भेड़ाघाट
पाठ का परिचय
लेखक: पं. माखनलाल चतुर्वेदी
विषय: यह एक यात्रा वृत्तांत है जिसमें लेखक ने भेड़ाघाट (मध्य प्रदेश) की प्राकृतिक सुंदरता, नर्मदा नदी, और वहाँ के धार्मिक-सांस्कृतिक स्थलों का मनोरम वर्णन किया है।
उद्देश्य:
- प्राकृतिक सौंदर्य से परिचय कराना।
- मध्य प्रदेश के दर्शनीय स्थलों की जानकारी देना।
- पुनरुक्ति शब्द, वाक्य निर्माण, और शुद्ध वर्तनी सिखाना।
मुख्य बिंदु
1. भेड़ाघाट का परिचय
स्थान: भेड़ाघाट, मध्य प्रदेश के जबलपुर से 13 मील (लगभग 21 किमी) दूर है।
विशेषता: नर्मदा नदी के दोनों किनारे संगमरमर की चट्टानों से बने हैं, जो इसे बहुत सुंदर बनाते हैं।
प्राकृतिक सौंदर्य:
- नर्मदा यहाँ चाँदी के कारागार में बंदिनी (कैदी) की तरह बहती है।
- धूँआधार प्रपात और दूध-धारा इसकी खूबसूरती को और बढ़ाते हैं।
- चट्टानें सूरज और चाँद की रोशनी में चमकती हैं, जो तपस्या जैसी पवित्रता दिखाती हैं।
धार्मिक महत्व:
- भेड़ाघाट में गौरी-शंकर मंदिर और चौंसठ योगिनी मंदिर हैं।
- कहा जाता है कि गौरी-शंकर मंदिर त्रिपुरी राजघराने की महारानी अल्हणा देवी ने संवत् 1155-56 में बनवाया था।
2. लेखक का अनुभव
- लेखक ने 1914 में पहली बार भेड़ाघाट देखा।
- वे पहले ग्वारीघाट और तिलवाड़ाघाट देख चुके थे, जो जबलपुर के पास हैं, लेकिन भेड़ाघाट की कीर्ति सुनकर वहाँ जाने की इच्छा थी।
- लेखक को नर्मदा की बीहड़ प्रकृति, उसका घर्षण, और प्रपात बहुत पसंद हैं।
- वे कहते हैं कि नर्मदा की चट्टानें कठिन परिस्थितियों में भी अपनी पवित्रता और उज्ज्वलता बनाए रखती हैं, जैसे तपस्वी।
3. नर्मदा नदी
उद्गम: नर्मदा अमरकंटक (मध्य प्रदेश) से निकलती है।
लंबाई: यह 800 मील (लगभग 1287 किमी) बहती है।
विशेषताएँ:
- भेड़ाघाट में नर्मदा का पानी दूध जैसा सफेद दिखता है, इसलिए इसे “दूध-धारा” कहते हैं।
- धूँआधार प्रपात में नर्मदा नीचे गिरती है, जो बहुत सुंदर दृश्य बनाता है।
- नर्मदा के किनारे संगमरमर की चट्टानें इसे अनोखा बनाती हैं।
लेखक की भावना: लेखक को नर्मदा से गहरा लगाव है क्योंकि वे इसके किनारे पले-बढ़े हैं। वे इसे जीवंत और संघर्षमयी नदी मानते हैं।
4. धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
मंदिर:
- गौरी-शंकर मंदिर और चौंसठ योगिनी मंदिर भेड़ाघाट की पहाड़ी पर हैं।
- दूध-धारा का “घर-घर” शब्द रात में मंदिर तक सुनाई देता है।
ऐतिहासिक महत्व: मंदिरों का निर्माण त्रिपुरी राजवंश ने करवाया था, जो सैकड़ों वर्षों से नर्मदा के स्वरों को संजोए हुए हैं।
पौराणिक कथा: कहा जाता है कि भूगु ऋषि यहाँ तपस्या करते थे।
5. प्राकृतिक सुंदरता
संगमरमर की चट्टानें:
- ये चट्टानें सूरज की रोशनी में तपती हैं और चाँद की रोशनी में चाँदी की तरह चमकती हैं।
- ये कठिन परिस्थितियों (सर्दी, गर्मी, बरसात) में भी अडिग रहती हैं।
दूध-धारा: नर्मदा का पानी तेज बहाव में दूध जैसा सफेद दिखता है।
धूँआधार प्रपात: नर्मदा यहाँ ऊँचाई से गिरती है, जो धुएँ जैसा दृश्य बनाता है।
कविता: लेखक श्रीधर पाठक की पंक्तियों का जिक्र करते हैं, जो कश्मीर की सुंदरता के लिए लिखी गई थीं, लेकिन भेड़ाघाट पर भी लागू होती हैं:
प्रकृति यहाँ एकान्त बैठि, निज रूप सँवारति, पल-पल पलटति भेष, छलकि छन-छन छवि धारति।
लेखक परिचय
नाम: पं. माखनलाल चतुर्वेदी
जन्म: 4 अप्रैल, 1889, बावई (मध्य प्रदेश)
रचनाएँ: ‘हिम किरीटनी’, ‘हिम तिरंगिनी’, ‘धरण ज्वार’, ‘पुष्प की अभिलाषा’ (लोकप्रिय कविता)
विशेषता: राष्ट्रीयता की भावना से भरी कविताएँ। वे कवि और पत्रकार थे। उनके संपादित अखबार ‘कर्मवीर’ ने स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया।
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