1. 1858 का अधिनियम
- ईस्ट इंडिया कम्पनी का शासन समाप्त कर दिया गया।
- भारत का प्रशासन सीधे इंग्लैण्ड की महारानी के अधीन आ गया।
- गवर्नर जनरल को अब वायसराय कहा जाने लगा।
- इंग्लैण्ड में भारत सचिव एवं उसकी परिषद बनाई गई।
- भारत सचिव भारतीय प्रशासन का सर्वोच्च उत्तरदायी अधिकारी था।
2. महारानी विक्टोरिया की घोषणा (1858)
- भारत में नया क्षेत्र अंग्रेजी राज्य में नहीं मिलाया जाएगा।
- भारतीयों की परम्पराओं व रीति-रिवाजों का सम्मान होगा।
- न्याय में समानता व धार्मिक सहिष्णुता रखी जाएगी।
- भारतीय राजाओं के अधिकार सुरक्षित रहेंगे।
- प्रशासनिक सेवाओं में जाति-धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं होगा।
- भारतीयों को ब्रिटिश प्रजा के समान माना जाएगा।
3. भारत सचिवालय
- भारत सचिव के अधीन 15 सदस्यों की परिषद।
- इसे इण्डिया ऑफिस भी कहा गया।
- इसके सभी खर्च भारत से वसूले जाते थे।
4. भारत सरकार और वायसराय
1. वायसराय भारत का सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकारी।
2. कार्यकारी परिषद में 4 सदस्य, बाद में 6-12 सदस्य तक कर दिए गए।
3. प्रांतों में विधान परिषदों की स्थापना (बंगाल, बम्बई, मद्रास आदि)।
4. महत्वपूर्ण अधिनियम:
- 1865 – गवर्नर जनरल के वित्तीय अधिकार बढ़े।
- 1869 – विदेश में रहने वाले भारतीयों पर कानून बनाने का अधिकार।
- 1876 – महारानी को भारत की साम्राज्ञी घोषित किया गया।
- 1892 – परिषदों में अधिकतम 16 अतिरिक्त सदस्य।
- आगे चलकर 1909, 1919 और 1935 के अधिनियम आए।
5. सेना का पुनर्गठन
कम्पनी की यूरोपीय सेना को ब्रिटिश सेना में मिला दिया गया।
भारतीय सैनिकों की संख्या घटा दी गई, यूरोपीय सैनिकों की बढ़ाई गई।
संख्या का अनुपात:
- बंगाल – 2:1 (भारतीय : यूरोपीय)
- बम्बई/मद्रास – 3:1
सैनिकों की भर्ती जाति-प्रांत के आधार पर (सिख, मराठा, राजपूत, गढ़वाली आदि)।
सेना पर प्रशासनिक आय का लगभग 30% खर्च।
सैनिकों को “लड़ाकू” और “गैर-लड़ाकू” वर्गों में बाँटा गया।
उद्देश्य: “फूट डालो और राज करो”।
6. प्रशासनिक विभाजन
- 1861 से प्रांतों में विधान परिषदों का गठन।
- 1919 – द्वैध शासन प्रणाली लागू।
- 1935 – प्रांतीय स्वायत्तता लागू।
- प्रांतों को भूमि कर, आबकारी, न्याय और विधि का अधिकार मिला।
7. स्थानीय प्रशासन
- नगरपालिकाएँ और जिला परिषदें स्थापित।
- 1865 – मद्रास में प्रथम नगरपालिका।
- लार्ड रिपन – स्थानीय स्वशासन का जनक।
- 1882 – नगरपालिका अधिनियम, साधारण व्यक्ति भी प्रमुख बन सकता था।
- 1908 – पंचायतों एवं जिला बोर्ड पर बल।
- 1935 – कार्यक्षेत्र का विस्तार।
8. ब्रिटिश आर्थिक नीतियाँ
- भारत के संसाधनों का शोषण।
- आयात कर समाप्त, स्वतंत्र व्यापार की अनुमति।
- भारत के उद्योग-धंधे नष्ट (सूती, ऊनी, नील, पटसन, चाय, कोयला, लोहा आदि प्रभावित)।
- किसान भूमिकर और पट्टेदारी से जमींदार-पट्टेदार में बँट गए।
- साहूकारों का प्रभाव बढ़ा, ग्रामीण व मजदूर गरीब।
- बाल मजदूरी को बढ़ावा।
9. सिविल सेवा
- उच्च सरकारी पदों का प्रमुख साधन।
- परीक्षा केवल इंग्लैण्ड में और अंग्रेजी भाषा में।
- परीक्षा की आयु घटाकर 19 वर्ष (1876) कर दी गई।
- 1906 में आयु फिर 24 वर्ष की गई।
- 1883 का इलबर्ट बिल विवाद – भारतीय जज यूरोपियों की सुनवाई कर सकते थे, लेकिन विरोध के कारण रद्द।
10. ब्रिटिश शिक्षा नीति
उद्देश्य – भारतीयों को मानसिक रूप से गुलाम बनाना।
1854 – वुड प्रस्ताव:
- अंग्रेजी व भारतीय भाषाओं की शिक्षा।
- अध्यापक प्रशिक्षण, छात्रवृत्ति व अनुदान।
1882 – हण्टर आयोग: प्राथमिक शिक्षा पर बल।
1904 – विश्वविद्यालय अधिनियम।
1919 – शिक्षा विभाग प्रांतीय विधानमंडल को सौंपा गया।
1944 – सार्जेन्ट योजना: 6-14 वर्ष के लिए निःशुल्क व अनिवार्य शिक्षा।
11. भारतीय राजाओं से सम्बन्ध
- 1858 – भारत में 562 राज्य।
- महारानी ने अधिकार सुरक्षित रखने का वादा किया, पर निभाया नहीं।
- 1874 – बड़ौदा के राजा मल्हारराव गायकवाड़ को हटाया गया।
- 1876 – महारानी विक्टोरिया भारत की साम्राज्ञी बनीं।
- राजाओं की सेना घटा दी गई, अंग्रेज अधिकारियों के नियंत्रण में।
- 1947 – माउंटबेटन योजना: राजाओं को भारत या पाकिस्तान में शामिल होने की स्वतंत्रता।
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