मेरा देश महान बने – सारांश
“मेरा देश महान बने” (उदय शंकर भट्ट) देशभक्ति और राष्ट्रप्रेम की भावना से ओत-प्रोत है। कवि ने इसमें भारतवासियों से आह्वान किया है कि हम सबका ध्येय और श्रेय एक हो, सभी समान नियमों का पालन करें और देश की उन्नति को अपना प्रमुख लक्ष्य बनाएँ। इसमें एकता, समानता और त्याग का महत्व स्पष्ट किया गया है। कवि चाहता है कि भारतवासी साहसी बनें, कठिनाइयों का डटकर सामना करें और अवसर आने पर निर्भय होकर अडिग रहें। दुश्मनों के लिए हम वज्र की तरह कठोर बनें, परंतु अपने प्रियजनों के लिए फूलों-सी कोमल मुस्कान रखें। कवि यह भी कहता है कि देश के लिए जीना और मरना ही हमारे जीवन का सबसे बड़ा आदर्श होना चाहिए। तन और मन में सदा यही ध्यान रहे कि भारत की महिमा बढ़े और हमारा देश महान बने। इस प्रकार यह रचना देशभक्ति, एकता, साहस और त्याग का संदेश देती है और हमें राष्ट्र के लिए निस्वार्थ भाव से कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती है।
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