1. प्रारम्भिक विद्रोह
अंग्रेजी शासन की स्थापना के साथ ही उसका विरोध शुरू हो गया था।
असंतुष्ट वर्ग: शासक, जमींदार, धार्मिक नेता, सैनिक, किसान, कारीगर, आदिवासी।
1857 से पहले कई विद्रोह हुए:
- सन्यासी विद्रोह (बंगाल, 1770)
चुआर विद्रोह (मिदनापुर, 1768)
हो और मुण्डा विद्रोह (छोटानागपुर, सिंहभूमि)
कोल विद्रोह (1831, छोटानागपुर)
संथाल विद्रोह (सीदो-कान्हू के नेतृत्व में, 1856 तक)
अहोम विद्रोह (असम, 1828)
खासी विद्रोह (तीरथसिंह के नेतृत्व में)
भील विद्रोह (1812-1846)
कच्छ विद्रोह (1819-1831)
रामोसी विद्रोह (1822, पश्चिम घाट)
दीवान वेला टम्पी का विद्रोह (त्रावणकोर, 1805)
वहाबी आंदोलन (सैय्यद अहमद, रायबरेली; 1820-1870)
इन सब विद्रोहों ने जनता में जागरूकता और असंतोष पैदा किया, जिसने 1857 के संग्राम की नींव रखी।
2. 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम
- 10 मई 1857 को मेरठ से सैनिक विद्रोह शुरू।
- दूसरे दिन सिपाही दिल्ली पहुँचे और बहादुरशाह जफर को भारत का सम्राट घोषित किया।
- यह आंदोलन सैनिकों से शुरू होकर किसानों, जमींदारों, दस्तकारों, विद्वानों तक फैल गया।
- इसे भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम कहा गया।
3. असंतोष के कारण
(क) राजनीतिक कारण
- अंग्रेजों की राज्य विस्तार नीति।
- डलहौजी की विलय नीति से झाँसी, अवध, सिंध, पंजाब आदि पर कब्जा।
- नाना साहब की पेंशन बंद, झाँसी के दत्तक पुत्र को उत्तराधिकारी न मानना।
(ख) आर्थिक कारण
- नई भू-राजस्व व्यवस्था से किसान कष्ट में।
- जमींदारों की जमीन छीनी गई।
- भारतीय हस्तशिल्प नष्ट हुए।
(ग) सामाजिक और धार्मिक कारण
- ईसाई धर्म-प्रचारकों का हस्तक्षेप।
- रीति-रिवाजों की उपेक्षा (जेल, फौज, रेल यात्रा)।
- धर्म परिवर्तन का भय।
(घ) सैनिक कारण
- सेना में भारतीयों के लिए ऊँचे पद बंद।
- वेतन और सुविधाओं में भेदभाव।
- चर्बी वाले कारतूस हिंदू और मुस्लिम दोनों की भावनाओं के खिलाफ।
4. प्रमुख नेता और क्षेत्र
- दिल्ली – बहादुरशाह जफर, बख्त खाँ।
- कानपुर – नाना साहब, तात्या टोपे, अजीमुल्ला।
- झाँसी – रानी लक्ष्मीबाई।
- अवध – बेगम हजरत महल, बिरजिस कादर, मौलवी अहमदुल्ला।
- बिहार – कुँवर सिंह।
5. आंदोलन का दमन
- अंग्रेजों ने हिन्दू-मुसलमानों को लड़ाने की कोशिश की, पर विफल रहे।
- 1857 के अंत तक विद्रोह कुचल दिया गया।
- बहादुरशाह जफर को रंगून (म्यांमार) भेजा गया, वहीं मृत्यु।
- रानी लक्ष्मीबाई ग्वालियर में वीरगति को प्राप्त हुईं।
- तात्या टोपे को विश्वासघात से पकड़ा गया और फाँसी दी गई।
- आंदोलन के दमन में अंग्रेजों ने बड़े पैमाने पर अत्याचार और हत्याएँ कीं।
6. असफलता के कारण
- नेतृत्व राजाओं और जमींदारों के हाथों में रहा।
- जनता स्वतंत्र नेतृत्व नहीं बना पाई।
- राजनीतिक एकता और चेतना का अभाव।
- विभिन्न क्षेत्रों में तालमेल की कमी।
- कुछ शासकों ने अंग्रेजों का साथ दिया।
- पंजाब जैसे क्षेत्रों में असंतोष कम था।
7. परिणाम
- कंपनी का शासन समाप्त हुआ।
- भारत पर सीधे ब्रिटिश सरकार का शासन शुरू हुआ।
- भारतीय राज्यों की स्वतंत्रता समाप्त हो गई।
- भारतीय इतिहास में 1857 का संग्राम एक गौरवशाली अध्याय बन गया।
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