साँची – सारांश
यह अध्याय “साँची” मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ऐतिहासिक और पर्यटन स्थल साँची पर आधारित है। इसमें विद्यार्थियों की यात्रा डायरी के रूप में साँची के स्तूप और उससे जुड़ी जानकारी दी गई है। साँची अपने बौद्ध स्तूप के लिए विश्व प्रसिद्ध है और इसे विश्व धरोहरों में गिना जाता है। बौद्ध धर्म के प्रवर्तक भगवान बुद्ध रहे हैं और सम्राट अशोक ने यहाँ का प्रसिद्ध स्तूप बनवाया था। साँची प्राचीन समय में बौद्ध धर्म का प्रमुख केन्द्र रहा है।
विद्यार्थी पहले संग्रहालय देखते हैं जहाँ खुदाई से मिली मूर्तियाँ, भग्नावशेष, अशोक स्तंभ का सिंह चिह्न और अन्य कलाकृतियाँ रखी गई हैं। इसके बाद वे मुख्य स्तूप (स्तूप क्रमांक-1) और अन्य स्तूपों को देखते हैं। यह विशाल अर्द्धगोलाकार गुम्बद चार तोरणद्वारों से घिरा हुआ है, जिन पर भगवान बुद्ध के जीवन और जातक कथाएँ उकेरी गई हैं। विशेष रूप से युवराज वसंतारा का दान और वानरराज का बलिदान बच्चों को बहुत प्रभावित करता है।
साँची के स्तूपों की कला, स्थापत्य और शिल्पकला अत्यंत अद्भुत है। यहाँ पत्थरों पर की गई नक्काशी और पालिश लकड़ी जैसी प्रतीत होती है। स्तूपों के अलावा बिहारों के खंडहर, सरोवर और आसपास का प्राकृतिक सौंदर्य भी मन मोह लेता है।
इस प्रकार यह अध्याय बताता है कि साँची न केवल बौद्ध धर्म का धार्मिक केन्द्र है, बल्कि भारतीय संस्कृति, कला और स्थापत्य का अनमोल खजाना भी है। यह हमें अपने गौरवशाली अतीत और समृद्ध धरोहरों पर गर्व करना सिखाता है।
Leave a Reply