।
- अंत में अपनी गलती स्वीकार करता है।
मोहन की मां:
- मोहन को समझाने की कोशिश करती है, लेकिन वह उसकी जिद के आगे हार मान लेती है।
पड़ोसी और बच्चे:
- पड़ोसी पहले मोहन को जिद्दी कहते हैं, पर बाद में उसका साथ देते हैं।
- बच्चे गांधी जयंती की प्रभात फेरी में मोहन का समर्थन करते हैं।
मुख्य शिक्षाएँ
1. सत्य और स्वाभिमान: मोहन सिखाता है कि हमें अपने आत्मसम्मान की रक्षा करनी चाहिए और सत्य के लिए डटकर खड़ा होना चाहिए।
2. अहिंसा और दृढ़ता: गांधी जी की तरह, मोहन बिना हिंसा के अपनी बात मनवाता है।
3. अन्याय के खिलाफ आवाज: अन्याय को सहन नहीं करना चाहिए, बल्कि उसका विरोध करना चाहिए।
4. साहस: छोटा होने के बावजूद मोहन बड़े पुलिस अधिकारी के सामने डटकर खड़ा रहता है।
5. माफी की महानता: शेरसिंह का माफी मांगना दिखाता है कि गलती स्वीकार करना भी साहस का काम है।
महत्वपूर्ण पंक्तियाँ और उनके अर्थ
“अत्याचार को सहना उसे बढ़ावा देना है”:
- अर्थ: यदि हम अन्याय को चुपचाप सहते हैं, तो वह और बढ़ता है। हमें गलत काम का विरोध करना चाहिए।
“मेरा कसूर क्या था?”:
- मोहन का यह सवाल दिखाता है कि वह अपनी गलती जानना चाहता है ताकि सुधार कर सके। यह उसकी सत्यनिष्ठा को दर्शाता है।
“मैं शर्मिंदा हूँ”:
- शेरसिंह की यह बात उनकी गलती स्वीकार करने की भावना को दिखाती है।
गांधी जी के सिद्धांतों का प्रभाव
मोहन गांधी जी के सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलता है।
वह हिंसा का जवाब हिंसा से नहीं, बल्कि सत्य और दृढ़ता से देता है।
गांधी जयंती के दिन प्रभात फेरी में बच्चे गांधी जी के विचारों को दोहराते हैं, जो मोहन को और प्रेरणा देता है।
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