हमारे राष्ट्रीय लक्ष्य (अ) राष्ट्रीय लक्ष्यों की प्राप्ति (ब) लोकतन्त्र एवं नागरिक
1. राष्ट्रीय लक्ष्य क्या हैं?
- जैसे व्यक्ति अपने जीवन के लक्ष्य बनाकर कार्य करता है, वैसे ही राष्ट्र के भी कुछ लक्ष्य होते हैं।
- राष्ट्रीय लक्ष्य देश की प्रगति और समृद्धि में सहायक होते हैं।
- सरकार इन लक्ष्यों की पूर्ति के लिए कानून और प्रशासनिक व्यवस्था बनाती है।
- भारत के मुख्य राष्ट्रीय लक्ष्य हैं –
- स्वतंत्रता
- समानता
- सामाजिक समरसता
- अंतर्राष्ट्रीय शांति और सहयोग
2. लोकतंत्र
- लोकतंत्र का अर्थ – प्रत्येक व्यक्ति को स्वतंत्रता और समान अधिकार प्राप्त हों।
- इसमें नागरिकों को भेदभाव रहित समान अवसर मिलते हैं।
- जनता अपने प्रतिनिधि चुनकर सरकार बनाती है।
- लोकतंत्र के मुख्य तत्व – स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व।
- नागरिकों का कर्तव्य – अच्छे प्रतिनिधि चुनना और अपने अधिकारों व कर्तव्यों के प्रति जागरूक रहना।
3. स्वतंत्रता
- स्वतंत्रता का अर्थ है – ऐसा वातावरण जिसमें व्यक्ति अपना विकास कर सके।
- स्वतंत्रता = उचित बंधनों को स्वीकार करना (अनुचित बंधनों से मुक्ति)।
- स्वतंत्रता के प्रकार –
- व्यक्तिगत स्वतंत्रता
- नागरिक स्वतंत्रता
- राजनीतिक स्वतंत्रता
- आर्थिक एवं सामाजिक स्वतंत्रता
- धार्मिक स्वतंत्रता
- भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त स्वतंत्रताएँ – अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शांतिपूर्ण सभा, संगठन बनाना, देश में घूमना, निवास करना, व्यापार करना आदि।
4. समानता
- सभी नागरिकों को कानून के सामने समान अवसर मिलना = समानता।
- किसी भी धर्म, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव नहीं।
- समानता के प्रकार –
- सामाजिक समानता
- राजनीतिक समानता
- आर्थिक समानता
- महत्व –
- भेदभाव समाप्त करता है।
- स्वतंत्रता की रक्षा करता है।
- सर्वांगीण विकास सुनिश्चित करता है।
- निष्पक्ष न्याय की गारंटी देता है।
5. न्याय
- न्याय = सही, उचित और तार्किक स्थिति।
- लोकतांत्रिक समाज में न्याय का उद्देश्य – नागरिकों के अधिकारों की रक्षा और समाज में व्यवस्था।
- संविधान सभी को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय प्रदान करता है।
- भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष न्यायपालिका है।
6. पंथ निरपेक्षता
- राज्य सभी नागरिकों को धर्म की स्वतंत्रता देता है।
- किसी एक धर्म को मान्यता नहीं दी गई।
- सभी नागरिकों को अपने पंथ का पालन करने की स्वतंत्रता।
- व्यक्तिगत हित से ऊपर राष्ट्रहित को रखना आवश्यक है।
7. अंतर्राष्ट्रीय शांति और सहयोग
- भारत का लक्ष्य – विश्व शांति और सहयोग।
- इसके लिए भारत ने अपनाए –
- पंचशील सिद्धांत
- गुट निरपेक्ष नीति
- निरस्त्रीकरण (शस्त्रों की दौड़ समाप्त करना)
- जवाहरलाल नेहरू का कथन – “हम विश्व में सर्वत्र शांति चाहते हैं।”
- भारतीय संस्कृति हमेशा से सह-अस्तित्व और सहिष्णुता की पक्षधर रही है।
8. लोकतंत्र और नागरिक
- लोकतंत्र = जनता की सरकार, जनता के लिए और जनता द्वारा। (अब्राहम लिंकन)
- नागरिकों को –
- समाचार और जानकारी प्राप्त करनी चाहिए।
- सही निर्णय लेकर मतदान करना चाहिए।
- सरकार की नीतियों की आलोचना और समर्थन दोनों का अधिकार है।
- भारत में अप्रत्यक्ष लोकतंत्र है।
- बहुमत से सरकार बनती है, अल्पमत दल प्रतिपक्ष की भूमिका निभाते हैं।
9. वयस्क मताधिकार और मतदान
- भारत में 18 वर्ष से अधिक आयु के हर नागरिक को मतदान का अधिकार।
- इसे सार्वभौम वयस्क मताधिकार कहते हैं।
- मतदान नागरिक का अधिकार ही नहीं बल्कि कर्तव्य भी है।
- मतदान से जनता अपने प्रतिनिधि चुनती है।
- जाति, धर्म या क्षेत्र के आधार पर मतदान लोकतंत्र को कमजोर करता है।
10. नागरिकों के मौलिक अधिकार
- संविधान द्वारा दिए गए 6 अधिकार –
- समानता का अधिकार
- स्वतंत्रता का अधिकार
- शोषण के विरुद्ध अधिकार
- धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
- संस्कृति और शिक्षा का अधिकार
- संवैधानिक उपचार का अधिकार
11. नागरिकों के मौलिक कर्तव्य
- संविधान, ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान।
- भारत की एकता और अखंडता की रक्षा।
- देश की रक्षा और राष्ट्र की सेवा।
- सभी नागरिकों में भाईचारा और समानता की भावना।
- स्त्रियों के सम्मान व पर्यावरण की रक्षा।
12. मानव अधिकार
- मानव अधिकार = वे अधिकार जो मनुष्य को जन्म से प्राप्त हैं और उसके विकास के लिए आवश्यक हैं।
- इसमें नागरिक, राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक अधिकार शामिल हैं।
- संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 10 दिसम्बर 1948 को मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा पारित की।
- हर वर्ष 10 दिसम्बर को अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस मनाया जाता है।
13. मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग
- गठन – 6 जनवरी 1992।
- उद्देश्य – मानव अधिकारों का संरक्षण और प्रचार।
- भोपाल में इसका कार्यालय है।
- शिकायत साधारण कागज पर, बिना वकील और बिना शुल्क के दर्ज कराई जा सकती है।
14. लोकतंत्र की सफलता की शर्तें
- शिक्षित जनता – राजनीतिक प्रश्नों की समझ।
- राजनीतिक जागरूकता – सही निर्णय और विवेकपूर्ण सोच।
- स्वतंत्र प्रेस – जनता और सरकार के बीच कड़ी, ‘लोकतंत्र का चौथा स्तंभ’।
- सामाजिक और आर्थिक समानता – ऊँच-नीच, गरीबी और भेदभाव का अंत।
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