अभ्यास
बोध प्रश्न
प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों के अर्थ शब्दकोश में से खोजकर लिखिए-
1. लक्ष्य: उद्देश्य या निशाना जिसे प्राप्त करना हो।
2. सिद्धि: किसी कार्य को सफलतापूर्वक पूरा करना।
3. मनीषी: विद्वान, बुद्धिमान व्यक्ति।
4. कर्मठ: मेहनती, कार्य में तत्पर व्यक्ति।
5. निरर्थक: जिसका कोई अर्थ या उपयोग न हो।
6. तन्मयता: किसी कार्य या लक्ष्य में पूरी तरह डूब जाना।
7. मूल मंत्र: वह मुख्य सिद्धांत जो सफलता का आधार हो।
8. लीन: पूरी तरह से समर्पित या डूबा हुआ।
9. केन्द्रित: एक स्थान या बिंदु पर एकत्रित।
10. वनस्थली: जंगल या वन का क्षेत्र।
11. तत्परता: तुरंत कार्य करने की तैयारी या उत्साह।
12. दृढ़ संकल्प: मजबूत इच्छा या निश्चय।
13. चिरन्तन: जो हमेशा बना रहे, शाश्वत।
14. साधक: लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रयास करने वाला।
15. प्रच्छन्न: छिपा हुआ।
16. कमन्द: रस्सी, विशेषकर जिससे कुछ बांधा जाए।
17. भौतिक पदार्थ: वे वस्तुएं जो भौतिक रूप में मौजूद हों।
प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए-
अ) लेखक ने लक्ष्यवेध का मूल मंत्र किसे माना है?
लेखक ने लक्ष्यवेध का मूल मंत्र तन्मयता को माना है।
ब) सूर्या जी ने रस्से का सिरा क्यों काट दिया?
सूर्या जी ने रस्से का सिरा इसलिए काट दिया ताकि मराठे भाग न सकें और लक्ष्य प्राप्ति के लिए पूरी ताकत से लड़ें।
स) अर्जुन ने गुरु द्रोण के प्रश्न का क्या उत्तर दिया?
अर्जुन ने कहा, “गुरुदेव, मुझे सिवाय आँखों की पुतली के और कुछ दिखलाई नहीं देता है!”
द) वैज्ञानिकों ने घास की शक्ति के बारे में क्या बताया है?
वैज्ञानिकों ने बताया कि एक एकड़ भूमि की घास में इतनी शक्ति होती है कि उससे संसार की सारी मोटरों और चक्कियों का संचालन किया जा सकता है।
य) उद्देश्य सिद्धि के उपाय के लिए लेखक ने किस मंत्र का उदाहरण दिया है?
लेखक ने उद्देश्य सिद्धि के लिए तन्मयता के मंत्र का उदाहरण दिया है।
प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से लिखिए-
क) ‘तन्मयता’ का अर्थ लेखक ने क्या बताया है? सविस्तार लिखिए।
लेखक ने तन्मयता का अर्थ बताया है कि व्यक्ति अपने लक्ष्य में पूरी तरह डूब जाए। उसका सारा ध्यान, विचार और कार्य केवल उसी लक्ष्य पर केंद्रित हो। लक्ष्य इतना प्रभावी हो कि व्यक्ति के सोते-जागते, उठते-बैठते हर समय वही दिखाई दे। उसके जीवन का हर हिस्सा, हर क्रिया उस लक्ष्य से जुड़ी हो। लक्ष्य के बिना उसका जीवन असंभव-सा लगे। इस तरह की एकाग्रता और समर्पण ही तन्मयता है, जो लक्ष्य प्राप्ति का आधार है।
ख) सिंहगढ़ पर विजय से जुड़ी मराठा इतिहास की किस घटना का उल्लेख पाठ में किया गया है? विस्तार पूर्वक लिखिए।
पाठ में मराठा इतिहास की सिंहगढ़ विजय की घटना का उल्लेख है। मराठों ने सिंहगढ़ पर विजय प्राप्त करने का दृढ़ संकल्प लिया था। वे रस्सी (कमन्द) की सहायता से किले पर चढ़े और घोर युद्ध हुआ। युद्ध में उनका नेता ताना जी मारा गया, जिससे मराठों का हौसला टूटने लगा और वे भागने लगे। ताना जी के छोटे भाई सूर्या जी ने देखा कि मराठे रस्सी के सहारे नीचे उतरने की कोशिश कर रहे हैं। सूर्या जी ने चुपके से रस्से का किला की ओर वाला सिरा काट दिया। जब मराठों ने देखा कि भागने का रास्ता बंद है, तो वे अपने लक्ष्य में तन्मय हो गए। उन्होंने सब कुछ भूलकर युद्ध किया और अंततः सिंहगढ़ पर विजय प्राप्त की।
ग) संसार में किस-किस तरह के लोग होते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
संसार में तीन तरह के लोग होते हैं:
1. काम करने वाले:
ये लोग सामान्य रूप से काम करते हैं, जैसे मजदूर जो रोजमर्रा का कार्य करते हैं।
2. काम को बोझ समझने वाले:
ये लोग काम को मजबूरी में करते हैं, जैसे कोई कर्मचारी जो नौकरी सिर्फ पैसे के लिए करता है।
3. लक्ष्य के प्रति समर्पित लोग:
ये लोग अपने लक्ष्य में पूरी तरह डूबकर काम करते हैं। उदाहरण के लिए, अर्जुन, जो केवल चिड़िया की आँख की पुतली पर ध्यान केंद्रित करता था। ऐसे समर्पित लोग ही अपनी एकाग्रता से संसार को हिलाते हैं और सफलता प्राप्त करते हैं।
प्रश्न 4. निम्नलिखित गद्यांशों की व्याख्या कीजिए-
अ) लक्ष्य में चित को केन्द्रित करके लक्ष्य वेध करो।
इसका अर्थ है कि अपने मन को पूरी तरह लक्ष्य पर एकाग्र करना चाहिए। जैसे बाण सीधा अपने निशाने की ओर जाता है, वैसे ही हमें लक्ष्य पर ध्यान देना चाहिए। अन्य सभी विचलनों को भूलकर केवल लक्ष्य की प्राप्ति पर ध्यान देना चाहिए।
ब) आज भी जीवन की परीक्षा में कोटि-कोटि मनुष्यों के सामने आचार्य द्रोण का वही प्रश्न उपस्थित है- “तुम्हें क्या दिखाई देता है?”
इसका अर्थ है कि आज भी जीवन में सफलता के लिए एकाग्रता जरूरी है। आचार्य द्रोण ने अर्जुन से पूछा था कि उसे क्या दिखता है, और अर्जुन ने केवल लक्ष्य देखा। इसी तरह, आज हर व्यक्ति के सामने यही सवाल है कि वह अपने लक्ष्य पर कितना केंद्रित है। जो लोग केवल लक्ष्य देखते हैं, वही सफल होते हैं।
स) लक्ष्य के प्रति समर्पित होकर उसमें एकनिष्ठ होकर काम करने वाले थोड़े हैं!
इसका अर्थ है कि बहुत कम लोग अपने लक्ष्य के प्रति पूरी तरह समर्पित होते हैं। जो लोग अपने लक्ष्य में पूरी तरह डूबकर काम करते हैं, वे ही सफलता प्राप्त करते हैं। उदाहरण के लिए, अर्जुन और मराठों की तरह, जो अपने लक्ष्य के लिए सब कुछ भूल गए।
प्रश्न 5. नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनिए-
क) तन्मयता की बात करते हुए इतिहास की किस घटना का लेखक ने उल्लेख किया है?
(अ) गुप्त काल (आ) वैदिक काल
(इ) आधुनिक काल (ई) महाभारत काल
उत्तर: (ई) महाभारत काल
ख) वृक्ष पर बैठी चिड़िया की आँखों की पुतली पर निशाना लगाने का आदेश किसने दिया था?
(अ) आचार्य कृपाचार्य (आ) आचार्य द्रोणाचार्य
(इ) अर्जुन (ई) श्रीकृष्ण
उत्तर: (आ) आचार्य द्रोणाचार्य
ग) ताना जी के छोटे भाई का नाम था-
(अ) आर्या (आ) सूर्या
(इ) जय सूर्या (ई) आचार्य
उत्तर: (आ) सूर्या
घ) लक्ष्य वेध का एक ही उपाय बताया गया है?
(अ) लक्ष्य में तत्परता (आ) लक्ष्य में एकाग्रता
(इ) लक्ष्य में एकनिष्ठता (ई) लक्ष्य में तन्मयता
उत्तर: (ई) लक्ष्य में तन्मयता
ड) शक्ति को एकाग्र करके संसार को क्या किया जा सकता है?
(अ) नष्ट (आ) बसाया
(इ) हिलाया (ई) ऊँचा
उत्तर: (इ) हिलाया
भाषा-अध्ययन
प्रश्न 1. ‘अ’-खण्ड के नीचे कुछ शब्द दिए गए हैं, जिनके विलोम शब्द ‘ब’ खंड में हैं। इनका क्रम सही नहीं है। उन्हें सही क्रम में लिखिए –
‘अ’ खण्ड | ‘ब’ खण्ड (सही विलोम) |
---|---|
निरर्थक | सार्थक |
असम्भव | सम्भव |
उपकार | अपकार |
कर्त्तव्य | अकर्त्तव्य |
अनिवार्य | वैकल्पिक |
अन्त | आदि |
प्रकाश | अंधकार |
प्रश्न 2. लक्ष्य वेध- लक्ष्य का वेध। इसमें लक्ष्य और वेध दोनों शब्द ‘का’ विभक्ति से जुड़े हुए हैं। पाठ में इसी तरह के अनेक सामासिक पद आए हैं, जैसे- कार्य-सिद्धि, बाण-विद्या आदि। निम्नलिखित सामासिक शब्दों का विग्रह कीजिए-
1. सेनापति: सेना का पति (तत्पुरुष समास)
2. दशानन: दश आनन (कर्मधारय समास)
3. माखनचोर: माखन को चुराने वाला (तत्पुरुष समास)
4. पाप-पुण्य: पाप और पुण्य (द्वन्द्व समास)
5. त्रिलोक: तीन लोक (द्विगु समास)
6. पीताम्बर: पीला अम्बर (कर्मधारय समास)
7. नीलकमल: नीला कमल (कर्मधारय समास)
8. ग्रामवास: ग्राम में वास (तत्पुरुष समास)
9. भरपेट: पेट को भरने वाला (तत्पुरुष समास)
10. महाराज: महान राजा (कर्मधारय समास)
प्रश्न 3. नीचे दिए गए गद्यांशों को पढ़िए और उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए –
गद्यांश: “अन्याय का अन्त, न्याय और प्रेम से ही हो सकता है। अन्याय की प्रतिक्रिया यदि अन्यायपूर्वक की जाए तो अन्याय का ही आदान-प्रदान होता है, जो स्थायी संघर्ष तथा भेदभाव का ही पोषण करना है। इस कारण अन्याय का उत्तर न्याय और प्रेम से ही देना है, किन्तु इसका अर्थ यह नहीं है कि अपने प्रति अन्याय करने वाले में अपने से अधिक बल है तो उसके मन की बात पूरी करने के लिए अपने मन को दबा लें अथवा बदल लें। अन्यायकर्त्त कितना ही सबल हो, उससे भयभीत न हों। हमें उसके अन्यायपूर्ण प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करना है, भले ही प्राणों की आहुति देनी पड़े।”
क) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
न्याय और प्रेम से अन्याय का अंत
ख) अन्याय का अन्त किस प्रकार किया जा सकता है?
अन्याय का अंत न्याय और प्रेम से किया जा सकता है। अन्याय का जवाब अन्याय से देने से केवल संघर्ष और भेदभाव बढ़ता है। इसलिए हमें प्रेम और न्याय के रास्ते पर चलकर अन्याय का सामना करना चाहिए।
ग) इस गद्यांश में ‘न्याय’ शब्द का प्रयोग कई शब्दांश या शब्द जोड़कर किया गया है जैसे अन्याय। न्याय में ‘अ’ उपसर्ग लगाकर ‘अन्याय’ शब्द बना है। इसी प्रकार ‘अ’ उपसर्ग लगाकर तीन शब्द बनाइए।
- अज्ञान (ज्ञान + अ)
- असत्य (सत्य + अ)
- अहिंसा (हिंसा + अ)
प्रश्न 4. निम्नलिखित प्रत्यय लगाकर तीन-तीन शब्द बनाइए-
1. आहट (जैसे चिकनाहट)
- मधुराहट
- खटकाहट
- चमकाहट
2. इक
- लेखक
- पाठक
- गायक
3. वट
- बुद्धिमानवट
- बलवट
- विद्वानवट
4. वान
- बलवान
- गुणवान
- तेजवान
प्रश्न 5. समझिए क. परिश्रम ही हमारी पूँजी है। ख. वह परिश्रमी व्यक्ति है। क वाक्य में प्रयुक्त शब्द संज्ञा है और ख वाक्य में ‘परिश्रमी’ शब्द विशेषण है। ‘परिश्रम’ और ‘परिश्रमी’ शब्दों में अन्तर है। इसे समझकर मीठा-मिठास, विशेष-विशेषता, बूढ़ा-बुढ़ापा में अन्तर समझिए और वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
1. मीठा (विशेषण): यह गुण बताता है।
- वाक्य: यह आम बहुत मीठा है। मिठास (संज्ञा): यह गुण का नाम है।
- वाक्य: इस मिठाई में मिठास की कमी है।
2. विशेष (विशेषण): यह किसी की खासियत बताता है।
- वाक्य: उसका विशेष गुण उसकी मेहनत है। विशेषता (संज्ञा): यह खासियत का नाम है।
- वाक्य: उसकी सबसे बड़ी विशेषता उसकी ईमानदारी है।
3. बूढ़ा (विशेषण): यह उम्र का गुण बताता है।
- वाक्य: वह बूढ़ा व्यक्ति बहुत अनुभवी है। बुढ़ापा (संज्ञा): यह उम्र की अवस्था का नाम है।
- वाक्य: बुढ़ापा जीवन का एक स्वाभाविक हिस्सा है।
प्रश्न 6. ऐसे पाँच शब्द लिखिए, जिनमें प्रत्यय और उपसर्ग दोनों का प्रयोग हुआ हो,
जैसे – स + फल + ता = सफलता
- नि + बल + ता = निबलता
- सु + गंध + इक = सुगंधिक
- अ + चर + ता = अचरता
- प्र + गति + शील = प्रगतिशील
- अन + नय + ता = अनन्यता
योग्यता विस्तार
1. अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आप किस प्रकार का प्रयास करेंगे? आपस में चर्चा कीजिए।
उत्तर: मैं अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पूरी तन्मयता से काम करूंगा।
रोजाना समय-सारिणी बनाकर पढ़ाई या कार्य करूंगा।
बाधाओं से विचलित न होकर दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ूंगा।
शिक्षकों और माता-पिता से मार्गदर्शन लूंगा।
नियमित अभ्यास और मेहनत से अपने लक्ष्य को हासिल करूंगा।
2. लक्ष्य प्राप्त करने संबंधी घटना/कहानी खोजकर बाल सभा में सुनाइए।
उत्तर: एक कहानी महान वैज्ञानिक थॉमस एडिसन की हो सकती है।
उन्होंने बल्ब का आविष्कार करने के लिए हजारों बार प्रयोग किए।
हर असफलता के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी।
उनकी तन्मयता और मेहनत ने उन्हें सफलता दिलाई।
इस कहानी को बाल सभा में सुनाकर दूसरों को प्रेरित करूंगा।
3. पाण्डव और कौरवों की परीक्षा संबंधी घटना कक्षा में सुनाइए।
उत्तर: यह घटना महाभारत काल की है, जब आचार्य द्रोण ने पाण्डवों और कौरवों की परीक्षा ली।
उन्होंने एक वृक्ष पर बैठी चिड़िया की आँख की पुतली को निशाना बनाने को कहा।
सभी राजकुमारों से पूछा, “तुम्हें क्या दिखाई देता है?”
कौरवों और अन्य पाण्डवों ने वृक्ष, टहनी, चिड़िया आदि का वर्णन किया।
लेकिन अर्जुन ने कहा, “मुझे केवल आँख की पुतली दिखाई देती है।”
उनकी तन्मयता और एकाग्रता के कारण वे परीक्षा में सफल हुए।
यह कहानी हमें सिखाती है कि लक्ष्य पर पूरी तरह ध्यान देना चाहिए।
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