मध्य प्रदेश की संगीत विरासत
परिचय
- मध्यप्रदेश में संगीत भारतीय संस्कृति की आत्मा है।
 - यहाँ की प्रकृति और भावनाओं ने संगीत, कविता और नृत्य को जन्म दिया।
 - संगीत शांति, उमंग और सामाजिक एकता देता है।
 
प्रमुख संगीतकार
1 तानसेन:
- जन्म: बेहट (ग्वालियर), 16वीं सदी।
 - गुरु: स्वामी हरिदास, गुरु भाई: बैजू बावरा।
 - योगदान: दीपक राग से दीप जलाया; दरबारी, तोड़ी, मियाँ मल्हार, मियाँ की सारंग राग बनाए।
 - परंपरा: ग्वालियर घराने की शुरुआत।
 - आयोजन: ग्वालियर और बेहट में तानसेन समारोह।
 
2 उस्ताद अलाउद्दीन खाँ:
- स्थान: मैहर।
 - योगदान: सन्तूर वादन; मैहर बैण्ड से विश्व प्रसिद्धि।
 - अकादमी: मैहर में अलाउद्दीन खाँ संगीत अकादमी।
 
3 कुमार गंधर्व:
- वास्तविक नाम: सिद्राम कोमकली।
 - जन्म: देवास।
 - योगदान: मालवी गीतों को राग दरबारी में गाया; सूर, तुलसी, कबीर, मीरा के भजन; राग-मालवती, लग्न-गंधार, सहेली तोड़ी, गांधी मल्हार बनाए।
 - पुस्तक: अनूप राग-विलास।
 - पुरस्कार: पद्मभूषण, पद्मविभूषण, कालिदास सम्मान।
 - आयोजन: देवास में कुमार गंधर्व संगीत समारोह।
 
4 लता मंगेशकर:
- जन्म: इंदौर।
 - योगदान: ‘ऐ मेरे वतन के लोगो’ जैसे गीत; हर भाषा और भाव के गीत गाए।
 - पुरस्कार: भारतरत्न, दादा साहब फालके, पद्मभूषण, पद्मविभूषण।
 - विशेष: सरस्वती का वास उनके गले में।
 
संगीत का महत्व
- आत्मिक शांति, उमंग और सामाजिक एकता देता है।
 - फिल्मी गीतों ने राष्ट्रीय भावनाएँ जगाईं।
 - मध्यप्रदेश और संगीत एक-दूसरे के पूरक।
 
महत्वपूर्ण शब्द
- ध्रुपद: शास्त्रीय संगीत की शैली।
 - विरासत: पीढ़ी-दर-पीढ़ी मिली धरोहर।
 - प्रणेता: किसी कला को शुरू करने वाला।
 - जीवंत: जीवित, सक्रिय।
 - गुरुभाई: एक ही गुरु के शिष्य।
 

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