श्री मुफ्तानन्दजी से मिलिए – पाठ का सारांश
पाठ ‘श्री मुफ्तानंद जी से मिलिए’ एक हास्य-व्यंग्य कहानी है, जिसे डॉ. बरसाने लाल चतुर्वेदी ने लिखा है। यह पाठ समाज में व्याप्त मुफ्तखोरी की बुराई को मजेदार अंदाज में उजागर करता है। कहानी का मुख्य पात्र मुफ्तानंद जी है, जिनका नाम ही उनके स्वभाव को दर्शाता है, क्योंकि वे हर चीज मुफ्त में पाने की जुगत में रहते हैं। लेखक बताते हैं कि मुफ्तानंद जी को दावत का निमंत्रण हो या अखबार पढ़ना, हर जगह मुफ्त का लाभ उठाने की कला में माहिर हैं। वे पड़ोसियों के अखबार पढ़ लेते हैं, दूसरों की जेब से पान खाते हैं, और सिनेमा का मुफ्त पास पाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। एक बार वे मुफ्त बर्फ लेने के लिए कतार में घंटों खड़े रहे, भले ही उनकी जूती खो गई और कमीज फट गई, पर मुफ्त की चीज उनके लिए नुकसान से बड़ी थी।
मुफ्तानंद जी के दस बच्चे हैं, और वे उनकी स्कूल फीस माफ कराने के लिए प्रिंसिपल के घर धरना देते हैं, चाहे इसके लिए चालाकी या तिकड़म क्यों न करनी पड़े। वे लेखक से कालिदास की ग्रंथावली मांगते हैं, लेकिन दो साल बाद भी नहीं लौटाते। उनकी दवाइयाँ भी मुफ्त में आती हैं, क्योंकि वे डॉक्टरों और वैद्यों से दोस्ती कर लेते हैं। यहाँ तक कि सरकारी अस्पताल से टॉनिक भी वे बिना पैसे दिए ले आते हैं। उनका मानना है कि मुफ्त की चीज कभी नुकसान नहीं करती, और वे परलोक में भी मुफ्त में मुक्ति पाने की उम्मीद रखते हैं। लेखक ने इस व्यंग्य के जरिए हास्य के साथ यह दिखाया कि मुफ्तखोरी की आदत इंसान को कितना हास्यास्पद बना देती है।
पाठ में भाषा से जुड़े कई पाठ्य बिंदु भी हैं, जैसे शब्द-युग्म (लाल-लाल, हरा-हरा), समानोच्चारित शब्द (निमंत्रण-आमंत्रण), मुहावरे (यथा नाम तथा गुण, माले मुफ्त दिले बेरहम), और विराम-चिह्नों का महत्व। उदाहरण के लिए, ‘पढ़ो, मत लिखो’ और ‘पढ़ो मत, लिखो’ में अल्पविराम से अर्थ बदल जाता है। इसके अलावा, सर्वनाम और सार्वनामिक विशेषण का अंतर समझाया गया है, जैसे ‘वह लड़का’ में ‘वह’ विशेषण है, और ‘वह गया’ में ‘वह’ सर्वनाम। पाठ में अभ्यास प्रश्नों के जरिए शब्दार्थ, मुहावरे, वाक्य प्रयोग और योग्यता विस्तार के सवाल हैं, जो कक्षा 8 के छात्रों को सामाजिक बुराइयों को समझने, भाषा सीखने और हास्य-व्यंग्य का आनंद लेने में मदद करते हैं। यह पाठ हमें सिखाता है कि मुफ्तखोरी की आदत से बचना चाहिए, क्योंकि यह न सिर्फ दूसरों का नुकसान करती है, बल्कि खुद की इज्जत भी कम करती है।
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