भेड़ाघाट– पाठ का सारांश
“भेड़ाघाट” पाठ एक यात्रा-वृत्तांत है, जिसमें लेखक पं. माखनलाल चतुर्वेदी ने मध्य प्रदेश के भेड़ाघाट और नर्मदा नदी के प्राकृतिक सौंदर्य का मनोरम वर्णन किया है। यह पाठ प्राकृतिक सौंदर्य, मध्य प्रदेश के दर्शनीय स्थलों, पुनरुक्ति शब्द, वाक्य निर्माण और शुद्ध वर्तनी सिखाता है। लेखक 1914 में पहली बार भेड़ाघाट गए, जो जबलपुर से 13 मील दूर है। उन्होंने नर्मदा के संगमरमर के किनारों, धूँआधार प्रपात और दूध-धारा की सुंदरता का वर्णन किया, जहां चट्टानें सूरज और चाँद की रोशनी में चमकती हैं और बरसात में भी अपनी पवित्रता बनाए रखती हैं। नर्मदा को चाँदी के कारागार में बंदिनी बताया गया है, जो सतपुड़ा की संगमरमर की चट्टानों में बहती है। भेड़ाघाट में गौरी-शंकर और चौंसठ योगिनी मंदिर हैं, जिनमें दूध-धारा का ‘घर-घर’ स्वर रात में सुनाई देता है। लेखक ने ग्रामीण बच्चे से दूध-धारा का नाम सुना, जो घर्षण से दूध जैसा सफेद दिखता है। भेड़ाघाट सिवनी जिले में है, और इसका सौंदर्य लेखक को इतना प्रभावित करता है कि वे इसे विधाता की अनुपम रचना मानते हैं। लेखक का जन्म 1889 में मध्य प्रदेश में हुआ, और उनकी रचनाएँ जैसे ‘पुष्प की अभिलाषा’ और ‘कर्मवीर’ पत्रिका स्वतंत्रता संग्राम में प्रसिद्ध हैं।
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