आत्मविश्वास: पाठ का सारांश
“आत्मविश्वास” पाठ, जो कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ द्वारा लिखा गया एक प्रेरक निबंध है, हमें जीवन में आत्मविश्वास की शक्ति को समझाता है। यह निबंध बताता है कि आत्मविश्वास ही वह कुंजी है, जो हमें कठिनाइयों से लड़ने और सफलता पाने की ताकत देता है। लेखक रामायण के बाली और सुग्रीव के उदाहरण से समझाते हैं कि बाली का वरदान, जिसमें वह सामने वाले की आधी ताकत ले लेता था, वास्तव में आत्मविश्वास का प्रतीक है। हम भी अपनी शक्ति पर विश्वास करके दूसरों की ताकत को कमजोर कर सकते हैं, लेकिन आत्महीनता, डर और दुविधा हमें कमजोर बनाते हैं। लेखक एक कहानी के माध्यम से बताते हैं कि कैसे एक व्यक्ति भेड़िए को कुत्ता समझकर डर गया, क्योंकि उसका आत्मविश्वास कमजोर था। इसके अलावा, महाभारत में कृष्ण द्वारा अर्जुन को आत्मविश्वास से भरने, सुभाषचंद्र बोस के तेज दिमाग और आत्मविश्वास से भरे जवाबों, और हेलेन केलर की प्रेरक कहानी के उदाहरण देकर लेखक यह समझाते हैं कि आत्मविश्वास के बिना सफलता असंभव है। लेखक कहते हैं कि डर, शंका और निराशा हमारे आत्मविश्वास को तोड़ते हैं, जबकि सकारात्मक सोच और श्रद्धा हमें विजय की ओर ले जाती है। हमें हमेशा यह विश्वास रखना चाहिए कि हम भाग्यवान हैं और हर काम में सफल होंगे। पाठ में भाषा-अध्ययन के माध्यम से विलोम शब्द, समास, प्रत्यय-उपसर्ग और मुहावरों को समझने के अभ्यास भी दिए गए हैं, जो विद्यार्थियों को भाषा और अर्थ की गहराई समझने में मदद करते हैं। यह पाठ बच्चों को सिखाता है कि जीवन में उतार-चढ़ाव आते हैं, लेकिन आत्मविश्वास के साथ हर चुनौती को पार किया जा सकता है।
Leave a Reply