धार्मिक व सामाजिक सुधार आन्दोलन और सांस्कृतिक चेतना का विकास
1.भारतीय समाज की स्थिति (19वीं शताब्दी)
- समाज में कुरीतियाँ – छुआछूत, सती प्रथा, बाल विवाह, दलितों की दुर्दशा, बलि प्रथा, मद्यपान।
- समाज सुधारकों ने आंदोलन चलाकर सुधार का कार्य किया।
2.प्रमुख सुधार आंदोलन और व्यक्तित्व
1. राजा राममोहन राय और ब्रह्म समाज (1828)
- सुधार आंदोलनों के जनक, राष्ट्रीयता के अग्रदूत।
- मूर्ति पूजा का विरोध, एकेश्वरवाद का समर्थन।
- सती प्रथा का कड़ा विरोध → 1829 ई. में विलियम बैंटिक द्वारा प्रतिबंध।
- विधवा विवाह, शिक्षा, जाति प्रथा उन्मूलन के समर्थक।
- अनेक भाषाओं में ग्रंथ और समाचार पत्र लिखे।
2. स्वामी दयानंद सरस्वती और आर्य समाज (1875)
- ग्रंथ: सत्यार्थ प्रकाश।
- वेदों को ज्ञान का सर्वोच्च स्रोत बताया।
- बाल विवाह का विरोध, विधवा विवाह का समर्थन।
- दस सिद्धांतों का पालन, हिन्दी प्रचार, स्वराज्य की बात करने वाले पहले व्यक्ति।
3. महादेव गोविंद रानाडे और प्रार्थना समाज (1867)
- स्त्री उद्धार और विधवा पुनर्विवाह का समर्थन।
- जाति प्रथा और अस्पृश्यता का विरोध।
- स्त्री शिक्षा पर बल, निम्न जाति कन्याओं के लिए स्कूल खोले।
- 1884 में डेक्कन एजुकेशन सोसायटी और फर्ग्यूसन कॉलेज की स्थापना।
- गोपालकृष्ण गोखले ने समर्थन किया।
4. ज्योतिबा फुले और सत्यशोधक समाज
- दलितों और स्त्रियों की शिक्षा पर बल।
- छुआछूत और जाति प्रथा का विरोध।
- विधवा पुनर्विवाह का समर्थन।
5. रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद (रामकृष्ण मिशन, 1897)
- सभी धर्मों की पवित्रता स्वीकार।
- विवेकानंद ने गरीबी दूर करने और समाज सेवा पर बल दिया।
- मिशन ने आपदा राहत व शिक्षा कार्य किए।
- भारतीय संस्कृति का विदेशों में प्रचार।
- युवाओं को देश की ताकत माना।
6. थियोसोफिकल सोसायटी और एनी बेसेन्ट
- स्थापना अमेरिका में, भारत में मुख्यालय अडयार (चेन्नई)।
- एनी बेसेन्ट अध्यक्ष (1907)।
- भारतीय संस्कृति व वेदों का प्रचार।
- बाल विवाह व जाति प्रथा का विरोध, स्त्री शिक्षा का समर्थन।
- बनारस में सेंट्रल हिंदू कॉलेज की स्थापना (1898)।
3.मुस्लिम समाज सुधार आंदोलन
1. नवाब अब्दुल लतीफ (1863) – मुस्लिम साहित्य सभा की स्थापना।
2. सर सैयद अहमद खाँ –
- आधुनिक शिक्षा पर बल, कट्टरपंथ का विरोध।
- 1864 – अनुवाद समिति (विज्ञान समिति)।
- 1877 – मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज (बाद में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय)।
- पत्रिका तहजीब-उल-अखलाक।
- अलीगढ़ आंदोलन के प्रवर्तक।
4.पारसी और सिख सुधार आंदोलन
1. पारसी समाज (1851) – धार्मिक सुधार संघ।
- नेता: दादाभाई नौरोजी, नौरोजी फरदूनजी।
- पत्रिका रास्त-गोफ्तार।
- कन्या शिक्षा पर बल।
2. सिख सुधार आंदोलन –
- गुरुद्वारे महंतों के नियंत्रण से मुक्त कराने हेतु आंदोलन।
- शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी व अकाली दल सक्रिय।
- 1925 – कानून से गुरुद्वारों का प्रबंधन सिख समाज को मिला।
5.प्रभाव और परिणाम
- आधुनिक शिक्षा, ज्ञान, विज्ञान, साहित्य में रुचि बढ़ी।
- महिलाओं की स्थिति सुधरी – सती, बाल विवाह, पर्दा प्रथा में कमी।
- राष्ट्रीयता और स्वतंत्रता की भावना प्रबल हुई।
- सांस्कृतिक चेतना का विकास।
6.शिक्षा, साहित्य, संस्कृति और विज्ञान का विकास
1. शिक्षा – राष्ट्रीय शिक्षा परिषद, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (मदन मोहन मालवीय), विश्व भारती (रवीन्द्रनाथ ठाकुर), जामिया मिलिया इस्लामिया, शांति निकेतन।
2. साहित्य – उपन्यास, नाटक, निबंध, कविताएँ।
- प्रमुख साहित्यकार: बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय (वंदे मातरम्), रवीन्द्रनाथ ठाकुर (जन-गण-मन), इकबाल (सारे जहाँ से अच्छा)।
3. कला – राजा रवि वर्मा, नंदलाल बसु, बंगाल शैली का विकास।
4. विज्ञान –
- संस्थाएँ: इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ साइंस (1876), इंडियन साइंस कांग्रेस (1930s)।
- प्रमुख वैज्ञानिक: चंद्रशेखर वेंकटरमन, प्रफुल्लचंद्र राय, जगदीशचंद्र बसु, श्रीनिवास रामानुजम, मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया।
7.प्रेस का विकास
- समाचार पत्रों ने सुधार आंदोलनों और राष्ट्रवाद को प्रोत्साहन दिया।
- प्रमुख पत्र-पत्रिकाएँ: द हिन्दू, द इंडियन मिरर, अमृत बाजार पत्रिका, केसरी, मराठा, स्वदेशमित्र, प्रभाकर, इंदु प्रकाश।
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