वसीयतनामे का रहस्य – सारांश
इस कहानी में एक वृद्ध किसान की बुद्धिमानी, न्यायप्रियता और दूरदर्शिता का परिचय मिलता है। वह गाँव में पंच के रूप में प्रसिद्ध था और अपने निष्पक्ष फैसलों से दोनों पक्षों को संतुष्ट कर देता था। उसकी चार संतानें – चार बेटे और एक रूपवती बेटी थीं। मरने से पहले उसने अपनी वसीयत में लिखा कि उसकी जायदाद केवल तीन बेटों में बाँटी जाए, पर यह स्पष्ट नहीं किया कि किस बेटे को हिस्सा नहीं मिलेगा। साथ ही उसने यह भी लिखा कि यदि विवाद हो तो जो निष्पक्ष न्याय करेगा, बेटी का विवाह उसी से कर दिया जाए।
बंटवारे के समय विवाद खड़ा हुआ, क्योंकि चारों बेटे बराबर हिस्सा चाहते थे। गाँव की पंचायत भी कोई निर्णय नहीं कर पाई। अंततः सब लोग राजा के पास पहुँचे। राजा अत्यंत बुद्धिमान और साहसी था। उसने पहले उन्हें अपने परिवार से जुड़े दो प्रसंगों (भाई और बहन की बात) का रहस्य समझाकर अपनी सूझबूझ दिखा दी।
फिर उसने चारों बेटों की परीक्षा ली। एक-एक करके तीन बेटों को तलवार दी और कहा कि अपने भाइयों को मारकर सारी जायदाद और अपनी बहन का विवाह प्राप्त कर लो। लेकिन तीनों भाइयों ने अपने हिस्से का त्याग कर दिया और भाइयों की हत्या करने से मना कर दिया। चौथा भाई इस लालच में आ गया और भाइयों को मारने के लिए तैयार हो गया। राजा ने उसी समय उसे कैद कर लिया।
राजा ने सबको बताया कि वृद्ध किसान ने चौथे बेटे के इसी स्वभाव को पहचानकर वसीयत लिखी थी। अंततः जायदाद तीन भाइयों में बाँट दी गई और बेटी का विवाह राजा से कर दिया गया। विवाह के बाद रानी ने गुण और संस्कारों से परिवार को और भी सुखी बना दिया।
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