अभ्यास
बोध प्रश्न
प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों के अर्थ शब्दकोश से खोजकर लिखिए –
1. घन → मेघ (बादल)
2.कर → हाथ (पत्तों का आकार हाथ जैसा)
3.खगकुल → पक्षियों का समूह (सभी पक्षी)
4.सोनबलाक → कोयल (सुनहरी आवाज वाली चिड़िया)
5.गगन → आकाश (आसमान)
6.अन्तर → हृदय (भीतर का भाग)
7.तृण → घास (छोटी हरी घास)
8.दल → समूह (पत्तों का समूह)
9.तरु → वृक्ष (पेड़)
10.उर → हृदय (सीना या मन)
11.वारि → जल (पानी)
12.प्रतिपल → हर पल (प्रत्येक क्षण)
13.दादुर → मेंढक (टर-टर करने वाला)
14.रज → धूल (मिट्टी)
15.मनभावन → मन को भाने वाला (पसंदीदा, आकर्षक)
प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए –
(क) सावन में मेघ किस प्रकार की ध्वनि करते हुए बरसते हैं ?
उत्तर: सावन में मेघ ‘झम-झम-झम’ की ध्वनि करते हुए बरसते हैं।
(ख) ताड़ के पत्ते कवि को किस प्रकार दिखाई देते हैं ?
उत्तर: ताड़ के पत्ते कवि को फैले हुए पंखों, लम्बी अँगुलियों और चौड़े करतलों के समान दिखाई देते हैं।
(ग) पीपल और नीम अपनी खुशी किस तरह प्रकट करते हैं ?
उत्तर: पीपल ताली देकर नाचता है और नीम सिर हिलाकर झूमती है।
(घ) सावन में मंगल गीत कौन गाता है ?
उत्तर: सावन में पक्षियों का समूह (खगकुल) मंगल गीत गाता है।
(ड) दादुर और मोर खुशी में मदमस्त होकर किस प्रकार की ध्वनि करते हैं ?
उत्तर: दादुर ‘टर-टर’ की ध्वनि करता है और मोर ‘प्याव-प्याव’ की ध्वनि करता है।
(च) सावन के गीत किस झूले में बैठकर गाने की इच्छा प्रकट की गई है ?
उत्तर: सावन के गीत इन्द्रधनुष के झूले में बैठकर गाने की इच्छा प्रकट की गई है।
प्रश्न 3. नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनिए –
(क) वृक्षों की बूँदें किस प्रकार गिरती हैं ?
उत्तर: (आ) छम-छम
(ख) ताली देकर कौन नाच रहा है ?
उत्तर: (इ) पीपल
(ग) म्याव-म्याव की ध्वनि किस पक्षी की सुनाई देती है ?
उत्तर: (आ) बिल्ली (नोट: कविता में मोर की ध्वनि ‘प्याव-प्याव’ है, लेकिन प्रश्न के अनुसार विकल्प से बिल्ली सही लगती है।)
(घ) “प्रकृति का सुकुमार कवि’ किसे कहा जाता है ?
उत्तर: (आ) सुमित्रानन्दन पन्त
प्रश्न 4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार में लिखिए –
(अ) मनभावन सावन कविता में कवि ने क्या सन्देश देना चाहा है ? सोदाहरण लिखिए ।
उत्तर: इस कविता में कवि सुमित्रानन्दन पन्त ने वर्षा ऋतु (सावन) के सौन्दर्य का जीवंत चित्रण करके प्रकृति के प्रति प्रेम और आनन्द की भावना जगाने का सन्देश दिया है। वे बताते हैं कि सावन प्रकृति को हरा-भरा और जीवंत बना देता है, जिससे सभी प्राणी आनन्दित हो जाते हैं। उदाहरण के लिए, कवि कहते हैं- “झम-झम-झम मेघ बरसते हैं सावन के, छम-छम-छम गिरतीं बूँदें तरुओं से छन के।” यहाँ मेघों की बरसात और बूँदों की ध्वनि से प्रकृति का सजीव चित्र उभरता है। एक अन्य उदाहरण- “इन्द्रधनुष के झूले में झूलें मिल सब जन, फिर-फिर आये जीवन में सावन मनभावन।” इससे सन्देश मिलता है कि सावन का आनन्द सबको मिलकर मनाना चाहिए, ताकि जीवन बार-बार ऐसा आनन्दमय हो। कवि प्रकृति को मानव जीवन का अभिन्न अंग मानते हैं, जो खुशियाँ बाँटती है।
(ब) निम्नलिखित पंक्तियों के भाव स्पष्ट कीजिए- (क) हँसमुख हरियाली में खगकुल गाते मंगल।
उत्तर: इस पंक्ति में कवि सावन की हरी-भरी, मुस्कुराती हरियाली का वर्णन कर रहे हैं, जहाँ पक्षियों का समूह (खगकुल) शुभ और मंगलकारी गीत गा रहा है। भाव यह है कि वर्षा से प्रकृति इतनी सुन्दर हो जाती है कि पक्षी आनन्द में मंगल गान कर खुशी व्यक्त करते हैं, जो सावन के सौन्दर्य को और बढ़ाता है।
(ख) उड़ते सोनबलाक, आर्द्र सुख से कर क्रन्दन।
उत्तर: यहाँ ‘सोनबलाक’ से तात्पर्य कोयल से है, जो उड़ते हुए नम (आर्द्र) सुख से रो रही है (क्रन्दन)। भाव यह है कि वर्षा के सुख से कोयल इतनी भावुक हो जाती है कि वह उड़ते हुए अपनी मधुर कूक से रोने जैसी ध्वनि करती है, जो प्रकृति के आनन्द को दर्शाता है।
(ग) रोम सिहर उठते, छूते वे भीतर अन्तर।
उत्तर: इस पंक्ति का भाव है कि वर्षा की बूँदों के ‘रिमझिम’ स्वर से मनुष्य के रोम-रोम सिहर उठते हैं और वे बूँदें हृदय (अन्तर) को छू लेती हैं। अर्थात्, वर्षा का स्पर्श केवल बाहरी नहीं, बल्कि आंतरिक भावनाओं को भी जगा देता है, जो गहन आनन्द और सिहरन पैदा करता है।
(घ) रज के कण-कण में तृण-तृण की पुलकावलि भर।
उत्तर: भाव यह है कि वर्षा की धाराएँ धरती की मिट्टी (रज) के प्रत्येक कण में घास (तृण) की पुलक (उत्तेजना या सिहरन) भर देती हैं। अर्थात्, सूखी धरती वर्षा से इतनी प्रसन्न हो जाती है कि हर घास का पत्ता पुलकित हो जाता है, जो प्रकृति की जीवंतता को दिखाता है।
(स) बरसते मेघ, गिरती बूँदें, चमकती बिजली तथा मन के सपने का वर्णन करने में कवि ने जिन शब्दों का प्रयोग किया है उन्हें बताइए तथा इनका प्रयोग कर कविता की कुछ पंक्तियाँ को बनाइए।
उत्तर: कवि ने ध्वन्यात्मक शब्दों का प्रयोग किया है- बरसते मेघ के लिए ‘झम-झम-झम’, गिरती बूँदों के लिए ‘छम-छम-छम’, चमकती बिजली के लिए ‘चम-चम’, मन के सपनों के लिए ‘थम-थम’।
स्वयं निर्मित पंक्तियाँ:
झम-झम मेघ गरजें, सावन सजाए धरती,
छम-छम बूँदें नाचें, खिलें कमल सरोवर में।
चम-चम बिजली चमके, रातें हों उजियारी,
थम-थम सपने जागें, मन हो सुख भारी।
भाषा-अध्ययन
प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिए और लिखिए –
1. विहवाल → विह्वल (vi-hva-la)
2.आह्वान → आह्वान (aa-hvaan)
3.चिह्न → चिह्न (chi-hna)
4.ब्राह्मण → ब्राह्मण (braah-man)
5.पूर्वाह्न → पूर्वाह्न (poor-vaah-na)
6.अपराह्न → अपराह्न (a-pa-raah-na)
7.विद्यार्थी → विद्यार्थी (vi-dyaar-thee)
8.बाह्य → बाह्य (baa-hya)
9.गद्य → गद्य (gad-ya)
10.हृदय → हृदय (hri-day)
प्रश्न 2. निम्नलिखित शब्दों के तुकान्त शब्द लिखिए जैसे – घन, मन
1. सावन → पावन
2.ताली → काली
3.दल → जल
4.गर्जन → मार्जन
5.चमक → दमक
6.तम → कम
7.स्वर → घर
8.झटती → बतती
9.मन → पन
10.मुख → सुख
11.चंचल → संचल
12.प्रतिपल → हरिपल
प्रश्न 3. झम-झम-झम शब्द-युग्म में ध्वन्यात्मकता है। इसी प्रकार के अन्य ध्वनि वाले शब्द लिखिए।
उत्तर:
टर-टर (मेंढक की ध्वनि)
छम-छम (बूँदों की ध्वनि)
चम-चम (बिजली की चमक)
रिमझिम (हल्की वर्षा)
घुमड़-घुमड़ (मेघों की आवाज)
प्रश्न 4. इस कविता में जिन पंक्तियों में अनुप्रास अलंकार हैं, उन्हें छाँटकर लिखिए –
(क) झम-झम-झम मेघ बरसते हैं सावन के,
(ख) छम-छम-छम गिरतीं बूँदें तरुओं से छन के।
(ग) चम-चम बिजली चमक रही रे उर में घन के,
(घ) थम-थम दिन के तम में सपने जगते मन के।
प्रश्न 5. निम्नलिखित शब्दों में उपसर्गयुक्त शब्दों को छाँटिए –
उपसर्गयुक्त शब्द: अज्ञान, भरसक, सुसंगति, सपूत, गैरकानूनी, अपशकुन, अत्याचार, लापरवाह
प्रश्न 6. सही विकल्प चुनिए-
(1) पड़ती, झरती, हिलती इन शब्दों में प्रत्यय …….. है ?
उत्तर: (इ) आती
(2) हँसमुख हरियाली में ………….. गाते मंगल।
उत्तर: (आ) खगकुल
(3) जल का पर्यायवाची शब्द ………… नहीं है।
उत्तर: (ई) अनिल
(घ) इनमें से एक तत्सम शब्द ………….. नहीं है।
उत्तर: (आ) बिजली (यह तद्भव है, शेष तत्सम हैं।)
प्रश्न 7. नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़िए – (नागार्जुन की ‘मेघ बजे’ कविता)
1. इस कविता में ‘धिन-धिन’, ‘धमक-धमक’ शब्द युग्म आए हैं। इसी प्रकार के अन्य शब्द लिखिए।
उत्तर:
धिन-धिन (ढोल की ध्वनि)
धमक-धमक (मेघ गरजने की ध्वनि)
अन्य: टक-टक (घड़ी की ध्वनि), खट-खट (दरवाजा खटखटाने की ध्वनि)
ख. रेखांकित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए ।
उत्तर: (पद्यांश के रेखांकित शब्दों के आधार पर-)
दामिनी → विद्युत
कंठ → स्वर
हृदय → मन
हरिचन्दन → चंदन
ग. पद्यांश से लिए गए शब्दों की जोड़ी बनाइए –
उत्तर:
- दामिनी – दमक
- दादुर – कंठ खुला
- धरती – हृदय धुला
- पंक – हरिचन्दन
योग्यता विस्तार
1. वर्षा ऋतु में जो आप अनुभव करते हैं, उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर: वर्षा ऋतु में मुझे बहुत आनन्द मिलता है। मेघों की गरज सुनकर मन प्रसन्न हो जाता है। ठंडी हवा चलती है और बूँदें गिरते हुए प्रकृति को धोती हैं। पेड़ हरे हो जाते हैं, मेंढक टर-टर करते हैं और मोर नाचते हैं। कभी-कभी बिजली चमकती है जो डर भी लगता है, लेकिन कुल मिलाकर यह ऋतु ताजगी और खुशी का प्रतीक है। मैं खिड़की से वर्षा देखकर चाय पीता हूँ और किताबें पढ़ता हूँ।
2. वर्षा ऋतु से संबंधित अन्य कविता शिक्षक की सहायता से खोजकर कण्ठस्थ कीजिए और बालसभा में सुनाइए।
उत्तर: (उदाहरण के लिए) मैंने ‘मेघ बजे’ कविता (नागार्जुन द्वारा) कण्ठस्थ की है। बालसभा में सुनाऊँगा: “धिन-धिन-धा धमक-धमक, मेघ बजे…” यह कविता वर्षा के आनन्द को दर्शाती है।
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