श्री मुफ्तानन्दजी से मिलिए
पाठ का परिचय
इस पाठ में लेखक डॉ. बरसाने लाल चतुर्वेदी ने हास्य और व्यंग्य के माध्यम से समाज में फैली मुफ्तखोरी की बुराई को दर्शाया है। मुख्य पात्र श्री मुफ्तानंद जी के जरिए लेखक ने उन लोगों पर तंज कसा है जो हर चीज मुफ्त में पाने की कोशिश करते हैं। यह पाठ हमें सामाजिक बुराइयों को समझने और उनसे बचने की सीख देता है। साथ ही, इसमें शब्द-युग्म, मुहावरे, कहावतें, विराम-चिह्न, सर्वनाम, और विशेषण जैसे भाषा के नियम भी सिखाए गए हैं।
मुख्य बिंदु
1. मुख्य पात्र: श्री मुफ्तानंद जी, जो मुफ्त में चीजें पाने के लिए हर संभव कोशिश करते हैं।
2.लेखक का उद्देश्य: समाज में मुफ्तखोरी की आदत को हास्य और व्यंग्य के जरिए उजागर करना।
3. सीख: हमें मेहनत से कमाई हुई चीजों का मूल्य समझना चाहिए और मुफ्तखोरी से बचना चाहिए।
कहानी का सार
श्री मुफ्तानंद जी एक ऐसे व्यक्ति हैं जो हर चीज मुफ्त में पाने की जुगत में रहते हैं। चाहे खाना, पान, अखबार, किताबें, सिनेमा का टिकट, या दवाइयाँ हों, वे हर जगह मुफ्त का लाभ उठाने की कोशिश करते हैं। लेखक ने उनके व्यवहार को मजेदार तरीके से दिखाया है:
1. दावत में जाना: मुफ्तानंद जी किसी भी दावत का न्योता नहीं छोड़ते, चाहे बीमार हों या बाद में परेशानी हो।
2. पान और अखबार: वे दूसरों के पान खाते हैं और पड़ोसियों के अखबार पढ़ते हैं।
3. पतंग लूटना: उम्र होने के बावजूद वे मुफ्त की पतंग लूटने के लिए दौड़ते हैं।
4.बच्चों की फीस: वे अपने बच्चों की स्कूल फीस माफ करवाने के लिए हर तरह की चाल चलते हैं।
5. पुस्तकें और सिनेमा: वे दूसरों की किताबें मांगकर रख लेते हैं और सिनेमा के मुफ्त पास का इंतजाम करते हैं।
6. मुफ्त बर्फ: बर्फ की फैक्ट्री में मुफ्त बर्फ पाने के लिए घंटों कतार में खड़े रहते हैं, भले ही जूता खो जाए या कमीज फट जाए।
7. दवाइयाँ: वे डॉक्टरों से दोस्ती करके मुफ्त दवाइयाँ लेते हैं और सरकारी अस्पताल से टॉनिक लाते हैं।
8. परलोक की सोच: मुफ्तानंद जी को लगता है कि जैसे उन्होंने इस दुनिया में मुफ्त में सब कुछ पाया, वैसे ही भगवान उन्हें स्वर्ग में भी मुफ्त में जगह देंगे।
लेखक परिचय
नाम: डॉ. बरसाने लाल चतुर्वेदी
विशेषता: हास्य और व्यंग्य के प्रसिद्ध लेखक और कवि।
रचनाएँ: 40 से अधिक किताबें, जैसे चकल्लम और मानवबिन्दु।
पुरस्कार: भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित।
महत्वपूर्ण शब्दों के अर्थ
1. निःसंकोच: बिना झिझक के।
2. कृतकृत्य: जिसका उद्देश्य पूरा हो गया हो।
3. जीवन-यापन: जीवन बिताने का तरीका।
4. तिकड़म-जुगाड़: चालाकी या उपाय।
5. खुशामद: चापलूसी करना।
6. इहलोक: यह संसार।
7. मुफ्तानंद: मुफ्त में आनंद लेने वाला।
8. साष्टांग: आठ अंगों से किया गया प्रणाम।
महत्वपूर्ण मुहावरे और कहावतें
यथा नाम तथा गुण: जैसा नाम, वैसा गुण।
- उदाहरण: मनीष का नाम धन से जुड़ा है और वह सचमुच धन कमाने में माहिर है।
माले मुफ्त दिले बेरहम: जो मुफ्त मिले, उसे बेरहमी से ले लो।
- उदाहरण: उसने मुफ्त का खाना देखकर पूरी थाली साफ कर दी।
मुफ्त का चंदन घिस मेरे नंदन: मुफ्त की चीज का भरपूर फायदा उठाओ।
- उदाहरण: मुफ्त की किताबें मिलीं तो उसने सारी ले लीं।
धरना देना: किसी मांग के लिए बैठ जाना।
- उदाहरण: उसने स्कूल की फीस माफ करने के लिए प्रिंसिपल के दफ्तर में धरना दिया।
नब्ज टटोलना: किसी की कमजोरी या इरादा जानना।
- उदाहरण: उसने मेरी बातों से मेरी नब्ज टटोलने की कोशिश की।
टोह में रहना: किसी चीज का इंतजार करना।
- उदाहरण: वह मुफ्त की चीजों की टोह में रहता है।
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