1. भारत की रक्षा नीति
- भारत विश्व की शांति व सुरक्षा में विश्वास करता है।
- विवादों का समाधान पारस्परिक वार्ता और शांतिपूर्ण तरीके से करता है।
- अपनी सुरक्षा के लिए भारत ने सुदृढ़ रक्षा व्यवस्था व सेनाओं का गठन किया।
- राष्ट्रपति तीनों सेनाओं (थल, जल, वायु) के सर्वोच्च सेनापति हैं।
2. भारतीय रक्षा सेनाओं के तीन अंग
(क) थल सेना
- विश्व की प्रमुख एवं शक्तिशाली सेनाओं में से एक।
- मुख्यालय: नई दिल्ली।
- सर्वोच्च अधिकारी: थल सेना अध्यक्ष (जनरल)।
- अंग: पैदल सेना, टैंक, तोपखाना, शस्त्र निर्माण, मेडिकल, इंजीनियरिंग, व्हीकल।
- कमान: पाँच क्षेत्रीय – केन्द्रीय, पूर्वी, पश्चिमी, उत्तरी, दक्षिणी।
- पदक्रम (अधिकारी वर्ग): जनरल → लेफ्टिनेंट जनरल → मेजर जनरल → ब्रिगेडियर → कर्नल → लेफ्टिनेंट कर्नल → कैप्टन → लेफ्टिनेंट।
- पदक्रम (सैनिक वर्ग): मेजर → सूबेदार → हवलदार → नायक → लांसनायक → सिपाही।
(ख) नौ सेना
- भारत की समुद्री सीमा तीन ओर से जल से घिरी।
- मुख्यालय: नई दिल्ली।
- सर्वोच्च अधिकारी: नौ सेना अध्यक्ष (एडमिरल)।
- कमान (क्षेत्रीय):
- पूर्वी कमान – विशाखापट्टनम
- पश्चिमी कमान – मुंबई
- दक्षिणी कमान – कोच्चि
- पदक्रम (अधिकारी वर्ग): एडमिरल → वाइस एडमिरल → रियर एडमिरल → कोमोडोर → कैप्टन → कमांडर → लेफ्टिनेंट कमांडर → लेफ्टिनेंट → सब लेफ्टिनेंट।
- प्रमुख युद्धपोत: आई.एन.एस. जहाज़।
- 2001 में थल सेना, नौसेना और वायुसेना की संयुक्त कमान अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में बनी।
(ग) वायु सेना
- युद्धकाल में: दुश्मन के ठिकानों पर बमबारी, संचार व यातायात व्यवस्था नष्ट करना।
- थल सेना को युद्ध सामग्री, खाद्य पहुँचाना।
- नभ से सीमाओं की निगरानी करना।
- मुख्यालय: नई दिल्ली।
- कमान: 6 प्रमुख + 1 रख-रखाव (नागपुर)।
- पूर्वी (शिलांग)
- पश्चिमी (नई दिल्ली – सुब्रोतो पार्क)
- मध्य (इलाहाबाद)
- दक्षिणी (तिरुवनंतपुरम)
- दक्षिण-पश्चिमी (गांधीनगर)
- प्रशिक्षण (बंगलौर)
- पदक्रम (अधिकारी वर्ग): एयर चीफ मार्शल → एयर मार्शल → एयर वाइस मार्शल → एयर कमांडर → ग्रुप कैप्टन → विंग कमांडर → स्क्वाड्रन लीडर → फ्लाइट ऑफिसर → फ्लाइंग ऑफिसर।
- पदक्रम (सैनिक वर्ग): मास्टर वारंट ऑफिसर → वारंट ऑफिसर → जूनियर वारंट ऑफिसर → सार्जेंट → कॉर्पोरल → लीडिंग एयर क्राफ्टमेन → एयर क्राफ्टमेन।
- प्रमुख विमान: हंटर, अजीत, किरण, मिग 21/23/25/28, जगुआर, मिराज 2000।
3. शांतिकाल में सेनाओं का योगदान
- प्राकृतिक आपदाओं (बाढ़, भूकम्प, दुर्घटनाएँ) में राहत कार्य।
- आतंकवादी व विघटनकारी गतिविधियों का सामना।
- संयुक्त राष्ट्र शांति कार्यों में योगदान (कोरिया, गाजापट्टी, लेबनान, कांगो, यमन आदि)।
4. रक्षा सामग्री का उत्पादन
- शासकीय आयुध कारखाने: शस्त्र, टैंक, वाहन, गोला-बारूद।
- सार्वजनिक उपक्रम: जलपोत, विमान, मशीन कलपुर्जे, संचार उपकरण।
- परमाणु संयंत्र: तारापुर (महाराष्ट्र), कलपक्कम (तमिलनाडु)।
- प्रमुख प्रक्षेपास्त्र (मिसाइल): अग्नि, पृथ्वी, त्रिशूल, नाग, आकाश, अस्त्र, ब्रह्मास्त्र।
- 1974 व 1998 में परमाणु परीक्षण।
5. नागरिकों के कर्तव्य
- विदेशी आक्रमण व संकट काल में राष्ट्र की एकता व अखंडता की रक्षा करना।
- प्राथमिक चिकित्सा, नर्सिंग, ब्लैक आउट व हवाई हमले से बचाव की जानकारी रखना।
- अनुशासन व सैन्य अभिरुचि हेतु एन.सी.सी. (नेशनल कैडेट कोर) का गठन।
- प्रादेशिक सेना: 18-35 वर्ष के नागरिक शस्त्र प्रशिक्षण लेकर रक्षा कार्य में भाग ले सकते हैं।
- असामाजिक तत्वों से सतर्क रहकर सरकार की सहायता करना।
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