हम भी सीखें – सारांश
पाठ “हम भी सीखें” एक प्रेरणादायक कविता है जिसमें कवि ने प्रकृति और पर्यावरण से सीख लेने का संदेश दिया है। इसमें बताया गया है कि सूरज अपनी रोशनी, तारे शीतलता, चाँद अमृत और बादल वर्षा-जल सबको बाँटते हैं, वैसे ही हमें भी निस्वार्थ भाव से दूसरों के काम आना चाहिए। जुगनू थोड़ी-थोड़ी रोशनी से अंधकार को दूर करता है, उसी तरह हमें भी छोटे-छोटे प्रयासों से समाज से बुराइयों को हटाना चाहिए। पेड़ बिना घमंड के फल, फूल, बीज और छाया देते हैं, और दधीचि ऋषि की तरह अपना सब कुछ न्यौछावर कर देते हैं, वैसे ही हमें भी त्यागी बनकर जीवन जीना चाहिए। नदियाँ और झरने निरंतर जल बहाकर दूसरों को जीवन देती हैं, पर्वत इनका जनक कहे जाते हैं। धरती सबका पालन करती है, अन्न उगाती है और स्वयं कष्ट सहकर भी जीवन को महकाती है। इस कविता से यह शिक्षा मिलती है कि प्रकृति की तरह हमें भी उदार, त्यागी, सेवा भावी और सबके हित में कार्य करने वाला बनना चाहिए।
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