1. चुम्बक एवं चुम्बकत्व
- लोहा, निकिल, कोबाल्ट जैसी धातुओं को आकर्षित करने वाला पदार्थ चुम्बक कहलाता है।
- चुम्बक के गुणों को चुम्बकत्व कहते हैं।
- पहला प्राकृतिक चुम्बक मैग्नेटाइट (Fe₂O₃) था, जिसे “लोडस्टोन” कहा गया।
- स्वतंत्रतापूर्वक लटकाने पर यह हमेशा उत्तर-दक्षिण दिशा में रुकता है।
2. चुम्बकीय पदार्थ
चुम्बक जिन धातुओं को आकर्षित करता है उन्हें चुम्बकीय पदार्थ कहते हैं।
उदाहरण – लोहा, निकिल, कोबाल्ट।
3. चुम्बक के ध्रुव
- चुम्बक का उत्तर की ओर ठहरने वाला सिरा → उत्तरी ध्रुव (N)
- दक्षिण की ओर ठहरने वाला सिरा → दक्षिणी ध्रुव (S)
- सजातीय ध्रुव (N-N या S-S) → प्रतिकर्षण करते हैं।
- विजातीय ध्रुव (N-S) → आकर्षण करते हैं।
- चुम्बक हमेशा दो ध्रुवों (N और S) से बना होता है। एकल ध्रुव अस्तित्व में नहीं होता।
4. चुम्बकीय सुई (Magnetic Compass)
- स्वतंत्रतापूर्वक घूमने वाली छोटी चुम्बकीय सुई से दिशाओं का ज्ञान लिया जाता है।
- डायल पर 360° विभाजन के साथ N, E, S, W अंकित रहते हैं।
- इसका प्रयोग → जहाजों, वायुयानों में दिशा बताने हेतु।
5. पार्थिव चुम्बकत्व (Earth as a Magnet)
- पृथ्वी स्वयं एक विशाल चुम्बक की तरह व्यवहार करती है।
- प्रमाण:
- स्वतंत्रतापूर्वक लटका चुम्बक हमेशा उत्तर-दक्षिण दिशा में रुकता है।
- उत्तर-दक्षिण दिशा में गाड़ी गई लोहे की छड़ समय के साथ चुम्बक बन जाती है।
- पृथ्वी का दक्षिणी ध्रुव, भौगोलिक उत्तर दिशा के पास होता है और उत्तरी ध्रुव, भौगोलिक दक्षिण दिशा के पास।
6. चुम्बक के प्रकार
(i) प्राकृतिक चुम्बक
- प्रकृति से प्राप्त, अनियमित आकार वाले, कम शक्तिशाली।
(ii) कृत्रिम चुम्बक
- मानव निर्मित, इच्छानुसार आकार व शक्ति दी जा सकती है।
दो प्रकार:
- स्थायी चुम्बक (Permanent Magnet): लम्बे समय तक गुण बने रहते हैं।→ लोहे, निकिल, कोबाल्ट, Alnico, फेराइट से बनाए जाते हैं।
- अस्थायी चुम्बक (Temporary Magnet):केवल विद्युतधारा प्रवाहित रहने तक ही चुम्बकत्व रहता है।→ इन्हें विद्युत चुम्बक कहते हैं।
7. चुम्बक के गुण
- चुम्बकीय पदार्थों को आकर्षित करता है।
- स्वतंत्रतापूर्वक लटकाने पर सदैव उत्तर-दक्षिण दिशा में रुकता है।
- ध्रुवों पर चुम्बकत्व सबसे अधिक होता है।
- चुम्बक के ध्रुव – उत्तरी (N) और दक्षिणी (S)।
- सजातीय ध्रुव → प्रतिकर्षण, विजातीय ध्रुव → आकर्षण।
- गरम करने, पीटने या घिसने पर चुम्बकत्व नष्ट हो सकता है।
8. विद्युतधारा एवं चुम्बकत्व
- हेंस क्रिस्टियन ओटेड (1820) ने सिद्ध किया -जब किसी तार में विद्युतधारा प्रवाहित होती है तो उसके आसपास चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है।
9. विद्युत चुम्बक (Electromagnet)
- नर्म लोहे की पट्टी पर तार की कुण्डली लपेटकर विद्युतधारा प्रवाहित करने से यह अस्थायी चुम्बक बन जाता है।
- धारा रुकते ही चुम्बकत्व समाप्त हो जाता है।
उपयोग:
- भारी लोहे के सामान उठाने में।
- विद्युत उपकरणों (घंटी, पंखा, टेलीफोन, स्पीकर आदि) में।
- चुम्बकीय व अचुम्बकीय पदार्थों को अलग करने में।
10. विद्युत घण्टी (Electric Bell)
भाग –
- विद्युत चुम्बक (A)
- आर्मेचर (B, F)
- हथौड़ा (C, D)
- घण्टा (E)
- सिद्धांत – विद्युत चुम्बकत्व।
- कार्यविधि – बटन दबाने पर परिपथ में धारा प्रवाहित होती है → आर्मेचर आकर्षित होता है → हथौड़ा घण्टा बजाता है → सम्पर्क टूटता है → प्रक्रिया दोहराई जाती है।
11. विद्युत चुम्बकीय प्रेरण (Electromagnetic Induction)
- फैराडे और हेनरी (1831) ने खोजा।
- चुम्बक और कुण्डली में आपेक्षिक गति होने पर कुण्डली में विद्युतधारा उत्पन्न होती है।
- इसे प्रेरित धारा कहते हैं।
मुख्य तथ्य:
- तेज गति → अधिक धारा
- धीमी गति → कम धारा
- गति न होने पर → धारा शून्य
- ध्रुव बदलने पर → धारा की दिशा बदल जाती है।
- कुण्डली के फेर बढ़ाने से धारा अधिक बनती है।
उपयोग:
- विद्युत जनित्र (Generator)
- ट्रांसफार्मर
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