दीप से दीप जले – सारांश
यह अध्याय “दीप से दीप जले” पर्यावरण संरक्षण और पॉलिथीन के दुष्प्रभावों पर केंद्रित है। कहानी में नितिन नाम का एक आठवीं कक्षा का छात्र दिखाया गया है, जो गर्म धूप में घर-घर जाकर लोगों को पॉलिथीन के उपयोग से होने वाली हानियों के बारे में समझाता है। शुरुआत में रमा नाम की महिला उसे संदेह की दृष्टि से देखती है, लेकिन जब नितिन उसे पॉलिथीन के कारण एक गाय की मृत्यु का उदाहरण देकर समझाता है तो उसका हृदय पिघल जाता है। नितिन उसे कपड़े का झोला देकर आग्रह करता है कि वह आगे से पॉलिथीन की थैली का उपयोग न करे।
नितिन बताता है कि पॉलिथीन पर्यावरण के लिए बहुत हानिकारक है। यह जमीन को बंजर बनाती है, जलाने पर जहरीला धुआँ छोड़ती है, नालियों और नदियों को जाम कर देती है तथा जानवरों के पेट में जाकर उनकी जान ले लेती है। उसने अपने जन्मदिन पर उपहार में कपड़े के झोले बनवाए ताकि उन्हें बाँटकर लोग पॉलिथीन छोड़ सकें। नितिन का यह निस्वार्थ प्रयास देखकर रमा प्रभावित होती है और संकल्प लेती है कि वह भी ऐसे झोले बाँटेगी तथा दूसरों को जागरूक करेगी।
कहानी का संदेश है कि यदि एक छोटा बच्चा भी संकल्प कर ले तो समाज में बड़ा परिवर्तन ला सकता है। जिस तरह एक दीपक से अनेक दीप जलाए जा सकते हैं, उसी प्रकार नितिन की जागरूकता से और लोग भी प्रेरित होंगे और पर्यावरण संरक्षण की अलख पूरे देश में जगाई जा सकती है।
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