मनभावन सावन
पाठ का परिचय
कविता: मनभावन सावन
कवि: सुमित्रानन्दन पन्त
विषय: इस कविता में सावन (वर्षा ऋतु) की सुंदरता और प्रकृति के रंगों का जीवंत चित्रण किया गया है।
मुख्य भाव: कवि ने सावन के मौसम में बादलों, बूंदों, बिजली, पेड़-पौधों, और पक्षियों की खुशी को दर्शाया है। यह कविता प्रकृति के प्रति प्रेम और उसकी सुंदरता को दर्शाती है।
विशेषता: कवि ने शब्दों और ध्वनियों (जैसे झम-झम, छम-छम) के माध्यम से सावन को जीवंत बनाया है।
कवि परिचय
नाम: सुमित्रानन्दन पन्त
जन्म: 1900, कौसानी गाँव, अल्मोड़ा (उत्तराखंड)
विशेषता: प्रकृति के सुकुमार कवि, छायावादी कविता के आधार स्तंभ।
प्रमुख रचनाएँ: पल्लव, वीणा, ग्रन्थि, गुंजन, युगान्त, युगवाणी, ग्राम्या, स्वर्ण किरण, स्वर्ण धूलि।
इस कविता का स्रोत: स्वर्ण धूलि।
कविता का सार (संक्षेप में)
सावन के मौसम में बादल गरजते हैं, बारिश की बूँदें गिरती हैं, और बिजली चमकती है।
पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, और प्रकृति का हर हिस्सा खुशी से झूम उठता है।
इन्द्रधनुष के रंग और सावन के गीत सभी के मन को भाते हैं।
कवि चाहते हैं कि सभी लोग सावन की खुशी में शामिल हों और इन्द्रधनुष के झूले में झूलें।
कविता की पंक्तियों का भावार्थ
1. झम-झम-झम मेघ बरसते हैं सावन के…
- बादल सावन में गरजते हुए बारिश करते हैं। बूँदें पेड़ों से छनकर गिरती हैं, बिजली चमकती है, और मन में सुंदर सपने जागते हैं।
2. पंखों से रे, फैले-फैले ताड़ों के दल…
- ताड़ के पत्ते लंबे और चौड़े दिखते हैं, जैसे बड़ी-बड़ी अंगुलियाँ। बारिश की बूँदें इन पर गिरती हैं और चमकती हुई टपकती हैं।
3. नाच रहे पागल हो ताली दे-दे चल-दल…
- पेड़-पौधे और प्रकृति के हिस्से खुशी में नाच रहे हैं। नीम का पेड़ सुख से झूम रहा है, और फूल जैसे बेला और हरसिंगार खिल रहे हैं।
4. दादुर टर-टर करते झिल्ली बजती झन-झन…
- मेंढक टर-टर की आवाज करते हैं, मोर और चातक पक्षी अपनी आवाज में खुशी जताते हैं। बादल गरजते हैं, और प्रकृति में उत्साह भर जाता है।
5. रिमझिम-रिमझिम क्या कुछ बूँदों के स्वर…
- बारिश की रिमझिम आवाज मन को छूती है। धरती पर बूँदें गिरती हैं, और हर कण में खुशी की लहर दौड़ जाती है।
6. पकड़ वारि की धार झूलता है मेरा मन…
- कवि का मन बारिश की धार में झूलता है। वे चाहते हैं कि सभी लोग सावन के गीत गाएँ और इन्द्रधनुष के झूले में झूलें।
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