हीरा – कुणी – सारांश
पाठ “हीरा-कुणी” में ग्वालिन हीरा और उसकी गाय कुणी की मार्मिक कहानी बताई गई है। हीरा रोज़ रायगढ़ के किले में राजा को दूध बेचने जाती थी। गाय कुणी की एक छोटी बछिया थी जो भूखी रह जाती थी क्योंकि हीरा दूध पूरा निकालकर राजा को दे देती थी और बछिया को माँ का दूध नहीं मिल पाता था। एक दिन हीरा किले में देर से फँस गई और फाटक बंद हो गया। पहरेदार ने उसकी विनती सुनकर भी द्वार नहीं खोला। हीरा अपने बच्चे और बछिया की याद में तड़प उठी। उसने खतरनाक और कठिन रास्ते से उतरकर अपने घर पहुँचना तय किया। चाँदनी रात में पत्थरों और चट्टानों के बीच से होकर वह किसी तरह घर पहुँची और अपने भूखे बच्चे को दूध पिलाया। उसी समय बंधन तोड़कर बछिया भी अपनी माँ कुणी से दूध पीने लगी। अगले दिन जब राजा ने यह घटना सुनी तो उसका हृदय पिघल गया। उसने हीरा को एक गाँव जागीर में दे दिया और जिस कठिन मार्ग से हीरा गुज़री थी, उसका नाम “हीरा-कुणी” रख दिया। इस कहानी से हमें पशु-पक्षियों के प्रति स्नेह और माँ की ममता की महत्ता का बोध होता है।
Leave a Reply