भारत में ब्रिटिश सत्ता की स्थापना और विस्तार
1. यूरोपीय व्यापारिक कम्पनियों का आगमन
15वीं शताब्दी में यूरोप में पुनर्जागरण, औद्योगिक क्रांति, भौगोलिक खोजों आदि ने नए व्यापारिक मार्गों की खोज को बढ़ावा दिया। वास्को-डि-गामा 1498 ई. में कालीकट (भारत) पहुँचा। भारत में सबसे पहले पुर्तगाली आए, उसके बाद डच, अंग्रेज और फ्रांसीसी आए।
2. भारत में पुर्तगाली
पुर्तगालियों ने कालीकट, गोवा, दमन, दीव, हुगली में कोठियाँ बनाईं। अलबुकर्क ने 1510 ई. में गोवा पर अधिकार किया। 16वीं शताब्दी तक पुर्तगाली व्यापार पर एकाधिकार कर चुके थे।
3. भारत में डच
1602 ई. में डच ईस्ट इंडिया कम्पनी बनी। भारत में इनकी फैक्ट्री मछलीपट्टनम और पुलीकट में थी। डचों ने मसाले, नील, रेशम, चावल और अफीम का व्यापार किया। इन्होंने पगोडा नामक स्वर्ण मुद्रा चलाई। 1759 में वेदरा के युद्ध में अंग्रेजों ने इन्हें हरा दिया।
4. भारत में अंग्रेज
1600 ई. में अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना हुई। 1608 में कैप्टन हॉकिंस भारत आया। 1615 ई. में सर टॉमस रो जहाँगीर के दरबार में दूत बनकर आया। अंग्रेजों ने सूरत, आगरा, अहमदाबाद, मुंबई, मद्रास, कलकत्ता में कोठियाँ बनाई।
5. भारत में फ्रांसीसी
1664 ई. में फ्रांसीसी कम्पनी बनी। फ्रांसीसी कोठियाँ – सूरत, मछलीपट्टनम, पुडुचेरी, चन्द्रनगर। फ्रांसीसी गवर्नर डुप्ले ने अंग्रेजों से संघर्ष किया। 1760 ई. में वांडीवाश के युद्ध में फ्रांसीसी पराजित हुए।
6. कर्नाटक युद्ध
अंग्रेजों और फ्रांसीसियों के बीच कुल 3 कर्नाटक युद्ध हुए।
- पहला युद्ध (1746-48) – मद्रास पर फ्रांसीसी अधिकार।
- दूसरा युद्ध (1748-54) – अंग्रेजों ने कर्नाटक पर अधिकार किया।
- तीसरा युद्ध (1756-63) – वांडीवाश की लड़ाई, अंग्रेज विजयी।
7. बंगाल में ब्रिटिश सत्ता
1757 ई. – प्लासी का युद्ध (सिराजुद्दौला बनाम क्लाइव)।
- अंग्रेजों ने षड्यंत्र कर मीरजाफर को नवाब बनाया।
- बंगाल में अंग्रेजों का राजनीतिक अधिकार स्थापित हुआ।
1764 ई. – बक्सर का युद्ध
- अंग्रेज बनाम शुजाउद्दौला (अवध), शाह आलम द्वितीय (मुगल), मीरकासिम।
- अंग्रेज विजयी हुए।
- इलाहाबाद की संधि (1765) – अंग्रेजों को बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी मिली।
8. अंग्रेज-मैसूर युद्ध
हैदर अली और उसके पुत्र टीपू सुल्तान ने अंग्रेजों से संघर्ष किया। कुल चार युद्ध (1767-1799) हुए। 1799 ई. के चौथे युद्ध में टीपू सुल्तान वीरगति को प्राप्त हुआ और मैसूर पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया।
9. अंग्रेज-मराठा युद्ध
अंग्रेज और मराठों के बीच तीन युद्ध हुए (1775-1818)। तीसरे युद्ध (1817-18) के बाद मराठों की शक्ति समाप्त हो गई और अंग्रेज भारत के सर्वोच्च शासक बने।
10. सहायक सन्धि (Subsidiary Alliance)
इसे लार्ड वेलेजली ने लागू किया। शर्तें:
- भारतीय राज्य में ब्रिटिश सेना रखी जाएगी।
- खर्च शासक को देना होगा।
- दरबार में अंग्रेज रेजिडेंट रखा जाएगा।
हैदराबाद, अवध, पेशवा, सिन्धिया, भोंसले आदि ने यह सन्धि स्वीकार की।
11. लार्ड डलहौजी की विलय नीति (Doctrine of Lapse)
दत्तक पुत्र की प्रथा को अस्वीकार कर दिया गया। पुत्रहीन राज्यों को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया गया। झाँसी, सतारा, नागपुर आदि राज्य विलय किए गए। 1856 में अवध को भी ब्रिटिश शासन में मिला लिया गया।
12. अंग्रेजों की सफलता के कारण
भारत की राजनीतिक कमजोरियाँ – मुगल साम्राज्य का पतन, छोटे राज्यों की आपसी लड़ाई। अंग्रेजों की सैन्य शक्ति – प्रशिक्षित सैनिक, तोपखाना, आधुनिक हथियार। फूट डालो और राज करो की नीति। भारतीय शासकों की आंतरिक कलह और विलासिता।
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