न यह समझो कि हिन्दुस्तान की तलवार सोई है – सारांश
इस कविता के माध्यम से कवि रामकुमार चतुर्वेदी ‘चंचल’ ने भारतीयों के शौर्य, स्वाभिमान और देशभक्ति की भावना को जागृत किया है। कवि कहते हैं कि यह मत समझो कि भारत की वीरता और तलवार अब सो गई है। इतिहास गवाह है कि सिकन्दर और बाबर जैसे आक्रमणकारी भारत की शक्ति और पराक्रम से डरते थे। शिवाजी, महाराणा प्रताप और चित्तौड़ की वीरांगनाओं ने अपने प्राणों की आहुति देकर देश की रक्षा की।
भारत ने हमेशा विश्व को शांति और अहिंसा का संदेश दिया है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि हम कायर हैं या अपमान सह लेंगे। जब भी हमारी स्वतंत्रता और स्वाभिमान पर कोई संकट आया है, भारत के वीर सपूत प्रलय की ज्वाला बनकर खड़े हुए हैं। हमारा देश कभी किसी की भूमि या स्वर्ण पर अधिकार नहीं चाहता, लेकिन अपनी मातृभूमि की एक-एक इंच की रक्षा के लिए हम अपना लहू बहाने को तैयार रहते हैं।
कविता हमें यह संदेश देती है कि भारत का शौर्य आज भी जिंदा है। हम शांति और अहिंसा में विश्वास करते हैं, परन्तु देश की रक्षा और सम्मान की खातिर हम बलिदान देने से पीछे नहीं हटते। यह कविता वीरता, स्वाभिमान और देशभक्ति की अमर भावना से ओत-प्रोत है।
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