सब के चेहरे खिल उठे – सारांश
यह पाठ “सबके चेहरे खिल उठे” हमें यह सिखाता है कि पुलिस से डरना नहीं चाहिए, बल्कि उसे सहयोग करना चाहिए। कहानी में जीतू और रामू जैसे बच्चों के मन में पुलिस को लेकर डर है, लेकिन दादाजी उन्हें समझाते हैं कि पुलिस अपराधियों को पकड़ने और समाज की सुरक्षा करने के लिए होती है, न कि आम लोगों को सताने के लिए। पुलिस पूछताछ करती है ताकि अपराधियों तक पहुँच सके और किसी को तभी गिरफ्तार किया जाता है जब उसके खिलाफ सबूत मिलते हैं। गिरफ्तारी के बाद भी आरोपी तब तक निर्दोष माना जाता है जब तक आरोप सिद्ध न हो जाए। महिलाओं से पूछताछ के लिए विशेष सावधानियाँ बरती जाती हैं और उनके अधिकारों का पूरा ध्यान रखा जाता है। पुलिस किसी के साथ मारपीट या दुर्व्यवहार नहीं कर सकती क्योंकि यह गैर कानूनी है। हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह पुलिस को अपराध रोकने में सहयोग दे, कानून का पालन करे, ज़रूरी जानकारी साझा करे और राष्ट्रीय सम्पत्ति का सम्मान करे। अंत में सभी बच्चों का पुलिस के प्रति डर दूर हो जाता है और उनके चेहरे खुशी से खिल उठते हैं।
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