अपराजिता
पाठ का परिचय
नाम: अपराजिता
लेखिका: गौरा पंत ‘शिवानी’
कहानी का सार: यह एक ऐसी विकलांग महिला, डॉ. चंद्रा की प्रेरणादायक कहानी है, जिसने अपनी दृढ़ इच्छा-शक्ति, धैर्य, साहस और निरंतर मेहनत से अपने जीवन को सफल बनाया। विषम परिस्थितियों में भी वह साहस के साथ आगे बढ़ी और कभी हार नहीं मानी।
मुख्य पात्र: डॉ. चंद्रा (विकलांग युवती) और उनकी माँ श्रीमती टी. सुब्रहमण्यम्।
प्रमुख संदेश: जीवन में चुनौतियों के बावजूद हार न मानना और आत्मनिर्भर बनना।
मुख्य बिंदु
1. डॉ. चंद्रा का परिचय:
- डॉ. चंद्रा एक ऐसी युवती हैं जिनका निचला धड़ पोलियो के कारण 18 महीने की उम्र में निष्क्रिय हो गया।
- इसके बावजूद, उन्होंने माइक्रोबायोलॉजी में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की और कई उपलब्धियाँ प्राप्त कीं।
- वह हमेशा उत्साहित, बुद्धिमान और महत्वाकांक्षी रहीं। उनके चेहरे पर कभी निराशा नहीं दिखी।
2. चंद्रा की माँ का योगदान:
- श्रीमती टी. सुब्रहमण्यम् ने अपनी बेटी के लिए अथक मेहनत की और 25 साल तक उनके साथ कठिन साधना की।
- उन्होंने चंद्रा को आत्मनिर्भर बनाने
3. प्रमुख घटनाएँ:
- चंद्रा को बचपन में पोलियो हुआ, जिसके कारण उनका निचला शरीर निष्क्रिय हो गया।
- उनकी माँ ने हार नहीं मानी और एक साल तक इलाज के बाद चंद्रा के ऊपरी शरीर में गति आई।
- चंद्रा ने अपनी मेहनत से पढ़ाई पूरी की, माइक्रोबायोलॉजी में पीएचडी की, और कई पुरस्कार जीते।
- उन्होंने अपनी प्रयोगशाला को अपने लिए सुगम बनाया ताकि वह बिना सहारे काम कर सकें।
- उनकी माँ को ‘वीर जननी’ पुरस्कार मिला।
4. चंद्रा की उपलब्धियाँ:
- माइक्रोबायोलॉजी में डॉक्टरेट प्राप्त की।
- अपंग महिलाओं में इस विषय में डॉक्टरेट पाने वाली पहली भारतीय।
- जर्मन भाषा में विशेष योग्यता, गर्ल गाइड में स्वर्ण कार्ड, और कढ़ाई-बुनाई में भी कुशल।
- भारतीय और पाश्चात्य संगीत में रुचि।
5. प्रेरणादायक संदेश:
- चंद्रा ने दिखाया कि विकलांगता के बावजूद साहस और मेहनत से कुछ भी हासिल किया जा सकता है।
- उनकी माँ का त्याग और समर्पण भी प्रेरणादायक है।
योग्यता विस्तार
1. ‘अपराजिता’ शब्द का चयन: चंद्रा ने कभी हार नहीं मानी, इसलिए ‘अपराजिता’ (जो कभी न हारी) उपयुक्त है। अन्य शब्द: ‘विजेता’।
2. माँ की भूमिका: यदि चंद्रा की माँ में सहनशीलता न होती, तो चंद्रा शायद आत्मनिर्भर न बन पातीं।
3. राणा साँगा: अस्सी घावों के बावजूद वे बाबर से लड़े, जो साहस का प्रतीक है।
4. सरकारी योजनाएँ:
- शिक्षा और रोजगार के लिए विशेष कोटा।
- वित्तीय सहायता और पुनर्वास योजनाएँ।
- विशेष स्कूल और प्रशिक्षण केंद्र।
5. विकलांगों के प्रति विचार: उनके साहस और मेहनत को देखकर प्रेरणा मिलती है, हमें उनकी मदद करनी चाहिए।
6. विकलांग दिवस: 3 दिसंबर को मनाया जाता है।
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