मध्यप्रदेश की संगीत विरासत: – पाठ का सारांश
“मध्यप्रदेश की संगीत विरासत” पाठ मध्यप्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक और संगीतमय परंपरा को दर्शाता है, जो भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। यह पाठ बताता है कि मध्यप्रदेश की मिट्टी, हवाओं और प्रकृति में संगीत बसा है, जो कविता, नृत्य और स्वर-आलाप के रूप में उभरकर लोगों के दिलों को छूता है। संगीत यहाँ की आराधना, साधना और प्रार्थना का प्रतीक है, जो आत्मिक शांति और उमंग प्रदान करता है। पाठ में तानसेन, उस्ताद अलाउद्दीन खाँ, कुमार गंधर्व और लता मंगेशकर जैसे महान संगीतकारों के योगदान को रेखांकित किया गया है। तानसेन, जिनका जन्म ग्वालियर के पास बेहट में हुआ, संगीत सम्राट थे, जिन्होंने दीपक राग से दीप जलाने का चमत्कार दिखाया और दरबारी, तोड़ी, मियाँ मल्हार जैसे रागों की रचना की। ग्वालियर घराना संगीत की अनूठी परंपरा का प्रतीक है, और यहाँ तानसेन समारोह आयोजित होता है। उस्ताद अलाउद्दीन खाँ ने मैहर में सन्तूर वादन को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया, और उनकी स्मृति में अलाउद्दीन खाँ संगीत अकादमी स्थापित की गई। कुमार गंधर्व ने मालवी गीतों और सूर, तुलसी, कबीर, मीरा के भजनों को अपनी आवाज़ से जीवंत किया, साथ ही राग-मालवती और गांधी मल्हार जैसे रागों की रचना की। उन्हें पद्मभूषण, पद्मविभूषण जैसे सम्मान मिले। लता मंगेशकर, जिन्हें भारतरत्न से सम्मानित किया गया, ने अपने गीतों से राष्ट्रीय भावनाओं को जगाया, खासकर “ऐ मेरे वतन के लोगो” जैसे गीतों से। पाठ में संगीत की महिमा को बताया गया है, जो समाज को जीवंत बनाता है और मन को करुणा, उमंग और शांति से भर देता है। भाषा-अध्ययन के माध्यम से संधि, समास और शब्दों के अर्थ समझने के अभ्यास भी दिए गए हैं, जो विद्यार्थियों को भाषा और संगीत की गहराई से जोड़ते हैं। यह पाठ बच्चों को मध्यप्रदेश की संगीतमय विरासत और इसके महत्व को समझने के लिए प्रेरित करता है।
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