1. क्रांतिकारी आंदोलन का परिचय
- अंग्रेजों के अन्याय और शोषण के विरुद्ध भारतीयों ने क्रांतिकारी आंदोलन शुरू किया।
- इसका उद्देश्य स्वतंत्रता प्राप्त कर अन्यायपूर्ण व्यवस्था को समाप्त करना था।
- स्वतंत्रता को जन्मसिद्ध अधिकार माना गया।
2. क्रांतिकारी आंदोलन के उदय के कारण
1. आर्थिक असंतोष – अकाल, महामारी और ब्रिटिश सरकार की उपेक्षा से असंतोष।
2.लॉर्ड कर्जन की नीतियाँ –
- विश्वविद्यालय अधिनियम (1904),
- गोपनीयता अधिनियम,
- कलकत्ता निगम अधिनियम से असंतोष।
3.बंगाल विभाजन (1905) – राष्ट्रव्यापी आक्रोश और युवाओं में बलिदान की भावना।
4.अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव –
- अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी की क्रांतियाँ प्रेरणादायक।
- जापान द्वारा रूस की हार (1905) से भारतीयों में जागृति।
3. क्रांतिकारी आंदोलन के प्रमुख कार्यक्रम
- समाचार पत्रों व पैम्पलेट द्वारा जागृति।
- युवाओं को राष्ट्रप्रेम और स्वदेशी प्रचार में लगाना।
- शस्त्रों का प्रशिक्षण व निर्माण।
- बम, हथियारों का निर्माण और विदेशों से आयात।
4. क्रांतिकारी आंदोलन का विस्तार
1. महाराष्ट्र
- प्रमुख क्रांतिकारी – वासुदेव बलवन्त फड़के, चाफेकर बन्धु, सावरकर।
- फड़के – 1879 में गाँवों पर कब्जा, काले पानी की सजा।
- चाफेकर बन्धु – 1897 में रैण्ड व एयर्स्ट की हत्या।
- सावरकर – 1909 में नासिक के जैक्सन की हत्या।
2. बंगाल
- प्रमुख क्रांतिकारी – बारीन्द्र घोष, खुदीराम बोस, प्रफुल्ल चाकी, अरविन्द घोष।
- अनुशीलन समिति – युवाओं का संगठन।
- खुदीराम बोस – 1908 में जज किंग्सफोर्ड को निशाना बनाते हुए बम फेंका, पर फाँसी हुई।
3. पंजाब
- प्रमुख क्रांतिकारी – लाला लाजपत राय, अजीत सिंह, हरदयाल, मदनलाल ढींगरा।
- किसानों के पक्ष में आंदोलन।
- मदनलाल ढींगरा ने लंदन में विलियम कर्जन वायली की हत्या की।
4. विदेशों में गतिविधियाँ
- श्यामजी वर्मा ने लंदन में इंडिया हाउस (1905) स्थापित किया।
- भीकाजी कामा ने 1907 में जर्मनी में भारतीय ध्वज फहराया।
- अमेरिका में गदर पार्टी (1913) – लाला हरदयाल, रासबिहारी बोस, करतार सिंह।
5. क्रांतिकारी आंदोलन – द्वितीय चरण
1. पृष्ठभूमि
- असहयोग आंदोलन की वापसी, जलियांवाला बाग हत्याकांड से युवाओं में प्रतिशोध की भावना।
2. प्रमुख संगठन
- नौजवान सभा – भगतसिंह, यशपाल, छबीलदास।
- हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) – आजाद, बिस्मिल, सान्याल।
3. कार्यक्रम
- सरकारी खजानों और बैंकों की लूट।
- क्रांतिकारियों के बीच सामंजस्य।
- नारा – “हम दया की भीख नहीं माँगते, यह लड़ाई जीत या मौत तक है।”
6. उत्तर भारत के क्रांतिकारी
- काकोरी कांड (1925) – सरकारी खजाना लूट, बिस्मिल, अशफाक, रोशन सिंह, लाहिड़ी को फाँसी।
- लाहौर कांड (1928) – लाला लाजपत राय की मौत का बदला, सांडर्स की हत्या।
- असेंबली बम कांड (1929) – भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव को फाँसी (1931)।
- चन्द्रशेखर आजाद – अल्फ्रेड पार्क, इलाहाबाद में शहीद।
7. बंगाल के क्रांतिकारी
- प्रमुख – गणेश घोष, सूर्यसेन, प्रीतिलता, निर्मल सेन।
- चटगाँव शस्त्रागार कांड (1930) – सूर्यसेन के नेतृत्व में।
- प्रीतिलता – अंग्रेजी क्लब पर हमला, विष पीकर शहीद।
- शांति घोष व सुनीता चौधरी – जिलाधिकारी की हत्या (1931)।
8. सुभाषचन्द्र बोस और आज़ाद हिन्द फौज
- कांग्रेस छोड़कर फॉरवर्ड ब्लाक की स्थापना।
- आजाद हिन्द फौज – रासबिहारी बोस की पहल, कैप्टन मोहन सिंह द्वारा स्थापना।
- 1943 में बोस ने “दिल्ली चलो” और “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा” का नारा दिया।
- सिंगापुर में अस्थायी सरकार बनाई।
- कोहिमा व इम्फाल तक पहुँचे लेकिन असफल रहे।
- 1945 में विमान दुर्घटना में मृत्यु (विवादित)।
9. क्रांतिकारी आंदोलन का महत्व
- स्वतंत्रता संग्राम में नई चेतना और ऊर्जा का संचार।
- त्याग, बलिदान और देशभक्ति की अद्वितीय मिसाल।
- जनता में स्वतंत्रता की चाह को प्रबल किया।
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